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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Thursday, June 2, 2016

Himanshu Kumar कुछ लोग मारे गए क्योंकि उनकी दाढ़ियाँ लंबी थीं . और दूसरे कुछ इसलिए मारे गए क्योंकि उनकी खाल का रंग हमारी खाल के रंग से ज़रा ज़्यादा काला था . कुछ लोगों की हत्या की वाजिब वजह यह थी कि वो एक ऐसी किताब पढते थे जिसके कुछ पन्नों में हमारी किताब के कुछ पन्नों से अलग बातें लिखी हुई थीं . कुछ लोग इसलिए मारे गए क्योंकि वो हमारी भाषा नहीं बोलते थे . कुछ को इसलिए मरना पड़ा क्योंकि वो हमारे देश में नहीं पैदा हुए थे . कुछ लोगों की हत्या की वजह ये थी कि उनके कुर्ते लंबे थे . कुछ को अपने पजामे ऊंचे होने के कारण मरना पड़ा . कुछ के प्रार्थना का तरीका हमारे प्रार्थना के तरीके से अलग था इसलिए उन्हें भी मार डाला गया . कुछ दूसरों की कल्पना ईश्वर के बारे में हमसे बिलकुल अलग थी इसलिए उन्हें भी जिंदा नहीं रहने दिया गया . लेकिन हमारे द्वारा करी गयी सारी हत्याएं दुनिया की भलाई के लिए थीं . हमारे पास सभी हत्याओं के वाजिब कारण हैं . आखिर हम इन सब को ना मारते तो हमारा राष्ट्र, संस्कृति और धर्म कैसे बचता ?

Himanshu Kumar

कुछ लोग मारे गए क्योंकि उनकी दाढ़ियाँ लंबी थीं .

और दूसरे कुछ इसलिए मारे गए क्योंकि उनकी खाल का रंग हमारी खाल के रंग से ज़रा ज़्यादा काला था .

कुछ लोगों की हत्या की वाजिब वजह यह थी कि वो एक ऐसी किताब पढते थे जिसके कुछ पन्नों में हमारी किताब के कुछ पन्नों से अलग बातें लिखी हुई थीं .

कुछ लोग इसलिए मारे गए क्योंकि वो हमारी भाषा नहीं बोलते थे .

कुछ को इसलिए मरना पड़ा क्योंकि वो हमारे देश में नहीं पैदा हुए थे .

कुछ लोगों की हत्या की वजह ये थी कि उनके कुर्ते लंबे थे .

कुछ को अपने पजामे ऊंचे होने के कारण मरना पड़ा .

कुछ के प्रार्थना का तरीका हमारे प्रार्थना के तरीके से अलग था इसलिए उन्हें भी मार डाला गया .

कुछ दूसरों की कल्पना ईश्वर के बारे में हमसे बिलकुल अलग थी इसलिए उन्हें भी जिंदा नहीं रहने दिया गया .

लेकिन हमारे द्वारा करी गयी सारी हत्याएं दुनिया की भलाई के लिए थीं .

हमारे पास सभी हत्याओं के वाजिब कारण हैं .

आखिर हम इन सब को ना मारते तो हमारा राष्ट्र, संस्कृति और धर्म कैसे बचता ?


ध्यान से देखिये इस इंसान को ၊

इस नें ही सोनी सोरी के चेहरे पर एसिड अटैक करवाया था ၊

यह छत्तीसगढ़ के मारडूम थाने का थानेदार प्रकाश शुक्ला है ၊

इसने थाने में ही सोनी पर हमले की योजना बनाई थी ၊

मोदी सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल नें छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर सन २०१६ में ज़मीनों पर पूरा कब्ज़ा करने का लक्ष्य तय किया है ၊

उसके बाद ही बीच में आने वाले पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं , वकीलों, आदिवासी नेताओं पर हमले तेज़ किये गये हैं

और आदिवासी महिलाओं के साथ पुलिस ने बार बार सामूहिक बलात्कार किये हैं ၊

उसी कड़ी में सोनी सोरी पर पुलिस नें हमला किया था .

मैं चुनौती देता हूँ ၊ या तो सरकार इस थानेदार को गिरफ्तार करे

या इस पर इल्ज़ाम लगाने के लिये मुझे गिरफ्तार करे ၊

Himanshu Kumar's photo.


आप के बच्चों के अच्छे नम्बर आये होंगे

आप बहुत खुश भी होंगे

आप अपने बच्चों को प्रेरित कर रहे होंगे कि वो बहुत बड़े आदमी बनें

आप अपने बच्चों से कहते होंगे देखो टाटा अम्बानी और अदाणी जिंदल

अपनी मेहनत से कितने बड़े आदमी बन गए हैं

आप अपने बच्चों को भी प्रेरित करते होंगे कि वे भी मेहनत करें ताकि

इन अमीरों की तरह सफल इंसान बनें और दुनिया में अपना नाम कमाएँ

लेकिन क्या सच में ये अमीर अपनी मेहनत से अमीर बने हैं ?

ध्यान दीजिए

अमीर बनने के लिए दो चीज़ें चाहियें

प्राकृतिक संसाधन और मेहनत

जितने भी सेठ हैं उन्होंने देश के संसाधनों पर कब्ज़ा किया

और मजदूर की मेहनत के दम पर अमीर बन गए

इसलिए जब कोई अमीर कहे कि वह मेहनत से अमीर बना है

तो उससे पूछियेगा किसकी मेहनत से ?

अमीर के लिए मेहनत करने वाला मजदूर जब अपनी मेहनत का पूरा मोल मांगता है

तब क्या होता है ?

तब सरकार की पुलिस जाकर अमीर की तरफ से गरीब मजदूरों को लाठी से पीटती है

और मजदूर ज़्यादा ताकत दिखाएँ तो गोली से उड़ा देती है

अगर मजदूर को उसकी मेहनत का पूरा पैसा दे दिया जाय तो कोई भी इंसान सेठ नहीं बन पायेगा

दूसरी वस्तु जो अमीरी के लिए चाहिये वह है प्राकृतिक संसाधन

प्राकृतिक संसाधनों का मालिक कौन है ?

संविधान के मुताबिक़ देश की जनता

जनता के संसाधन क्या किसी एक व्यक्ति के हवाले किये जा सकते हैं ?

क्या हजारों किसानों की ज़मीन छीन कर किसी एक उद्योगपती को सौंपी जा सकती है ?

नहीं सौंपी जा सकती है

भारत के संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांत कहते हैं

कि राज्य का कर्तव्य होगा कि वह नागरिकों के बीच समानता लाने की दिशा में काम करेगा

लेकिन अगर सरकार एक उद्योगपति के लिए हजारों लोगों की ज़मीन छीन कर उन्हें गरीब बनाती है

तो सरकार यह काम संविधान के खिलाफ़ करती है

यानि उद्योगपति संविधान के खिलाफ़ काम करके अमीर बनते हैं

इसलिए अगर आप अपने बच्चों को इन उद्योगपतियों की तरह अमीर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं

तो आप अपने बच्चों को संविधान के खिलाफ़ जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं

खैर आप को संविधान से क्या लेना देना ?

आप तो यह सब मानते ही नहीं

संविधान तो यह भी कहता है कि भारत का हर नागरिक बराबर होगा

इसका मतलब है कि टाटा और बस्तर का किसान बराबर है

और टाटा के लिए बस्तर के किसान की ज़मीन नहीं छीनी जा सकती

लेकिन आप संविधान को कहाँ मानते हैं ?

वैसे जब सरकार नक्सलवादियों की हत्या करती हैं तो आप कहते हैं कि

इन्हें इसलिए मार गया है क्योंकि यह संविधान को नहीं मानते

हम आपसे पूछते हैं कि क्या आप और आपकी सरकार संविधान को मानते हैं

नहीं आप संविधान को बिलकुल भी नहीं मानते

अगर संविधान सच में लागू हो जाय तो कोई भी इंसान सेठ नहीं बन सकता

आइये अब आपको बताते हैं टाटा सेठ के कारनामें

बस्तर में लोहंडीगुडा नामके गाँव में टाटा सेठ को एक लोहे का कारखाना लगाना है

किसान उस ज़मीन पर पीढ़ियों से खेती करते हैं

आदिवासियों नें अपनी ज़मीन छीनने का विरोध किया

कानून कहता है कि किसानों की ज़मीन लेने से पहले सरकार जन सुनवाई करेगी

जन सुनवाई गाँव में ही होनी चाहिये

लेकिन लोहंडीगुडा में टाटा का कारखाना लगाने के लिए जन सुनवाई गाँव से

चालीस किलोमीटर दूर कलेक्टर आफिस में रखी गयी

गाँव वाले जन सुनवाई में ना आ सकें इसके लिए गाँव को चारों तरफ से पुलिस नें घेर कर रखा

बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की नें अपने घर के बाहर खड़ी पुलिस का विरोध किया

तो सुरक्षा बलों के जवानों नें उस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया

सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया नें इस घटना के खिलाफ़ राष्ट्रीय महिला आयोग को शिकायत भेजी

लेकिन महिला आयोग नें कोई कार्यवाही नहीं करी

अभी हाल में ही गाँव वालों नें फिर से अपनी ज़मीनें छीनने के विरोध में एक सभा करी

इस सभा में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम को बुलाया गया

पुलिस नें घबरा कर बदमाशी करी

पुलिस नें एक गाँव में जाकर आदिवासियों को धमकाया और उन्हें ज़बरदस्ती लेकर आए

इन गाँव वालों के हाथों में तख्तियां पकड़ा दी गयीं जिन पर लिखा गया था कि मनीष कुंजाम वापिस जाओ

नक्सलवादी मुर्दाबाद

यानी जो टाटा का विरोध करेगा वह नक्सलवादी है

यानी जो किसानों की ज़मीनें बचाने की कोशिश करेगा

वह भी नक्सलवादी है

यानी जो संविधान का साथ देगा वह नक्सलवादी है

जो टाटा के लिए संविधान तोड़ेगा वह देशभक्त है

पत्रकारों नें इन विरोध करने वाले लोगों से पूछ कि आप यहाँ क्यों आये हैं ?

तो उन्होंने कहा कि हमें साहब लेकर आये हैं

लेकर आने वाले साहब , यानी थानेदार साहब भी भीड़ में सादी वर्दी में छिपे हुए थे

क्या बुरे दिन आ गए हैं कि थानेदार टाटा की नौकरी कर रहा है

और तनख्वाह जनता के टैक्स से ले रहा है

यह वही थानेदार है जिसने सोनी सोरी के मुंह पर तेज़ाब फिंकवाया है

इसी थानेदार के मारडूम थाने में पुलिस वालों नें

सोनी के मुंह पर तेज़ाब फेंकने की योजना बनाई थी

अब आपको कुछ समझ में आ रहा है

कि यह सब खेल कितना गन्दा और हिंसक है

यह नक्सलवाद से लड़ने के नाम पर सरकार असल में क्या गंदे खेल खेल रही है ?

आपको समझ में आया कि टाटा अम्बानी अदाणी जिंदल बनने के लिए

कितनी हत्याएं कितने बलात्कार और कितना भ्रष्टाचार करना पड़ता है

क्या आप अब भी अपने बच्चों को अमीर बनने के लिए प्रेरित करेंगे ?

Himanshu Kumar's photo.

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