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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, June 1, 2016

ग्राउंड दलित रिपोर्ट- 2 (धाकड़खेडी) जहाँ दलित अब भी सामाजिक बहिष्कार झेल रहे है .

ग्राउंड दलित रिपोर्ट- 2

(धाकड़खेडी) 
जहाँ दलित अब भी सामाजिक बहिष्कार झेल रहे है .
....................

भीलवाडा जिले के मांडलगढ़ तहसील में एक गाँव है धाकड़खेडी , जो लगभग 250 परिवारों का गाँव है, जहाँ 150 के लगभग धाकड़ जाति के परिवार है जबकि 30 से 35 परिवार दलित समुदाय के है! दलित परिवारों में से अधिकतर इन्ही धाकड़ जाति के खेतों में मजदूरी करते है!कुछ दलित परिवार ऐसे है जो स्वयं का रोजगार कर जीवनयापन करते है शायद यही बात इन धाकड़ जाति के लोगो और अन्य गैर दलितों से बर्दास्त नहीं हुयी और इसी बात को लेकर गैर दलितों द्वारा इन दलित परिवारों को सबक सिखाने का मौका तलाश किया जा रहा था और वो मौका उन्हें मिल गया! 
मौका था एक सरकारी शिक्षक मांगी लाल धाकड़ के द्वारा अपनी माताजी के गंगोज (म्रत्युभोज) कार्यक्रम का! भोजन गाँव के ही एक सार्वजानिक मार्ग पर आयोजित किया जा रहा था क्यों की सार्वजानिक मार्ग था तो लोग उसी रास्ते से अपने घरों को जा रहे थे, उसी वक़्त दलित समुदाय के दिनेश रेगर भी उन्ही लोगों के पीछे अपनी मोटरसाईकिल से उसी मार्ग से निकल गए बस यही बात धाकड़ लोगो को नागवार गुजरी और दुसरे ही दिन मांगी लाल धाकड़,छीतर धाकड़,कैलाशचंद्र,प्यारचंद धाकड़ आदि लोगों ने जाति पंचायत बुलाकर दिनेश रेगर को भी बुलावा भेजा ! जाति पंचायत में दिनेश रेगर और उनके बड़े भाई लादू रेगर शामिल हुए !उनके आते ही लोग उन पर चिल्लाने लगे और कहा की तुम्हे गाँव में रहते हुए इतने साल हुए लेकिन अभी तक हमारे साथ कैसे रहा जाये उसका सलीका तुम्हे नहीं आया! एक तरफ जाति पंचायत में 200 लोग थे तो दूसरी तरफ सिर्फ दिनेश व् लादू रेगर! लोगों की भीड़ को देखकर लादू रेगर ने अपने भाई की तरफ से बिना गलती के भी माफ़ी मांगी लेकिन लोगों ने कहा की माफ़ी से काम नहीं चलेगा तो लादू रेगर ने कहा की तो कोई जुरमाना ले लो और हमें माफ़ करो! इस पर जाति पंचायत के सब लोग उन दोनों पर चिल्लाने लगे और कहा की हमारे दिन इतने ख़राब आ गए की हम तुम रेगरों से पैसा लेंगे और सबने उनको फरमान सुना दिया की आज से इनके परिवार को कोई दुकानों से किराने का सामान नहीं देगा और ना ही होटल से चाय पीने देगा और इसके साथ गाँव वालों को भी कह दिया कि जो भी इनको सामान देगा उनको जुर्माना देना होगा ! इस तरह लादू रेगर सहित चार दलित रेगर परिवारों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया ! इस घटना के बाद लादू रेगर ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई! मामले को अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट की धाराओं में दर्ज किया गया ,और जाँच पुलिस उपाधीक्षक जीवन सिंह को दी गयी लेकिन 1 महीने में ही मामले को फर्जी बताकर FR(फाइनल रिपोर्ट) लगा दी गयी! पुलिस उपाधीक्षक जीवन सिंह द्वारा जाँच में लीपापोती करने को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत की गयी लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गयी !आगे FR को लेकर विरोध पत्र भी कोर्ट में पेश किया गया लेकिन अभी तक सिर्फ नयी तारीखे ही सुनवाई के लिए मिल रही है! मामले को अनुसूचित जाति आयोग से लेकर मानवाधिकार आयोग तक भी ले जाया गया तथा दोनों ही आयोग द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक से मामले में जवाब माँगा गया लेकिन जवाब भेजने में भी पुलिस वाले लीपापोती करने की कोशिश कर रहे है और आये दिन लादू रेगर व् उनके भाई को डरा धमका कर मामले को फर्जी साबित करवाने के लिए जबरन हस्ताक्षर लेना चाह रहे है ! तब से लेकर अभी तक 9 महीने से लादू रेगर का परिवार गाँव से सामाजिक रूप से बहिष्कृत है, किराने के सामान से लेकर बच्चों के लिए दूध तक 3 किलोमीटर दूर सिंगोली से लाना पड़ रहा है!यहाँ तक की पीड़ित परिवार के खेतों को जोतने के लिए जो ट्रेक्टर पहुंचे उनको भी धाकड़ समाज के लोगों ने खेत जोतने से मना कर दिया और कहा की अगर इनके खेत जोते तो जुर्माना भरना पड़ेगा! गाँव के अन्य दलित परिवार भी दबंग धाकड़ों व् जुर्माने के डर से अपने किसी भी कार्यक्रम में लादू रेगर के परिवार को नहीं बुला रहे है! इसके अलावा उन दलित परिवारों को गाँव की सार्वजनिक हथाई पर बैठने का अधिकार नहीं,मंदिर में जाने का अधिकार नहीं और ना ही बिन्दोली निकालने का अधिकार है !
एक तरफ तो जहाँ सरकार संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी की 125वी जयंती पर हजारों कार्यक्रम आयोजित कर रही है और समानता के हजार दावे कर रही है वही दूसरी तरफ उसी सरकार के बड़े पदों पर बैठे लोग बाबा साहब के बनाये कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है और दलित समुदाय के रेगर परिवार के व्यक्ति अपने ही गाँव के सार्वजनिक मार्ग पर भी अपनी मर्जी से नहीं निकल पा रहे है!
- राकेश शर्मा
(लेखक दलित,आदिवासी व घुमन्तु समुदाय के लिए बने स्टेट रेस्पोंस ग्रुप के साथ कार्यरत है)

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