Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, June 27, 2013

कोयला दाम निर्धारण में कोल इंडिया के वर्चस्व का जमाना खत्म

कोयला दाम निर्धारण में कोल इंडिया के वर्चस्व का जमाना खत्म


राजनीतिक और कारपोरेट लाबिइंग ने रंग दिखाया,कोयला मंत्रालय ने नहीं दिया साथ।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​   


कोयला दाम निर्धारण में कोल इंडिया के वर्चस्व का जमाना खत्म हुआ। यूनियनों के प्रबल विरोध के चलते विनिवेश और विभाजन का फैसला टलते जाने के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला नियामक यानि कोल रेगुलेटरी बोर्ड की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है। अब कोयला नियामक कोयला मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया तय करेगा। कोल इंडिया एकतरफा तौर पर कोयले का दाम न बढ़ाये, इसके लिए जोरदार राजनीतिक और कारपोरेट लाबिइंग चल रही थी। यूनियनों और  अफसरों के आंदोलनकारी  तेवर से निपटने में व्यस्त कोल इंडिया प्रबंधन इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाया और न ही कोयला मंत्रालय उसके हक में खड़ा हुआ।इससे बिजली और इस्पात कंपनियों को भारी राहत मिल गयी है।कोल इंडिया कोयला के मूल्य निर्धारण के लिए जनवरी तक यूएचवी प्रणाली अपना रही थी। इसके तहत कोयले को ए से लेकर जी तक 7 श्रेणियों में बांटा जाता था। लेकिन काफी विरोध प्रदर्शन के बाद मूल्य वृद्धि हो हाल में वापस ले लिया गया है। फिलहाल कोयले के मूलय निर्धारण के लिए कोल इंडिया जीसीवी प्रणाली अपना रही है। इसके तहत प्रति किलो कोयले में 300 किलो कैलोरी के ब्रैंडविड्थ के आधार पर 17 स्लैब तैयार किए गए हैं। बहरहाल, कोल इंडिया के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल जीसीवी प्रणाली को वापस लेने की कोई योजना नहीं है।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला नियामकीय विधेयक, 2012 के मसविदे को तुरत फुरत पास कर दिया है, जिसे विभिन्न समितियों और विशेषज्ञों टीमों ने लंबी कवायद के तहत तैयार किया है।मूल्य निर्धारण के अलावा कोयला आपूर्ति और गुणवत्ता संबंधी विवादों के निपटारा का भी कोयला नियामक को हक होगा। अब तक इस सिलसिले में सीसीआई का फैसला ही अंतिम हुआ करता था। विधेयक मसविदा को मंत्रियों की एक टीम ने पहले ही मंजूर किया हुआ है और अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसपर अपनी मुहर लगा दी है। कोयला नियामक बनने के बाद आपूर्ति और गुणवत्ता के मामलों में भी कोल इंडिया का पक्ष कमजोर होगा,ऐसी आशंका है।


गौरतलब है कि कोयला नियामक इस ईंधन के मूल्य, नमूने तथा अन्य व्यवहार की निगरानी करेगा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अगुवाई वाली अंतर मंत्रालीय समिति की बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया। मंत्री समूह की बैठक में देश में कोयले की गुणवत्ता और इस क्षेत्र से जुड़े मुद्दों की निगरानी के लिए कोयला नियामक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल। समिति में सदस्य कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने तब कहा कि बातचीत जारी है और सरकार जल्द कोयला नियामक की नियुक्ति कर सकती है। जायसवाल ने कहा कि हमने इस मसले पर विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है इसे मंत्री समूह की बैठक में अंतिम रूप दे दिया जाएगा।' कोल इंडिया लिमिटेड और बिजली कंपनियों के बीच ईंधन आपूर्ति समझौते को लेकर हुए विवाद के बाद केंद्रीय बिजली मंत्री ने कोयला नियामक स्थापित करने की मांग की  ताकि कोयले के आवंटन और मूल्य संबंधी मुद्दों को आसानी से निपटाया जा सके। उन्होंने कहा कि नियामक यह भी तय करेगा कि सकल कैलोरी मान (जीसीवी) प्रणाली को अपनाया जाए या नहीं।इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोछड़ के नेतृत्व वाले उप-समूह ने सभी चालू विद्युत परियोजनाओं से संबद्ध कोयला खरीद एवं मूल्य निर्धारण प्रणाली (सीपीपीएम) के तेज कार्यान्वयन की वकालत की है।उप-समूह ने तेज मंजूरी प्रक्रिया, खनन विकास परिचालन, व्यावसायिक खनिकों और कोयला आयात पर निर्भरता घटाए जाने के लिए निजी खदानों से अतिरिक्त कोयले की बिक्री की नीति के जरिये घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है।इसके अलावा उप-समूह ने यह भी सुझाव दिया है कि गैस आपूर्ति समझौते और दीर्घावधि पीपीए की अवधि में असमानताओं को दूर किए जाने के लिए गैस आधारित विद्युत खरीद के लिए उक अलग स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट (एसबीडी) की स्थापना के साथ सरकारी कंपनी गेल इंडिया को पूल ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया जाएगा। गैस आधारित स्टेशनों से बिजली खरीदने के लिए बिजली खरीद एवं दरों पर एक अलग नीति बनाई जाएगी।


गौरतलब है कि मंत्रियों की टीम ने कोयला मूल्य निर्धारण का अधिकार उत्पादक के पास ही रखने की सिफारिश की थी। लेकिन लाबिंइग के चलते इस सिफारिश को खटाई में डाल दिया गया।कोयला मूल्य निर्धारम के सिद्धांतों,विधियों को तय करने और विवादों के निपटारे के अधिकार देकर प्राधिकरण के फैसले को ही अंतिम मानने के प्रवधान कर दिये गये हैं। कोल इंडिया मूल्य निर्धारण अवश्य करेगा लेकिन प्राधिकरण के सिद्धांतों और विधियों के मुतबिक ही। विवादों के निपटारे का अधिकार होने के कारण प्राधिकरण को कोल इंडिया के किसी भी फैसले में हस्तक्षेप करते रहने का अवसर बना रहेगा।


इसी बीचआर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। नैचुरल गैस की कीमतों पर सी रंगराजन कमेटी की सिफारिशें मंजूर की गई हैं। प्राकृतिक गैस की कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़ाकर 8.4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की गई है। बढ़ी हुई कीमतें अप्रैल 2014 से लागू होंगी। हर 3 महीने में कीमतों की समीक्षा की जाएगी।


इस फैसले से रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओएनजीसी, केर्न इंडिया और ऑयल इंडिया को फायदा होगा। हालांकि, फर्टिलाइजर और पावर कंपनियों को नुकसान होगा।इसके अलावा सीसीईए ने धान के एमएसपी में 60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने को मंजूरी दी है। अब 2013-14 के लिए धान का एमएसपी 1310 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। वहीं, सीबीआई के अधिकार बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV