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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, April 27, 2013

मिलेगा न्याय?अब केंद्र भी कानून के छोटे पड़ गये हाथ को खींचकर लंबा बनाने की मकसद से नया कानून बनाने की तैयारी में!

मिलेगा न्याय?अब केंद्र भी कानून के छोटे पड़ गये हाथ को खींचकर लंबा बनाने की मकसद से नया कानून बनाने की तैयारी में!


ईडी ने शारदा फर्जीवाड़ा मामले की जांच तो शुरू की है लेकिन पश्चिम बंगाल के बजाय असम से!इतनी सारी एजेंसियों से जांच कराने के बाद भी क्या हासिल होगा?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


दीदी ने अपने करीबी लोगों  जिनमें मंत्केरी से लेकर सांसद तक शामिल है ौर परिवर्तन पंथी विश्वविख्यात चित्रकार शुभोपसन्न भी, फंसे होने के​​ बाद बाकायदा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नयी बोतल में पुरानी शराब पेश करने के अंदाज में २००३ से लंबित वेधयक को नयी शक्ल में पेश करके न्याय दिलाने का वायदा कर रही हैं और इस घोटले के लिए पहले पूर्ववर्ती वामसरकार को जमकर कोस लेने के बाद गोला बारुद का निशाना केंद्र सरकार को बनया हुआ है तो केंद्रसरकार जिस कांग्रेस की है, उसे भी बंगाल और बाकी देश में अगला लोकसभा चुनाव लड़ना है। जाहिर हैकि अब केंद्र भी कानून के छोटे पड़ गये हाथ को खींचकर लंबा बनाने की मकसद से नया कानून बनाने की तैयारी में है। चिट फंड कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार कानून में कुछ फेरबदल का मन बना रही है। वित्त मंत्रालय की संसद के मौजूदा सत्र में चिट फंडों को रेगुलेट करने के लिए बिल को पारित कराने की योजना है।बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती वबंडर कहीं दिल्ली का किला ढहा न दें,उसका चाकचौबंद इंतजाम किया जाना है।इस बिल के तहत इंवेस्टमेंट स्कीम पर नजर रखने के लिए केवल एक रेगुलेटर होगा। नया रेगुलेटर बनाने की बजाय सेबी को ही इंवेस्टमेंट स्कीम्स को कंट्रोल करने का अधिकार दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि जिस तरह के फर्जी फंड के जरिए लोगों को ठगा जा रहा है ऐसे में कड़े कानून लाना जरूरी है।इसलिए चिट फंड के साथ-साथ सेबी एनबीएफसी, निधी और को-ऑपरेटिव्स को भी रेगुलेट करेगा। साथ ही इन सभी संस्थाओं को कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम के तहत लाया जाएगा। फिलहाल सेबी एक्ट 1992 के तहत 11एए में सीआईएस आता है लेकिन इस सेक्शन में ऐसी संस्थाओं को शामिल नहीं किया गया है।


सेबी, आरबीआई, एसएफआईओ, ईडी, आयकर विभाग ने पूर्वी भारत में कई पॉन्जी स्कीम की जांच शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय ने भी प्रेस रिलीज जारी करके बताया कि सेबी मामले की जांच कर रही है। सेबी ने कंपनी को निवेशकों के पैसे 3 महीने लौटाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं सेबी ने सारदा ग्रुप को कारोबार समेटने का आदेश दिया है।



वित्तीय प्रबंधन ने देरी से जांच शुरु की है। आयकर विभाग के मुताबिक शारदा समूह ने निवेशकों से ७० हजार करोड़ लूट लिये। अब तक केंद्रीय एजंसियां सो रही थीं।आकाओं का हुकुम न हो तो घोड़ अस्तबल में ही बंद रहेंगे। हिनहिनायेंगे। मगर दौड़ने के लिए कोई मौका नहीं मिलेगा। मौका आने पर घोड़े सरपट दौड़ते हैं। केंद्रीय एजंसियां चाबुक की फटकार के मारे खूब दौड़ने लगी हैं। समां बांधा जा रहा है, वसंत बहार की तरह कि न्याय होकर रहेगा। पर मौके पर जांच तो कानपूरी से आगे बढ़ ही नहीं  रही है। सुदीप्त और देवयानी से फूल लाइट सघन पूछताछ के अलावा । जो हो रहा है , उसका सही परिप्रेक्ष्य इसीसे समझा जा सकता है कि ईडी ने शारदा फर्जीवाड़ा मामले की जांच तो शुरू की है लेकिन पश्चिम बंगाल के बजाय असम से! जाहिर है कि शारदा मामले हर संभव एजेंसी इसकी जांच में जुट गई हैं। लेकिन सवाल है कि इतनी सारी एजेंसियों से जांच कराने के बाद भी क्या हासिल होगा? मिलेगा न्याय? गौरतलब है कि स्पीक एशिया, स्टॉक गुरू, सिटी लिमोजीन, एमू फार्मिंग, गोट फार्मिंग, टीक प्लांटेशन जैसी सुनहरे सपने दिखाने वाली कंपनियों में निवेश करने वाले आज तक अपनी गाढ़ी कमाई की वापसी की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में सारदा चिट फंड मामले में नतीजा क्या निकलकर आएगा इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।जांच एजेंसियां मामले की जांच भी करती है, मामले अदालत तक भी जाते हैं। लेकिन गुनाहगारों को ना तो कड़ी सजा मिलती है ना ही ठगे गए लोगों को उनका पैसा और शायद इसीलिए ठग लोगों को ठगने की नई-नई स्कीम बनाते रहते हैं और मासूम लुटते रहते हैं।केंद्र सरकार ने आज कहा कि आकषर्क योजनाओं के जरिये भोले भाले निवेशकों को ठगने की कारगुजारियों के खिलाफ सेबी, रिजर्व बैंक, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय सहित विभिन्न एजेंसियों ने कारवाई शुरू कर दी है। सरकार ने यह भी कहा है कि उसने पश्चिम बंगाल की चिट फंड कंपनी शारदा समूह के खिलाफ मनी लांड्रिंग-रोधी सहित विभिन्न कानूनों के तहत कारवाई शुरू की है।वित्त मंत्रालय ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सामूहिक निवेश योजनाओं से जुड़े 59 मामलों में अभियोजन की कारवाई शुरू की है जबकि कापरेरेट कार्य मंत्रालय भी विभिन्न कानूनों के उल्लंघन के मामले में शारदा समूह की जांच कर रहा है।मंत्रालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय ने भी कोलकाता स्थित शारदा समूह और उसके प्रमुख सुदीप्त सेन तथा अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त होने के संदेह का मामला दर्ज किया है।


चिटफंड कंपनी शारदा की धोखाधड़ी को लेकर हंगामे के बीच सरकार ने सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को पश्चिम बंगाल के तीन और ग्रुपों की जांच करने का आदेश दिया है। इन ग्रुपों पर अलग-अलग योजनाओं में निवेशकों से पैसा लेकर उनके साथ धोखाधड़ी करने का शक है।डिपार्टमेंटल लेटर के अनुसार एसएफआईओ को शारदा सहित चार कारोबारी ग्रुपों के खिलाफ जांच करने को कहा गया है। शारदा ग्रुप पर लोगों से बड़े पैमाने पर पैसा लेकर उनके साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है। कुल मिलाकर 50 से ज्यादा कंपनियों के खिलाफ जांच की जाएगी जिसमें शारदा ग्रुप की 14 कंपनियां शामिल हैं।कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा एसएफआई को भेजे गए लेटर के अनुसार इसके अलावा तीन अन्य ग्रुप रोज वैली, आईकोर ई-सर्विसेज और सनशाइन इंडिया लैंड डिवेलपर्स हैं। पश्चिम बंगाल के कंपनी रजिस्ट्रार से मिली रिपोर्ट के आधार पर जांच के आदेश दिए गए हैं। एसएफआईओ से कंपनियों के खिलाफ जांच में बतौर इंस्पेक्टर काम करने के लिए अधिकारियों की टीम की पहचान करने को कहा गया है ताकि उनकी नियुक्ति के संबंध में औपचारिक आदेश जारी किया जा सके। मंत्रालय ने गुरुवार को चिटफंड योजनाओं के नाम पर अलग-अलग कंपनियों द्वारा वसूले जाने वाले पैसे के मामले में धोखाधड़ी की जांच के लिए एसएफआईओ के अंतर्गत विशेष कार्यबल गठित करने का निर्णय किया था।


मंत्रालय के निर्देश के अनुसार शारदा ग्रुप की 14 कंपनियों के खिलाफ जांच की जाएगी। इनमें शारदा रियल्टी इंडिया, शारदा एग्रो डिवेलपमेंट, शारदा एक्सपोर्ट, शारदा कंस्ट्रक्शन कंपनी, शारदा गार्डन रिजॉर्ट ऐंड होटेल शामिल हैं। इसके अलावा सनशाइन इंडिया लैंड डिवेलपर्स ग्रुप की नौ, आईकोर ई-सर्विसेज लिमिटेड ग्रुप की 11 और रोज वैली ग्रुप की 19 कंपनियां हैं जिनके खिलाफ एसएफआईओ जांच करेगा।


सूत्रों ने कहा कि जांच के आगे बढ़ने के साथ इसमें अन्य राज्यों की कंपनियों को भी शामिल किया जा सकता है।सूत्रों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर कंपनियां वास्तव में चिटफंड के रूप में रजिस्टर्ड नहीं हैं और उनकी गतिविधियों की प्रकृति 'मल्टिलेवल मार्केटिंग' के तरीके की है। सामूहिक निवेश या इसी तरह की अन्य योजनाओं को व्यापक तौर पर 'पोंजी' योजनाओं के नाम से जाना जाता है। सेबी भी पश्चिम बंगाल के शारदा ग्रुप की कुछ कंपनियों और पूर्वोत्तर राज्यों की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहा है।


जबकि जमीनी हकीकत यह है कि चिट फंड के नाम पर लोगों की गाढ़ी कमाई लुटने वालों की फेहरिस्त केवल शारदा समूह तक ही सीमित नहीं है। देश भर ऐसे धोखेबाजों की तादाद कुकुरमुत्ते की फसल की तरह बढ़ती जा रही है।चिट फंड की दुनिया में अब विदेशी कारोबारी भी शामिल हो गए है जो विदेश में बैठकर भारत के निवेशकों को धोखा दे रहे है। इस सूची में एक रूसी कारोबारी का नाम सामने आया है, जिसका ट्रेक रिकार्ड अपराधिक रहा है, जिसने टैक्स चोरी और जाली पासपोर्ट के लिए 4 साल की सजा काटी है। और अब भारत में mmmindia.in वेबसाइट के जरिए 1 लाख लोगों से अब तक तकरीबन 1,000 करोड़ रुपये लूट चुका है।इस वेबसाइट में अगर आप देखे तो इंसानियत और सोशल सर्विस पर लंबी चौड़ी बोल्ड शब्दों में व्यख्यान किया गया है। एक दूसरे की मदद करने के नाम पर हर एक निवेशकों से 5,000 रुपये लिये जा रहे है। दिलचस्प बात ये है कि इस वेबसाइट पर बकाया रेट के नाम से कॉलम बना है जिसमें 5,000 के निवेश पर 3 महीनें के भीतर 44,000 रुपये का रिटर्न का दावा किया गया है और 12 महीने में वहीं रकम 3 करोड़ रुपये तक पहुंचने का भी ब्यौरा इस साइट पर डाला हुआ है।शारदा समूह  चिट फंड घोटाले के बाद सरकार सतर्क हो गई है। चिट फंड कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार कानून में कुछ फेरबदल का मन बना रही है। वित्त मंत्रालय की संसद के मौजूदा सत्र में चिट फंडों को रेगुलेट करने के लिए बिल को पारित कराने की योजना है।संपर्क के नाम पर वेबसाइट की आईडी और कॉल सेंटर नंबर दिये हुए है, जिसमें से आधे सेवा में नहीं है, और कुछ आपको पहले इस वेबसाइट में खाता खोलने की सलाह देते है। भारत में इसके ऑफिस का कोई ठिकाना नहीं दिया हुआ है, आनलाइन सिस्टम जैसे स्काइप और गुगल प्लस के जरिए निवेशकों से बात होती है। इसी मामले पर बीजेपी नेता किरिट सोमइया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी, कि कैसे सिर्फ कोलकत्ता में ही नहीं चिट फंड की धोखाधड़ी का जाल महाराष्ट्र तक पहुंच गया है।


इसके विपरीत दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिट-फंड कारोबार पर सेवाकर लगाने की केंद्र की अधिसूचना यह कहते हुए रद्द कर दी कि भागीदारों के बीच चिट राशि की नीलामी करने वाले एक फोरमैन का कार्य वित्त कानून में उपलब्ध 'सेवा' की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है।नये प्रस्तावित कानूनों को  अदालत में चुनौती दी जा सकती है। तब क्या होगा? फिलहाल उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी से कहा है कि देश में बाजार व्यवस्था का दुरपयोग बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट संदेश देने के लिये जोड़ तोड़ और भ्रामक आचरण में लिप्त कंपनियों से सख्ती से निपटा जाये।


न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति आर.वी. ईश्वर की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ''सांविधिक प्रावधानों की विवेचना करने पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चिट.फंड कारोबार में फोरमैन द्वारा दी गई सेवाओं पर कोई सेवाकर नहीं लगाया जा सकता।'' पीठ ने कहा, ''भारत सरकार के वित्त मंत्रालय :राजस्व विभाग: द्वारा 20 जून, 2012 को जारी अधिसूचना रद्द की जाती है।'' दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला दिल्ली चिट.फंड एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर आया जिसमें वित्त कानून, 1994 के तहत एक प्रावधान को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। चिट-फंड कारोबार को नए कानून के तहत करयोग्य बनाने के लिए इस प्रावधान को एक जुलाई, 2012 को लागू किया गया था।


पीठ ने संबंधित मामले में कानून के प्रावधानों पर विचार करते हुये कहा ''चिट व्यावसाय में भाग लेने वालों द्वारा अपना योगदान धन के किसी एक रूप में ही दिया जाता है, जैसा कि वित्त अधिनियम की धारा 65बी.33 में परिभाषित किया गया है।'' पीठ ने आगे कहा ''इस लिहाज से यह एक तरह से धन का लेनदेन हुआ।'' इस आधार पर कि चिट व्यवसाय में फारमैन की सेवायें सेवाकर योग्य है, सेवा कर नहीं लगाया जा सकता।



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