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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, May 27, 2013

पुलिस और अखबार ने कलाकार को नक्‍सली बना दिया

पुलिस और अखबार ने कलाकार को नक्‍सली बना दिया

20 MAY 2013 NO COMMENT

♦ अश्विनी कुमार पंकज

पांच साल पहले आंदोलन वाले अखबार ने एक निर्दोष संस्कृतिकर्मी जीतन मरांडी की फोटो फ्रंट पेज पर छापकर उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया था। झारखंड हाईकोर्ट ने उसे निर्दोष मानते हुए पिछले दिनों रिहा कर दिया। अब झारखंड के डीजीपी राजीव कुमार ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। जांच आईजी संपत मीणा करेंगी जिन्होंने सीआइडी के एसपी अमरनाथ मिश्रा के नेतृत्व में जांच टीम गठित कर दी है। यह टीम गलत अनुसंधान करने और एक निर्दोष को नक्सली साबित करनेवाले पुलिस अफसरों को चिन्हित करेगी।

इस बीच झारखंड विशेष शाखा के एडीजीपी रेजी डुंगडुंग ने भी अपनी रिपोर्ट डीजीपी और गृह सचिव को दे दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआइआर में जिस जीतन का नाम है उसे नहीं पकड़कर जीतन मरांडी को अभियुक्त बना दिया गया। अधिकारी आंख मूंदकर अनुसंधान पर हस्ताक्षर करते रहे और एक निर्दोष संस्कृतिकर्मी को फांसी तक पहुंचा दिया गया। जबकि चिलखारी कांड का असली अभियुक्त जीतन मरांडी उर्फ जीतन किस्कू दुमका में गिरफ्तार हो अपना जुर्म कबूल कर चुका है।

आज यह खबर स्थानीय अखबारों में छपी है पर आंदोलनवाले अखबार में इससे संबंधित एक भी पंक्ति नहीं है। एक बेगुनाह को फांसी तक पहुंचा देनेवाले इस अखबार की सजा क्या होनी चाहिए?

Jitan Marandi

(अश्विनी कुमार पंकज। वरिष्‍ठ पत्रकार। झारखंड के विभिन्‍न जनांदोलनों से जुड़ाव। रांची से निकलने वाली संताली पत्रिका जोहार सहिया के संपादक। इंटरनेट पत्रिका अखड़ा की टीम के सदस्‍य। वे रंगमंच पर केंद्रितरंगवार्ता नाम की एक पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं। इन दिनों आलोचना की एक पुस्‍तक आदिवासी सौंदर्यशास्‍त्र लिख रहे हैं। उनसे akpankaj@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

http://mohallalive.com/2013/05/20/serious-blunder-by-a-newspaper/

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