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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Thursday, April 25, 2013

अब जाकर कहीं नींद खुली है आयकर विभाग की! केंद्रीय एजंसियां अब तक कहां थीं?

अब जाकर कहीं नींद खुली है आयकर विभाग की! केंद्रीय एजंसियां अब तक कहां थीं?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


अब जाकर कहीं नींद खुली है आयकर विभाग की!आयकर विभाग कोलकाता स्थित शारदा समूह के निवेशों एवं वित्त की जांच करेगा। हजारों की संख्या में निवेशकों के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले में शारदा समूह इस समय समाचारपत्रों की सुखिर्यों में है।इसी के साथ कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के आरोपों में घिरे कोलकाता के शारदा समूह की जांच कराने का आज फैसला किया। चिट फंड कंपनियों के नियमन के बारे में मंत्रालय शीघ्र ही कुछ कदमों की घोषणा कर सकता है।सेबी ने पहले ही तमाम निषेधाज्ञाओं के साथ अपनी तहकीकात शुरु कर दी है। देर सवेर सीबीआई भी मैदान में उतरने वाली है। असम के मुख्यमंत्री ने इसकी मांग कर दी है। ये केंद्रीय एजंसियां अब तक कहां थीं? ये सक्रिय होते तो आम निवेशकों और इन चिटफंड कंपनियों के एजंटों के सामने आत्महत्या का विकल्प चुनने की नौबत तो हरगिज नहीं आती!कोलकाता हाईकोर्ट ने भी दो जनहित याचिकाओं के सिलसिले में इस फर्जीवाड़े पर चिंता जतायी है और राज्य सरकार को २ मई तक हलफनामा दायर करने को कहा है। इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई तीन मई को होनी है। यह सारी कवायद ठीक उसीतरह की लग रही है जैसे मुख्यमंत्री ने फर्जीवाड़े के शिकार लोगों के लिए पांच सौ करोड़ के फंड की घोषणा करते हुए आम जनता से ज्यादा से ज्यादा सिगरेट पीने का आग्रह किया है ताकि बदहाल आर्थिक हालात के मद्देनजर राहत की रकम इकट्ठी हो जाये।पाश्चिम बंगाल सरकार ने शारदा समूह में पैसा गंवाने वाले गरीब निवेशकों की मदद के लिए 500 करोड़ रुपये का कोष गठित करने की घोषणा की है।राज्य सरकार ने इसके लिए कल सिगरेट पर वैट की दर 15 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी करने की घोषणा की।


आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि विभाग समूह की जांच करेगा, भले ही वह पिछले साल से पश्चिम बंगाल में इसी तरह के पांच अन्य मामलों की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रवर्तकों, निवेशकों और प्रमुख एजेंटों के बयान दर्ज करने एवं दस्तावेज पेश करने के लिए जल्द ही उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग शारदा समूह के चेयरमैन सुदीप्तो सेन और उसके करीबी सहयोगियों के कारोबारी एवं व्यक्तिगत खातों एवं समूह की विभिन्न निवेश स्कीमों के लेनदेन की भी जांच करेगा। विभाग समूह के सभी बैंक ड्राफ्टों एवं सावधि जमाओं की जांच कर उनमें अनियमितताओं का भी पता लगाएगा।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में शारदा समूह द्वारा शुरू की गई विभिन्न निवेश स्कीमों के निवेशक और एजेंट समूह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में भी जोर पकड़ चुका है और विभिन्न राजनीतिक दल जमा स्वीकारने की फर्जी गतिविधियों पर पर्याप्त लगाम नहीं लगाने के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। विभाग इससे पहले 2011 में पश्चिम बंगाल के असनसोल में इसी तरह के 150 करोड़ रपये के चिटफंड घोटाले को उजागर कर चुका है। इसके बाद कुछ और कंपनियों पर भी उसकी निगरानी बढ़ी है।विभाग की जांच के दायरे में कई निवेश एजेंट भी हैं जिन्होंने बढ़चढ़कर समूह की निवेश योजनाओं का प्रचार किया। इस तरह की चिटफंड योजनाओं को बंगाल में 'पोंजी योजना' कहा जाता है। उधर, बाजार नियामक सेबी ने भी शारदा समूह की धन जुटाने की गतिविधियों की जांच पड़ताल शुर की है।


कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने गुरुवार सुबह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक में शारदा समूह की जांच कराने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में अन्य चिट फंड कंपनियों के गोरखधंधों को रोकने के उपायों पर भी चर्चा की गई। इस जांच के बारे में औपचारिक घोषणा जल्द संभव है।पूरे देश में जो आनन फान कंपनियां खोलकर दिनदहाड़े डाका डालने वाली दूसरी कंपनियों की कब जांच करेंगे पायलट?कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पहले भी पश्चिम बंगाल के 12 कंपनी समूहों की कुल 73 कंपनियों के खिलाफ शिकायतें मिली थीं। इनमें शारदा समूह की भी इकाइयां शामिल हैं। इन शिकायतों को संबंधित मंत्रालयों और विभागों को प्रेषित कर दिया गया था।


लेकिन इसके विपरीत आम लोगों को आ.कर विभाग बख्शता नहीं है। मसलनअगर आपके पास 50,000 रुपये से ज्यादा नकदी हो तो आयकर विभाग आप तक पहुंच सकता है। विभाग आयकर रिटर्न के नए फॉर्म में गैर-वेतनभोगी लोगों से 50,000 रुपये से ज्यादा की नकदी के बारे में ब्योरा देने को कह सकता है।


यही नहीं, अगर आपके पास वाहन, विमान, नौका या पाल नौका है तो उसके बारे में भी विभाग ब्योरा मांग सकता है। उसकी नजर कलाप्रेमियों पर भी होगी। अगर आपके पास कोई पेटिंग, चित्रकला, मूर्ति या पुरातात्त्विक महत्त्व की वस्तुओं का संग्रह हो तो रिटर्न में इस संबंध में भी जानकारी मांगी जा सकती है। बेहतर प्रतिफल की आस में सोना खरीदने वाले लोगों पर भी विभाग की गाज गिर सकती है। उनसे आभूषण या सोने व अन्य बहुमूल्य धातुओं से बनी किसी भी चीज का भी ब्योरा मांगा जा सकता है। इसके अलावा, विभाग आपके नाम से जमीन, भवन, जमा रकम, बीमा और शेयर के अलावा आपके द्वारा दिए गए कर्ज या अग्रिम के बारे में भी जानकारी ले सकता है। करदाताओं को परिसंपत्तियों की लागत का ब्योरा देने के बाद आवेदन के एक कॉलम में देनदारियों का भी जिक्र करना होगा।


अधिकारी ने बताया कि आयकर रिटर्न में तथ्यों को छिपाना अब आसान नहीं होगा क्योंकि विभाग आपके द्वारा दी गई सूचनाओं का मिलान अन्य स्रोतों से मिली जानकारियों से भी कर सकता है। इस बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना है।


नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'इस तरह का फॉर्म गैर-वेतनभोगी करदाताओं, खासकर धनाढ्य लोगों के लिए होगा, क्योंकि बहुत से ऐसे करदाता हैं जो अपनी सही आय का उल्लेख नहीं करते हैं।Ó 2012-13 में संपत्ति कर संग्रह 866 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद जताई गई है। वित्त मंत्रालय ने 2013-14 में संपत्ति कर संग्रह के मद में 950 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। वेतन से इतर आमदनी वाले व्यक्तिगत करदाताओं को आईटीआर3 और आईटीआर4 दाखिल करना होगा।


दूसरी ओर,सरकार की ओर से मई माह में यूनियन बजट की व्यवस्था को लागू करने के लिए दी जाने वाली हरी झंडी के बाद लागू होगा नया टैक्स  10 हजार से 1 लाख तक की आबादी वाले शहरों के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाली सब-अर्बन कृषि भूमि की बिक्री पर फ्लैट 20 प्रतिशत कैपिटल गेन टैक्स लगाए जाने की संभावना है।एग्रीकल्चर जमीन की बिक्री पर भी अब आयकर देना होगा। ये नियम उन गांवों पर भी लागू होने जा रहा है, जहां की आबादी दस हजार से अधिक है। इस साल के आम बजट में कैपिटल गेन का ये नया नियम बनाया गया है। अगले महीने सरकार की मुहर लगने के बाद ये नियम लागू हो जाएगा। पहले सीमित शहरों में ही जमीन थी कैपिटल गेन के दायरे मेंअब तक देश में सीमित शहरों की म्यूनिसिपल लिमिट की बाहरी जमीन ही कैपिटल गेन के दायरे में होती थी। आयकर विभाग इस खेती वाली जमीन को अर्बन लैंड ही मानता था। लेकिन इस बार नियमों में बदलाव कर दिए गए हैं।केंद्र सरकार की ओर से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पेश किए गए बजट की व्यवस्था को यदि मई माह में लागू कर दिया गया तो जिला शहीद भगत सिंह नगर के नवांशहर, बलाचौर, बंगा व राहों नगर परिषदों की हद के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों की कृषि भूमि कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आ जाएगी। यूनियन बजट की इस व्यवस्था पर मई माह के दौरान अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है और इसके बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। हालांकि आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल उन्हें इस बारे में कोई भी लिखित जानकारी सरकार की ओर से नहीं भेजी गई है, लेकिन यदि इस व्यवस्था को लागू किया जाता है तो निश्चित तौर पर यह क्षेत्र कैपिटल गेन के दायरे में आ जाएंगे।


जनगणना विभाग की लेटलतीफी का फायदा लाखों किसानों को आयकर छूट के रूप में मिलने जा रहा है। यह एक साल तक मिलता रहेगा।

दरअसल बजट में गांवों की जमीन खरीदी-बिक्री को आयकर दायरे में शामिल करने में नगरीय निकाय सीमा के बंधन का दायरा बढ़ाकर जनसंख्या आधारित कर दिया गया था।लेकिन जारी नियमों के अनुसार जनसंख्या वह मानी जाएगी, जो अधिसूचित हो। 2011 की जनसंख्या के आंकड़े तो जारी कर दिए गए, लेकिन अधिसूचित नहीं किए गए हैं। ऐसे में कई गांवों की १० साल पहले की जनसंख्या ही मानी जाएगी।


नोकिया और रॉयल डच शेल के बाद अब आयकर विभाग ने विश्व की दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को भी नोटिस थमा दिया है। विभाग ने इस नोटिस में वर्ष 2005-06 से लेकर चार वर्षो में कंपनी की भारतीय यूनिट से हुई आय की जानकारी मांगी है। यह नोटिस खासकर कंपनी के भारत स्थित शोध एवं विकास [आरएंडडी] केंद्रों में विकसित सॉफ्टवेयर से हुई आय को लेकर है। ये सॉफ्टवेयर दुनियाभर में बेचे गए हैं।इस बारे में माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने कहा कि इस मसले के समाधान के लिए उसने अपीलीय फोरम में अपील की है। कंपनी अपने संचालन वाले सभी देशों में टैक्स कानूनों का पालन करती है। आयकर विभाग ने अपने नोटिस में अमेरिकी कंपनी को भारतीय यूनिट से हुए लाभ की राशि नहीं बताई है। आरएंडडी केंद्रों और सॉफ्टवेयर कंपनियों की ऑनसाइट सेवाओं की आय पर टैक्स आकलन और सेफ हार्बर प्रावधानों को अंतिम रूप देने के लिए सरकार ने पिछले साल एन रंगाचारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। सेफ हार्बर सिद्धांत ट्रांसफर प्राइसिंग से संबंधित विवादों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाई जाने वाली डिस्क्लोजर प्रक्रिया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी टैक्स देनदारी कम करने के लिए ट्रांसफर प्राइसिंग का सहारा लेती हैं।


इस साल मार्च में आयकर विभाग ने फिनलैंड की मोबाइल हैंडसेट निर्माता नोकिया को 2,000 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस दिया था। इसी तरह फरवरी, 2012 में रॉयल डच शेल की भारतीय इकाई पर शेयर ट्रांसफर सौदे में अपने शेयरों की कीमत 15,220 करोड़ रुपये कम दिखाकर चोरी करने का आरोप लगाया था।


वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि वोडाफोन के साथ 11,200 करोड़ रुपए कर विवाद निपट जाने के बाद सरकार आयकर कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव करेगी।हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संसद के मौजूदा बजट सत्र में इस प्रकार का संशोधन लाये जाने की संभावना कम ही है।चिदंबरम ने  संवाददाताओं से कहा,'आयकर कानून में संशोधन जरूरी है। सवाल है हम इसे कब आगे बढ़ाते हैं।' उन्होंने कहा,'मेरा प्रस्ताव यह है कि पहले वोडाफोन विवाद का संभावित हल निकलने दीजिए और तब संशोधन प्रस्ताव संसद में पेश किया जाए।'


ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी उच्चतम नयायालय में कर मामले में कानूनी लड़ाई जीत गयी थी, पर सरकार ने पूर्व की तारीख से आयकर कानून में संशोधन किया ताकि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के प्रभाव को समाप्त किया जा सके।उसके बाद आयकर विभाग ने जनवरी में वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी को पत्र जारी कर ब्याज के साथ 11,217 करोड़ रुपये का कर भुगतान करने को कहा।हालांकि वोडाफोन ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उसका भारत सरकार से कुछ भी लेना-देना नहीं है।शुरू में वोडाफोन मामले में भारत को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में ले जाना चाहती थी लेकिन बाद में मामले में सुलह का प्रस्ताव दिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल इस पर निर्णय करेगा।


चिदंबरम ने कहा, 'मंत्रिमंडल नोट पर प्रतिक्रिया मिल जाती है, उसे मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।'


टैक्स चोरी से बाज नहीं आने वाले लोगों को अब आयकर विभाग सबक सिखाने की पुख्ता तैयारी कर रहा है। विभाग ने लगातार कर चोरी करने वाले और बड़े टैक्स चोरों के नाम और पते अब अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का फैसला लिया है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।


केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों के साथ इस मसले पर हुई एक बैठक में कर चोरों के खिलाफ अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इसके तहत टैक्स की बड़ी रकम चुराने वाले और बार-बार कर चोरी करने वाले लोगों के नाम उजागर करने का निर्णय लिया गया। इस अधिकारी के मुताबिक, विभाग कर चोरी करने वाले लोगों की पहचान के लिए सभी कदम उठा रहा है। करदाताओं को नोटिस भेजकर उन्हें स्वयं अपना बकाया कर चुकाने को कहा है। लेकिन कुछ मामलों में कार्रवाई मुश्किल है। ऐसे लोगों को खोजने के लिए जनता की मदद ली जाएगी और कर चोरों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी। विभाग कुछ डिफाल्टरों के नाम अखबारों और टीवी पर भी प्रसारित करने के विकल्पों पर विचार कर सकता है, मगर यह कदम अंतिम विकल्प के रूप में उठाया जाएगा। कर चोरों के बारे में सूचना देने वालों के लिए भी एक नई आकर्षक योजना शुरू की जाएगी। वित्त वर्ष 2012-13 में 41,115 करोड़ के बकाया कर की वसूली का लक्ष्य था। इसमें से सिर्फ 13,432 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके।


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