Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Tuesday, April 22, 2014

शायर और शहज़ादी: शकीरा के बारे में मार्केस

शायर और शहज़ादी: शकीरा के बारे में मार्केस

Posted by Reyaz-ul-haque on 4/19/2014 07:09:00 PM




वे दोनों महानतम कोलम्बियनों में शुमार हैं: शकीरा और गाब्रिएल गार्सीया मारकेज़. नैसर्गिक था कि वे कहीं न कहीं मिलते. 


एक फ़रवरी को शकीरा मायामी से बूएनोस आइरेस पहुंची, एक रेडियो प्रोग्राम के लिए उससे फ़क़त एक सवाल पूछने का इच्छुक एक पत्रकार उन का पीछा करता आ रहा था. कई वजूहात से वह ऐसा नहीं कर सका तो उसने अपनी रपट का शीर्षक रखा: "शकीरा तब क्या कर रही होती है जब उनसे कोई ढूंढ ही नहीं सकता?" हंसी से दोहरी होती हुई शकीरा हाथ में डायरी थामे समझाती है. "मैं ज़िन्दगी जी रही हूं."

वह एक फ़रवरी की शाम को बुएनोस आइरेस पहुंची थी, और अगले दिन वह दोपहर से लेकर आधी रात तलक काम करती रही; उस दिन उसका जन्मदिन था, लेकिन उसे मनाने को उसके पास समय ही नहीं था. बुधवार को वह वापस मायामी चल दी, जहां उसने एक लम्बे पब्लिसिटी शूट में हिस्सा लिया और कई घन्टे अपने ताज़ा अल्बम के अंग्रेज़ी संस्करण के लिए रेकॉर्डिंग की. शुक्रवार की दोपहर दो बजे से शनिवार की सुबह तक उसने दो गानों की फ़ाइनल रेकॉर्डिंग पूरी की. उसके बाद वह तीन घन्टे सोई और दोबारा स्टूडियो पहुंची जहां उसने दोपहर तीन बजे तक काम किया. उस रात वह थोड़ा सोई और इतवार की भोर लीमा जाने वाले हवाई जहाज़ पर सवार हुई. सोमवार की पूर्वान्ह वह एक लाइव टीवी शो में उपस्थित थी; चार बजे उसका एक टीवी विज्ञापन शूट हुआ; शाम को वह अपने पब्लिसिस्ट द्वारा दी गई एक पार्टी में मौजूद थी जहां वह भोर तक जगी रही. अगले दिन यानी नौ फ़रवरी सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक को उसने रेडियो, टीवी और अख़बार के लिए आधे आधे घन्टे के ग्यारह इन्टरव्यू दिए. बीच में एक घन्टा लंच के लिए निकाला गया. उसे वापस मायामी पहुंचना था मगर अन्तिम क्षणों में उसने बोगोटा में ठहरना तय किया, जहां वह भूकम्प के शिकार लोगों तक अपनि सहानुभूति जताने पहुंची.

उसी रात वह किसी तरह मायामी जाने वालि आख़िरी फ़्लाइट पकड़ पाने में कामयाब हुई जहां अगले चार दिनों तक वह स्पेन और पेरिस में होने वाली अपनी कन्सर्ट्स के लिए रिहर्सल में व्यस्त रही. अपने अल्बमों के अंग्रे़ज़ी संस्करणों के लिए उसने शनिवार लंचटाइम से लेकर सुबह साढ़े चार बजे तक ग्लोरिया एस्टेफ़ान के साथ काम किया. दिन फटने पर वह वह अपने घर पहुंची जहां उसने एक कॉफ़ी पी, डबलरोटी का एक टुकड़ा खाया और पूरे कपड़ों में सो गई. मंगलवार सोलह तारीख़ को वह कोस्टा रिका में एक लाइव टीवी शो में मौजूद थी. बृहस्पतिवार को वह वापस मायामी पहुंची जहां उसने 'सेन्सेशनल सैटरडे' नाम के एक टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेना था.

वह बमुश्किल सो पाई - 21 को उसने वेनेज़ुएला से लॉस एन्जेलीस पहुंचकर ग्रैमी समारोह अटैन्ड करना था. उसे विजेताओं की सूची में होने की उम्मीद थी पर अमरीकियों ने तमाम मुख्य पुरुस्कार जीत लिए. लेकिन इस से उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आई: 25 को वह स्पेन में थी जहां उसने 27 और 28 फ़रवरी को काम किया. एक मार्च तक आखीरकार वह मैड्रिड के एक होटल में पूरी रात सो पाने का समय निकाल सकी. उस समय तक वह एक महीने में एक पेशेवर फ़्लाइट अटैन्डेन्ट के बराबर यानी चालीस हज़ार किलोमीटर की यात्राएं कर चुकी थी.

ठोस धरती पर भी शकीरा का काम कोई कम मुश्किल न था. उसके साथ चलने वाली संगीतकारों, लाइट टैक्नीशियनों और साउन्ड इंजीनियरों इत्यादि की टीम किसी लड़ाकू दस्ते जैसी नज़र आती है. वह हर चीज़ पर ख़ुद निगाह रखती है. उसे संगीत पढ़ना नहीं आता पर उसकी विशुद्ध आवाज़ और पूरा फ़ोकस इस बात की गारन्टी करते हैं कि उसके संगीतकार एक-एक नोट को सही सही लगा सकें. अपनी टीम के हर सदस्य के साथ उसके व्यक्तिगत सम्बन्ध हैं. वह अपनी थकान को जाहिर नहीं होने देती पर इस से आपको छलावे में नहीं पड़ना चाहिये. अर्जेन्टीना के चालीस कन्सर्ट्स वाले दौरे के आख़िरी दिनों में उसके एक सहायक को उसे बस में चढ़ने में मदद करनी पड़ी थी. कभी कभी उसकी धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसे त्वचा की एलर्जी जैसी शिकायतें भी हो जाया करती हैं.

'दोन्दे एस्तान लोस लाद्रोनेस?' (सारे चोर कहां हैं?) अल्बम के अंग्रेज़ी संस्करण की तैयारी में एमीलियो एस्टेफ़ान और उसकी पत्नी ग्लोरिया के साथ की गई उसकी कड़ी मेहनत ने स्थिति को और भी मुश्किल बना दिया था. इस समय शकीरा को अपने जीवन के सबसे दबावभरे समय से जूझना पड़ा था: वह ठीकठाक अंग्रेज़ी बोल लेती है पर अपने उच्चारण को ठीक बनाने के लिए उसने इस कदर ऑब्सेशन की हद तक काम किया था कि वह सपने में भी कभी कभी अंग्रेज़ी बोला करती थी.

कोलम्बिया के बारान्कीया के एक जौहरी विलियम मेबारेक और उसकी पत्नी नाइदिया रिपोल के अरबी मूल के कलाप्रेमी परिवार में जन्मी थी शकीरा. उसकी कड़ी मेहनत और असाधारण बुद्धिमत्ता का परिणाम था कि अपने शुरुआती सालों में उसने इतना सारा सीख लिया जिसे सीखने में सामान्य लोग दसियों साल लगा देते हैं. सत्रह माह की आयु में वह अक्षरमाला सीखना शुरू कर चुकी थी और तीन साल की उम्र में गिनती करना. चार साल की आयु में बारान्कीया के अपने स्कूल में वह बैली-डान्सिंग सीख रही थी. सात साल की आयु में उसने अपना पहला गीत कम्पोज़ किया. आठ की आयु में कविता लिखनी शुरू की और दस की होते होते बाकायदा अपने ओरिजिनल गीत लिख और कम्पोज़ कर लिए थे. इसी दरम्यान उसने अटलांटिक के तट पर मौजूद 'एल कोर्रेहोन' कोयला खदानों के कामगारों के मनोरंजन हेतु अपने पहले कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तख़त कर लिए थे. उसने अभी सेकेन्डरी स्कूल में दाख़िला लेना बाकी था जब एक रेकॉर्डिंग कम्पनी ने उसे पहला पेशेवर प्रस्ताव दिया.

"मुझे अपनी अपार रचनात्मकता के बारे में हमेशा मालूम था," वह कहती है. "मैं प्रेम कविताओं का पाठ किया करती थी, कहानियां लिखती थी और गणित को छोड़कर सारे विषयों में सबसे अच्छे नम्बर लाती थी." उसे बहुत खीझ होती थी जब घर पर आए मेहमान उस से गाने की फ़रमाइश किया करते थे. "मैं तीस हज़ार लोगों के सामने गाना पसन्द करती बजाय पांच गधों के आगे गाने और गिटार बजाने के." वह थोड़ा कमज़ोर दिखती है मगर उसे पक्का यकीन था कि एक दिन सारी दुनिया उसे जानेगी. किस बात के लिए और कैसे, यह उसे पता नहीं था पर उसका भरोसा मजबूत था. यही उसकी नियति भी होनी थी.

आज उसके सपने पूरे होने से कहीं ज़्यादा पूरे हो चुके हैं. शकीरा का संगीत किसी और के जैसा नहीं सुनाई पड़ता और उसने मासूम सेन्सुअलिटी का अपना एक ब्रान्ड भी बना लिया है. "अगर मैं गाऊंगी नहीं तो मर जाऊंगी!" यह बात अक्सर हल्के फ़ुल्के तरीके से कही जाती है लेकिन शकीरा के मामले में यह एक सच्चाई है: जब वह गा नहीं रही होती वह बमुश्किल ज़िन्दा रहती है. भीड़ के बीच रहने में ही उसके भीतर शान्ति उभरती है. स्टेज का डर उसे कभी महसूस नहीं हुआ. उसे स्टेज पर न होने से डर लगता है: "मुझे लगता है" वह कहती है "जैसे वहां मैं जंगल में किसी शेर जैसी हो जाती हूं." स्टेज पर ही वह शकीरा बन पाती है जो कि वह असल में है.

कई गायक स्टेज से परे तेज़ रोशनियों पर निगाहें गड़ा लेते हैं ताकि श्रोताओं की भीड़ की निगाहों का सामना न करना पड़े. शकीरा इसका ठीक उल्टा करती है; वह अपने टैक्नीशियनों से कहती है कि दर्शकों श्रोताओं पर सबसे तेज़ रोशनियां डालें ताकि वह उन्हें देख सके. "तब जा कर संवाद सम्पूर्ण बनता है" वह कहती है. वह एक अजानी अनाम भीड़ को अपनी सनक और प्रेरणा के हिसाब से जैसा चाहे वैसा ढाल लेती है. "गाते हुए मुझे लोगों की आंखों में देखना अच्छा लगता है." कभी कभी वह भीड़ में ऐसे चेहरे देखती है जिन्हें उसने कभी नहीं देखा होता लेकिन वह उन्हें पुराने दोस्तों की तरह याद करती है. एक बार तो उसने एक ऐसे आदमी को पहचान लिया जो कब का मर चुका था. एक बार उसे ऐसा महसुस हुआ जैसे कोई उसे किसी दूसरे जन्म के भीतर से देख रहा हो. "मैंने पूरी रात उस के लिए गाया." वह बताती है. इस तरह के चमत्कार कई महान कलाकारो के लिए महान प्रेरणा के और अक्सर महान विनाशों के कारण बनते रहे हैं

शकीरा के मिथक का सबसे बड़ा आयाम है बच्चों के भीतर उसकी इस कदर गहरी पैठ. जब उसका अल्बम 'पीएस देस्काल्ज़ोस' 1996 में रिलीज़ हुआ तो उसके पब्लिसिस्ट्स ने तय किया कि उसे कैरिबियन लोकसमारोहों के इन्टरवलों में प्रमोट किया जाएगा. उन्हें यह नीति बदलनी पड़ी जब तमाम बच्चे "शकीरा! शकीरा!" के नारे लगाते हुए सारी शाम उस के गीतों को बजाने की मांग करने लगे. आज यह करिश्मा डॉक्टरेट के किसी महत्वपूर्ण विषय में तब्दील हो चुका है. हर सामाजिक तबके के प्राइमरी स्कूल की बच्चियां पहनावे, बोलने और गाने के अन्दाज़ में शकीरा की नकल करती हैं. छः साला बच्चियां उसकी सबसे बड़ी प्रशंसिकाएं हैं.

इन्टरवल के दौरान उसके अल्बमों की सस्ती पाइरेटेड प्रतियों की अदलाबदली हुआ करती है. दुकानों में पहुंचते ही उसके आभूषणों की नकलें हाथोंहाथ निकल जाती हैं. बाजारों में हेयरडाईज़ की होलसेल बिक्री होती है ताकि लड़कियां शकीरा के हेयरस्टाइल की नकल कर सकें उसके नए अल्बम की पहली स्वामिनी स्कूल की सबसे लोकप्रिय लड़की बन जाती है. सबसे ज़्यादा पॉपुलर स्टडी-ग्रुप स्कूल के बाद किसी लड़की के घर में जमते हैं जहां पहले थोड़ा सा होमवर्क होता है और उस के बाद धमाल. जन्मदिन की दावतें नन्हीं शकीराओं का जमावड़ा हुआ करता है. बिल्कुल विशुद्धतावादी समूहों में - जिनकी संख्या बहुत ज़्यादा है - लड़कों को नहीं बुलाया जाता.

अपनी असाधारण संगीत प्रतिभा और मार्केटिंग के बावजूद शकीरा अपनी परिपक्वता के बगैर वहां हो ही नहीं सकती थी जहां वह अब है. यह यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि इस लड़की के भीतर इतनी ताकत आती कहां से है जो हर दिन अपने बालों का रंग बदल देती है - कल काला, आज लाल, कल हरा. कई उम्रदराज़ महिला गायकों से कहीं ज़्यादा ईनामात वह हासिल कर चुकी है. आप देख कर बता सकते हैं कि वह कहां पहुंचना चाहती है: बुद्धिमान, असुरक्षित, शालीन, मधुर, आक्रामक और सघन! अपने पेशे के चरम पर पहुंच चुकने के बाद भी वह बारान्कीया की एक लड़की भर है - जहां भी होती है उसे घर की मुलेट मछली और मैनियोक ब्रैड की याद आती है. अभी वह अपने सपनों का घर नहीं ले सकी है - समुद्र किनारे ऊंची छतों वाला एक शान्त मकान और दो घोड़े. उसे किताबें अच्छी लगती हैं - वह उन्हें खरीदती है उन्हें प्यार करती है अलबत्ता पढ़ने के लिए उसके पास उतना वांछित समय नहीं होता. एयरपोर्टों पर जल्दबाज़ी में विदा लेने के बाद उसे अपने दोस्तों की बहुत याद आती है मगर उसे मालूम होता है कि अगली मुलाकात होने में कितना वक़्त लग सकता है.

उसने कितना पैसा कमाया है, इस बाबत वह कहती है "जितना मैं बताती हूं उस से ज़्यादा मगर जितना लोग बताते हैं उस से कम." संगीत सुनने का उसका प्रिय स्थान होता है गाड़ी के भीतर पूरे वॉल्यूम में बजता प्लेयर - वह शीशे चढ़ा लिया करती है ताकि दूसरों को दिक्कत न हो. "ईश्वर से बात करने, अपने से बात करने और समझने का यह आदर्श स्थान होता है." उसे टीवी से नफ़रत है. उसके हिसाब से उसका सबसे बड़ा विरोधाभास है अनन्त जीवन पर उसका विश्वास और मृत्यु का असह्य खौफ़.

वह एक दिन में चालीस इन्टरव्यू तक दे चुकी है और उसने किसी भी बात को दोहराया नहीं. कला, जीवन. अगले जन्म, ईश्वर प्रेम और मत्यु को लेकर उसके अपने विचार हैं. लेकिन उसके इन्टरव्यू लेने वालों ने इन विषयों पर खुल कर बताने को उस से इतनी दफ़ा पूछ लिया है कि अब वह उन से बचकर निकलना सीख गई है. उसके उत्तर जितना बताते हैं उस से कम ही छिपाते हैं और यह सबसे उल्लेखनीय बात है. वह इस बात को सीधे सीधे खारिज कर देती है कि उसकी प्रसिद्धि अस्थाई है और यह कि ज़्यादा गाने से उसकी आवाज़ पर असर पड़ेगा. "भरी धूप के बीच में सूर्यास्त के बारे में नहीं सोचना चाहती." जो भी हो विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव नहीं चूंकि उसकी आवाज़ की प्राकृतिक रेन्ज उसकी तमाम ज़्यादतियों के बावजूद बची रहेगी. बह बुखार और थकान से गा कर उबरी है. "गायक के लिए सबसे बड़ी कुंठा यह हो सकती है," हमारे इन्टरव्यू के आखीर में तनिक हड़बड़ी में वह कहती है "कि वह गाने को अपना कैरियर बना चुकने के बावजूद गा न सके."

उसके लिए सबसे रपटीला विषय होता है प्यार. वह उसका गुणगान करती है, वही उसके संगीत की प्रेरणा होता है पर बातचीत में वह उस पर अपने ह्यूमर की परत चढ़ा लेती है. "सच तो यह है कि मुझे मौत से ज़्यादा शादी से डर लगता है." यह आम जानकारी है कि उसके चार बॉयफ़्रैन्ड्स रह चुके हैं हालांकि वह शरारत के साथ बताती है कि तीन और थे जिनके बारे में किसी को मालूम नहीं. वे सब तकरीबन उसी की उम्र के थे पर उनमें से कोई भी उस जैसा परिपक्व नहीं था. शकीरा उन्हें बहुत अपनेपन और दर्द के साथ याद करती है. ऐसा लगता है वह उन्हें नश्वर प्रेतों की तरह देखा करती है जिन्हें उसने अपनी अल्मारी में टांग दिया है. भाग्यवश यह कोई बहुत हताशा की बात भी नहीं है: अगली दो फ़रवरी को वह फ़क़त छब्बीस साल की हो जाने वाली है.


(हिंदी अनुवाद के लिए कबाड़खाना का आभार)

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV