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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, June 20, 2016

अब छाती कूटकर जितनी मर्जी स्यापा कर लीजिये,देश को तो उनने बेच दिया! बीजमंत्र का अखंड जाप करें,दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था सनातन धर्म का सनातन भारत! यह कोई भगवा झंडा वह नहीं है जो शिवाजी महाराज ने फहराया, यह भगवा वह भगवा भी नहीं है। शिवसेना का भगवा भी यह नहीं है। लाल नील लापता है और फर फर फहराता फर्जी फगवा केसरिया। हम जियें या न जियें,इससे फर्क पड़ता नहीं लेकिन बच्चों की सांस के ल

अब छाती कूटकर जितनी मर्जी स्यापा कर लीजिये,देश को तो उनने बेच दिया!


बीजमंत्र का अखंड जाप करें,दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था सनातन धर्म का सनातन भारत!


यह कोई भगवा झंडा वह नहीं है जो शिवाजी महाराज ने फहराया, यह भगवा वह  भगवा भी नहीं है।

शिवसेना का भगवा भी यह नहीं है।

लाल नील लापता है और फर फर फहराता फर्जी फगवा केसरिया।



हम जियें या न जियें,इससे फर्क पड़ता नहीं लेकिन बच्चों की सांस के लिए हमने कोई पृथ्वी बचायी नहीं हैं।हमारे बच्चे हमारे जीते जी कब कहां लावारिश मारे जायेंगे,कहना मुश्किल है। हम शोक भी मनाने की हालत में न होंगे।अपनी अति प्रिय स्त्रियों को हमने बाजार के हवाले कर दिया है।यही हिंदुत्व का असल एजंडा है।


कालजयी साहित्य लिखने वालों के कलाउत्कर्ष पर सांस्कृतिक उत्सव करते रहिये क्योंकि सत्तर के दशक से साहित्य और पत्रकारिता ने जनता को यह मुक्तबाजार दिया है!


देश रहे न रहे,मेहनतकश और किसान,दलित और आदिवासी जिये या मरे,आपका हमारा क्या?


नई पीढ़ी का समूचा संसार उड़ता पंजाब परिदृश्य है और हमने अपने बच्चों को बलि चढ़ाने की रस्म अदायगी कर दी है!

पलाश विश्वास

मीडिया की खबरों के मुताबिक आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि ग्रोथ के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था कई देशों से पीछे है। रघुराम राजन ने चेताया है कि दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है उसका असर भारत पर पड़ना तय है। अगर ब्रेक्सिट हुआ तो भारतीय इकोनॉमी को नुकसान होगा। रघुराम राजन ने मुंबई में एक लेक्चर के दौरान ये बातें कही।


बेहद अफसोस के साथ यह लिखना पड़ रहा है कि हमारे बदलाव के ख्वाब,हमारी क्रांति,हमारी विचारधारा का हश्र कुल मिलाकर यही है कि हम बिना प्रतिरोध हजारों साल से सनातन भारत का सवा सत्यानाश के राजसूय में शामिल हुए और बाजार के कार्निवाल में कबंधों के जुलूस में अपनी भावी पीढ़ियों के कटे हुए हाथ पांव और लहूलुहान दिलोदिमाग को देखने की हमारी कोई दृष्टि ही नहीं है।


बहरहाल बाजार के महानतम उपभोक्ताओं,नागरिकता के महाश्मसान में महोत्सव मनायें कि वंदनवार की तरह सुर्खियों में अब सिर्फ उड़ान है और इस पृथ्वी पर जमीन कहीं बची नहीं है।



बीजमंत्र का अखंड जाप करें,दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था सनातन धर्म का सनातन भारत।


ताजा सुर्खियां इस मृत्यु उपत्यका में अखंड महोत्सव का समां बांध रही हैं क्योंकि भरत दुनियाभर में निवेश के लिए सर्वोत्तम स्थान है और हमने सारे दरवाजे और सारी खिड़कियां विदेशी पूंजी और विदेशी सेनाओं के लिए खोल दिये हैं।


क्योंकि भारतीय लोकगणराज्य में 130 करोड़ जनता की किस्मत सोने से मढ़ दी गयी है और अच्छे दिन लहलहा रहे हैं ।क्योंकि वैदिकी राजसूय के महाजनों ने एविएशन और फूड प्रोसेसिंग में 100 फीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खोल दिया है।


गौरतलब है कि  डिफेंस, फार्मा, सिंगल ब्रांड रिटेल, ब्रॉडकास्टिंग कैरेज सर्विस और पशुपालन में भी एफडीआई के नियम आसान किए दिए हैं।


सोमवार को वैदिकी सभ्यता के सर्वोच्च पुरोहित की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये फैसले हुए। बाजार का दावा है कि कटे हुए हाथं,पांवों,लहूलुहान दिलो दिमाग और सर्वव्यापी उड़ता पंजाब के लिए इनसे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।


केंद्रीय वैदिकी कार्यालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दूसरे चरण के इस आर्थिक सुधार से भारत एफडीआई के लिए दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था बन गया है।


बयान में कहा गया है कि अब तक के उठाए गए कदमों से विदेशी निवेश बढ़ा है। यह 2013-14 में 36.04 अरब डॉलर था जो 2015-16 में 55.46 अरब डॉलर हो गया है।


यह अब तक का रिकॉर्ड है। सरकार ने इतने बड़े फैसले तब लिए हैं जब लगातार कहा जा रहा है कि रघुराम राजन के आरबीआई गवर्नर पद पर नहीं रहने से विदेशी निवेशक मायूस हो सकते हैं।


बयान में कहा गया है कि अब तक के उठाए गए कदमों से विदेशी निवेश बढ़ा है। यह 2013-14 में 36.04 अरब डॉलर था जो 2015-16 में 55.46 अरब डॉलर हो गया है।


यह अब तक का रिकॉर्ड है। सरकार ने इतने बड़े फैसले तब लिए हैं जब लगातार कहा जा रहा है कि रघुराम राजन के आरबीआई गवर्नर पद पर नहीं रहने से विदेशी निवेशक मायूस हो सकते हैं।



बीजमंत्र का अखंड जाप करें,दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था सनातन धर्म का भारत।




हम मेहनतकशों के हक हकूक,आम जनता के दुःख दर्द की क्या परवाह करें, परिवार, समाज, लोक, संस्कृति, भाषा, सभ्यता, अर्थव्यवस्था और धर्म,विचारधारा,इतिहास और दर्शन से हमारा क्या लेना देना,हम तो इतने निर्मम उपभोक्त हो गये हैं कि अपने ही बच्चों की लाशों को रौंदते हुए हम सरपट बाजार में हाथों में लपलपाती क्रयशक्ति लेकर भाग रहे हैं


राजकमल चौधरी साठ के दशक में कुछ इसी तेवर में सोनागाछी की सड़कों पर राज करते थे।अपनी अपनी जीपें खोल लें।


यह कोई भगवा झंडा वह नहीं है जो शिवाजी महाराज ने फहराया, यह भगवा वह  भगवा भी नहीं है।

शिवसेना का भगवा भी यह नहीं है।

लाल नील लापता है और फर फर फहराता फर्जी फगवा केसरिया।


गौर करें कि हमारे खून का रंग अब भगवा है और हमारी सत्तर दशक से अब तक की पीढ़ियों ने सिर्प इस महादेश,बल्कि इसकी जमीन पर जनमने वाली भावी पीढ़ियों और कायनात की तमाम रहमतों,बरकतों और नियामतों की एकमुश्त हत्या कर दी है।


संघ परिवार को अहंकार होगा और कसरिया जनता को गुमान होगा कि भारत अब हिंदू राष्ट्र है और उनके विरोधियों का पाखंड धर्मनिरपेक्षता और प्रगति के नाम,विचारधारा और आंदोलन के नाम बेमिसाल हैं,लेकिन सच यही है कि किसी को देश दुनिया या मेहनतकश आवाम,आदिवासियों,दलितों,पिछड़ों और वर्गहीन सर्वहारा की परवाह क्यों होगी क्योंकि हम सबके हाथ अपने ही बच्चों और अपनी ही स्त्रियों के खून से रंगे हैं।


जो मारे गये या मर गये,जो बलात्कार के शिकार होते रहे हैं,जो नशे में उड़ता पंजाब हैं,उनकी छोड़िये,बची खुची स्त्रियां और जिनका फोटो खूबसूरत नजारों के मध्य शेयर करते अघाते नहीं है,उनमें से कोई भी सुरक्षित नहीं है और किसी को इसका अहसास तक नहीं है।


कल तक मैं हिंदी के गौरवशाली अखबार जनसत्ता के संपादकीय में काम कर रहा था और उसअखबार का कायाक्प इतना घनघोर हुआ है कि हमारे इलाके में जो एकमात्र प्रति मरे हिस्से की थी,25 साल की नौकरी के बाद सबसे पहले उसे बंद कराया है।एक झटके के साथ पच्चीस साल के नाभि नाल का संबंध तोड़ दिया है तो समझ लीजिये कि मेरा दिलोदिमाग कितना लहूलुहान होगा।


अब इससे शायद कोई फर्क पड़े कि हम जियें या मरे,जो शुतुरमुर्ग जिंदगी हम साठ के दशक से जीते रहे हैं,इस दुस्समय में हमारी पीढ़ी की पुरस्कृत,सम्मानित,प्रतिष्टित माहमहिमों,रथि महारथियों का कुल जमा कालजयी कृतित्व यही है कि हम अब अमेरिकी उपनिवेश है और हम लगातार चीखे जा रहे थे,अमेरिका से सावधान,तो हमारी कोई औकात ही नहीं है।


सबसे खतरनाक बात यह है कि हमारे जीते जी किस हादसे के शिकार होंगे हमारे बच्चे,कैसी दुर्गति होगी हमारी स्त्रियों की,हमें इसकी फिक्र नहीं है।जिन्हें आदिवासी भूगोल,दलित जमीन, हिमालयी पर्यावरण,बस्तर और दांतेवाड़ा,मणिपुर और कश्मीर की परवाह नहीं है,वे समझ लें कि आखेटगाह है देश का चप्पा चप्पा अब और अगला शिकार कौन होगा,हम नहीं जानते।


महावीर अर्जुन का गांडीव भी अपने स्वजनों को बचाने में नाकाम रहा।एकलव्य की अंगूठी की कीमत पर वह स्रवश्रेष्ठ धनुर्विद्या भी किसी स्वजन के काम नहीं आया तो परमेश्वर श्रीकृष्ण भी महाभारत में निमित्तमात्र की नियति के गीतोपदेश के बाद कुरुक्षेत्र के विधवा विलाप से तटस्थ रहने के बाद मूसल पर्व में अपने स्वजनों का नरसंहार रोक नही सके।


हिंदुत्व के एजंडे में सिर्फ  संघ परिवार या बजरंगी सेना शामिल हैं,यह कहना सरासर गलत है।

जाने अनजाने हम भी उसी सेना के कल पुर्जे हैं।

न होते तो हालात कुछ और होते,फिजां कुछ और होती।हमने अपना अपना कुरुक्षेत्र रच दिया है और मूसल पर्व में स्वजनों का वध देखने के लिए नियतिबद्ध हम हैं।


हम जियें या न जियें,इससे फर्क पड़ता नहीं लेकिन बच्चों की सांस के लिए हमने कोई पृथ्वी बचायी नहीं हैं।हमारे बच्चे हमारे जीते जी कब कहां लावारिश मारे जायेंगे,कहना मुश्किल है।

हम शोक भी मनाने की हालत में न होंगे।

अपनी अति प्रिय स्त्रियों को हमने बाजार के हवाले कर दिया है।यही हिंदुत्व का असल एजंडा है।


अपने सनातन धर्म,अपनी प्राचीन सभ्यता और गौरवशाली इतिहास के लिए महान यूनानियों,मेसोपोटामिया,मिस्र,इंका,माया सभ्यता के वंशजों की तरह सीना छप्पन इंच का तान लीजिये और अब कुछ करने को नहीं है ,पल पल योगाभ्यास कीजिये क्योंकि चक्रवर्ती सम्राट विश्वविजेता कल्कि महाराज ने दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में शिरकत की है। कल्कि महाराज ने  कड़ी सुरक्षा के बीच दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 30,000 लोगों के साथ समारोह में शिरकत की। वहीं राजधर्म के 57 मंत्रियों ने अलग-अलग शहरों में योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया।


इस मौके पर कल्कि महाराज  ने कहा कि आज पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है। देश के हर कोने में योग का कार्यक्रम हो रहा है और समाज के हर तबके का समर्थन मिला है।कल्कि महाराज  ने कहा कि योग मुक्ति का मार्ग तो है ही साथ में योग जीवन अनुशासन का अनुष्ठान भी है।


मुक्तिमार्ग पर आप हम अडिग है।अपने पूर्वजों और उनकी महान विरासत को याद करना छोड़ दें। हम इसके लायक भी नहीं है।


अब छाती कूटकर जितनी मर्जी स्यापा कर लीजिये,देश को तो उनने बेच दिया।


कालजयी साहित्य लिखने वालों के कलाउत्कर्ष पर सांस्कृतिक उत्सव करते रहिये क्योंकि सत्तर के दशक से साहित्य और पत्रकारिता ने जनता को यह मुक्तबाजार दिया है।


देश रहे न रहे,मेहनतकश और किसान,दलित और आदिवासी जिये या मरे,आपका हमारा क्या?


तनिको आंखों में भरकर पानी याद करें कि नई पीढ़ी का समूचा संसार उड़ता पंजाब परिदृश्य है और हमने अपने बच्चों को बलि चढ़ाने की रस्म अदायगी कर दी है।


तनिको आंखों में भरकर पानी याद करें कि इस देश में हरित क्राति से विदेशी पूंजी का जो खुल्ला खेल फर्रूखाबादी जारी है,नक्सल और माओवादी जनविद्रोह,पंजाब में अभूतपूर्व कृषि संकट,खालिस्तान आंदोलन,आपरेशन ब्लू स्टार और समूचे अस्सी के दशक में रक्तरंजित देश ने उसकी भारी कीमत चुकायी है।


तनिको आंखों में पानी भर कर याद करें देश में दंगा फसाद,नरसंहार,बलात्कार सुनामी,बेदखली से लेक बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार,भोपाल गैस त्रासदी।हमं कभी कोई फर्क नहीं पड़ा।


तनिको आंखों में भरकर पानी दृष्टि अगर सही सलामत है,दिव्यांग अगर नहीं हैं और अब भी इंद्रियां कामककर रही हैं  कि लोगों को दसों दिशाओं में केसरिया सुनामी नजर आती है और इसके विपरीत हम पल पल खून के लबालब समुंदर में सत्तर के दशक से अबतक जी और मर रहे हैं।


तनिको आंखों में भरकर पानी याद करें कि हमने लगातार इस दुस्समय को संबोधित किया है।पहले पहल लघु पत्रिकाओं में,जिन अखबारों में पिछले 43 सालों के दौरान हमने काम किया है, उनमें,याहू ग्रूप से लेकर ब्लागों पर हमारे रोजनामचे में भी।


जाहिर है कि फासिज्म का यह राजकाज और राजधर्म किसी एक व्यक्ति या एक रंग तक सीमाबद्ध नहीं हैं और न सारा किया धरा 16 मई 2014 के बाद का है।


हमने समय रहते किसी भी स्तर पर अबाध पूंजी के इस सर्वव्यापी नरसंहारी साम्राज्यवादी अश्वमेध अभियान का विरोध नहीं किया है।


हम 2005 से विशेष तौर पर सरकारी गैरसरकारी श्रमिकों कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों को संबोधित करते रहे हैं सीधे उनके बीच जाकर देशभर में,नतीजा वही सिफर।जो लोग शिकार है इस अनंत आखेट के,वे नोटबटोरने में अछ्छे दिन का इंतजार कर रहे हैं ताकि मौज मस्ती का स्वर्ग वास हो जायेय़तो लीजिये अखंड स्वर्गवास है।


जोर से चीखते रहें,इंक्लाब जिंदाबाद।

जोर से चीखते रहें,हमारी मांगे पूरी करो।

जोर से चीखते रहें,तानाशाही मुर्दाबादष

जोर से चीखते रहें,लाल सलाम।लाल सलाम।

जोर से चीखते रहें,जय भीम कामरेड।

जोर से चीखते रहें,जयश्री राम।

जोर से चीखते रहें,भव्य राम मंदिर वहीं बनायेंगे।

जोर से चीखते रहें,सौगंध राम की खाते हैं।ज

जोर से चीखते रहें,बाबासाहेब अमर रहे।

जोर से चीखते रहें,गान्ही बाबा की जै।

जोर से चीखते रहें,नमो बुद्धाय।


जोर लगाकर हेइया।

मंझधार डूब गई रे नैय्या।

यह हिंदू राष्ट्र नहीं है। नहीं है।नहीं है।

यह दरअसल कोई राष्ट्र ही नहीं है।

यह विशुध पतंजलि मार्का अमेरिकी उपनिवेश है।

मत कहो जय श्री राम।


जोर लगाकर हेइया।

मंझधार डूब गई रे नैय्या।

मत कहो जय श्री राम।

मत कहो हर हर महादेव

मत कहो अकबर हो अल्लाह

सब उपासना,सब इबादत,नमाज अदायगी,तीज त्योहार,पर्व,तमाम धर्म और तमाम आस्ताें अब विशुध मुक्तबाजार।



हम बार बार चेता रहे थे।कांग्रेस जमाने से।नवउदारवादी सुधार अश्वमेध शुरु होने से पहले पहले तेल युदध के समय से।


वीरेनदा और राजेश श्रीनेत,दीप अग्रवाल और तसलीम के साथ समकालीन नजरिया हम बरेली के रामपुर बाग से तब निकाल रहे थे,जब हम अमर उजाला बरेली में थे।


उसी वक्त हमने एक कहानी लिखी थी,उड़ान से ठीक पहले का क्षण।मौडोना की फंतासी के मार्फत मुक्त बाजार की परिकल्पना के बारे में।कहीं उपलब्ध हैं तो मेरे दोनों कथा संग्रह अंडे सेंते लोग और ईश्वर की गलती पढ़ लें,जिनकी अबतक कोई चर्चा नही हुई है और उनकी हर कहानी में हमने इस दुस्समय के चित्र ही पेश किये हैं।


चाहे तो नई दिल्ली में भारत मुक्त मोर्चा के पहली खुली रैली में जारी मेरी किताब बजट पोटाशियम पढ़ लें.जो मूलनिवाल ट्रस्टपुणे के पास उपलब्ध होनी चाहिए।जिसमेंआज के दिन की तस्वीरें हमने 2010 में ही लगा दी थी।चिड़िया चुग गयी खेत रे बचवा।


अमर उजाला में खाड़ी युद्ध के दरम्यान दिवंगत अतुल माहेश्वरी, दिवंगत वीरेन डंगवाल,दिवंगत सुनील साह,दिवंगत उदित साहू के सान्निध्य में माननीय राजुल माहेश्वरी के सक्रिय समर्थन से पहले पेज पर लगभग रोज लिखे गये मेरे आलेखों को आप 1990 और 1991 की अमर उजाला फाइलों में बरेली या मेरठ में देख सकते हैं,अगर वे सुरक्षित हैं।


फिर जो मैंने 2001 तक लगातार अमेरिका से सावधान लिखा बरेली से कोलकाता तक उसके प्रकाशित सौ से ज्यादा अध्यायों में से किसी को भी उठा लीजिये।जो दैनिक आवाज में श्याम बिहारी श्यामल के संपादकत्व में हर रविवार को 1995 से लगातार छपता रहा तब तक जबतक वह अखबार चालू रहा।


यही नहीं,हम 2005 से 2010 तक देशभर में बामसेफ के सक्रिय कार्यकर्ता की हैसियत से जो बोल रहे थे,मूलनिवासी ट्रस्ट में उसके तमाम डीवीडी वीसीडी उपलब्ध हैं और हाल तक हमने यूट्यूब में भी इस सिलसिले में लगातार प्रवचन दिया है।


बहरहाल, विश्वबैंक ने उम्मीद जताई कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वारा शुरू किए गए बैंकिंग सुधार उनके सितंबर में जाने के बाद भी जारी रहेंगे क्योंकि भारत की वृहद आर्थिक नीतियां मजबूत हैं। विश्वबैंक के कंट्री डायरेक्टर इंडिया ओन्नो रूही ने आज कहा, 'मैं इस बात को वास्तव में विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि भारत की वृहद आर्थिक नीतियां बहुत मजबूत हैं। उसके पास एक प्रभावी और पारंपरिक सोच वाला पर्यवेक्षक है। ऐसे में वहां (बैकिंग सुधारों) के रास्ते में बदलाव का कोई कारण नहीं दिखता।' …


मीडिया की खबरों के मुताबिक,आर्थिक सुधारों को मोदी सरकार ने बड़ा बूस्टर डोज दिया है। एफडीआई पॉलिसी में बड़े बदलाव किए गए हैं। एविएशन और डिफेंस सेक्टर को अब पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है। इसके अलावा ई-कॉमर्स, फूड प्रोसेसिंग, डीटीएच, केबल जैसे तमाम सेक्टरों में भी 100 एफडीआई तक एफडीआई मंजूर हो गई है।


सरकार ने फार्मा सेक्टर में ऑटो रूट से 74 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी है। फार्मा सेक्टर में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड दोनों में ऑटोमैटिक रूट से पूरी तरह एफडीआई मंजूर हो गई है। डिफेंस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी का एलान किया गया है, लेकिन डिफेंस में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी एफडीआई मंजूर होगी।


एविएशन सेक्टर में भी एफडीआई नियमों में बदलाव का एलान हुआ है। एविएशन सेक्टर में एयरपोर्ट के ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट में 100 फीसदी एफडीआई का एलान किया गया है। सरकार ने एविएशन में शेड्यूल्ड एयरलाइंस में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी है। शेड्यूल्ड एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से होगा, और 49 फीसदी से ज्यादा एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होगी।


सरकार ने ई-कॉमर्स फूड सेक्टर में मंजूरी के बाद 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी है। फूड प्रोसेसिंग में भी 100 फीसदी तक एफडीआई मंजूर की गई है। सिंगल ब्रांड रिटेल सोर्सिंग के नियमों में ढ़ील दी गई है। केबल नेटवर्क, डीटीएच और मोबाइल टीवी में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।


मोदी सरकार का दूसरा सबसे बड़ा रिफॉर्म बताए जाने वाले इस कदम के तहत एफडीआई की कुछ सीमाएं भी तय की गई हैं। डिफेंस सेक्टर में आर्म्स एक्ट 1959 के मुताबिक छोटे हथियार और उसके पार्ट्स में ही एफडीआई लागू होगा। वहीं सिविल एविएशन सेक्टर में ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिल गई।


केंद्र सरकार ने फूड प्रोडक्ट बनाने सहित ऑनलाइन व्यापार में भी एफडीआई को मंजूरी दी है। इसके साथ ही डीटीएच, मोबाइल टीवी, केबल नेटवर्क व्यापार में भी एफडीआई का रास्ता खुल गया है। फार्मा सेक्टर में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड दोनों में ऑटोमेटिक रूट से पूरी तरह एफडीआई मंजूर हो गई है।


प्राइवेट, सिक्योरिटी एजेंसी में 49 फीसदी, वहीं एनिमल हस्बेंडरी में नियंत्रित पर 100 फीसदी एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। सिंगल ब्रांड खुदरा कारोबार में नियमों में ढील देते हुए 3 और 5 सालों के लिए टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट में पहले से 49 फीसदी एफडीआई को बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया गया है।


आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास ने कहा है कि एविएशन सेक्टर को विदेशी निवेश के लिए खोलना बड़ा कदम है हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि एफडीआई लाना है या नहीं इसका फैसला एविएशन इंडस्ट्री को ही करना है।


एफडीआई में बड़े बदलाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रांतिकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि ऑटो रूट के जरिए अब ज्यादातर सेक्टर एफडीआई के लिए खुल गए हैं और एफडीआई से जुड़े इन रिफॉर्म के बाद अब भारत दुनिया की सबसे खुली इकोनॉमी वाला देश बना गया है। उन्होंने कहा है कि रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एफडीआई में बड़े बदलाव किए गए हैं। भारत में सुधारों को देखते हुए ही कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत को नंबर 1 एफडीआई डेस्टिनेशन की रेटिंग दी है।


वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि तमाम सेक्टर में एफडीआई का रास्ता खोलने का मकसद रोजगार बढ़ाना है। साथ ही मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा देना है और भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के सपने को हकीकत में बदलना है।


डिफेंस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी पर डिफेंस एक्सपर्ट उदय भास्कर ने कहा है कि अगर इस सेक्टर में मेक इन इंडिया को कामयाब बनाना है तो निवेशकों को छूट देनी होगी। मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के मोहनदास पई एफडीआई खोलने के फैसले को सही मानते हैं। उनकी दलील है कि इससे देश में अच्छी टेक्नोलॉजी आएगी।


कई सेक्टरों में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिलने की खबर का फिक्की ने स्वागत किया है। फिक्की के महासचिव डॉ दीदार सिंह ने कहा है कि इस फैसले ने भारत में निवेश के नए रास्ते खोल दिए हैं। इंडस्ट्री ने कई सेक्टरों में एफडीआई का दिल खोलकर स्वागत किया है लेकिन कांग्रेस का कहना है कि ये पैनिक में उठाया गया कदम है।



अब छाती कूटकर जितनी मर्जी स्यापा कर लीजिये,देश को तो उनने बेच दिया!


बीजमंत्र का अखंड जाप करें,दुनिया की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था सनातन धर्म का भारत!



राजन के गम पर एफडीआई का मरहम

शुभायन चक्रवर्ती और निवेदिता मुखर्जी / नई दिल्ली June 20, 2016





राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सोमवर को हरकत में आते हुए विमानन, फार्मा, खाद्य कारोबार, रक्षा से लेकर रिटेल और टेलीविजन प्रसारण के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को और उदार बनाने का ऐलान किया। सरकार ने इसके पीछे मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन करने का तर्क दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के पद से विदाई की खबरें दो दिनों से सुर्खियों में रहने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाली एकल ब्रांड रिटेल कंपनियों को एफडीआई सीमा और शर्तों में ढील देने के लिए आज चुनिंदा कैबिनेट मंत्रियों और सचिवों के साथ बैठक बुलाई।

सूत्रों का कहना है कि यह बैठक पहले से प्रस्तावित थी लेकिन अचानक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की वजह राजन मसले से लोगों का ध्यान हटाना था। करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर कहा कि एफडीआई के लिहाज से भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्था बन गई है। इसके बाद मंत्रियों और सचिवों ने भी एक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन कर सरकार द्वारा उठाए गए सुधारवादी कदमों की जानकारी दी। स्थानीय स्तर पर आपूर्ति नियमों में ढील से ऐपल को सीधे लाभ होगा। दरअसल इसी मसले की वजह से अमेरिकी आईफोन निर्माता कंपनी को भारत में अपनी रिटेल योजना टालनी पड़ी थी। शर्तों में संशोधन के बाद ऐपल को कुल आठ साल के लिए स्थानीय स्तर पर आपूर्ति नियमों में छूट मिलेगी। यह निर्णय ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात के करीब एक माह बाद लिया गया है।

सरकार ने कहा कि स्थानीय स्तर पर आपूर्ति नियमों में सभी एकल ब्रांड कंपनियों को छूट मिलेगी, वहीं अत्याधुनिक और विशिष्टï प्रौद्योगिक वाली कंपनियों को अतिरिक्त पांच साल की छूट दी जाएगी। खाद्य उत्पादों का ई-कॉमर्स के जरिये खाद्य कारोबार करने के लिए सरकार की मंजूरी के साथ 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है।

इसी तरह रक्षा क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई के लिए अत्याधुनिक तकनीक की जगह आधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया है। मीडिया क्षेत्र में केबल से लेकर डीटीएच में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी होगी, जिससे स्टार जैसी विदेशी कंपनियों को पूर्ण परिचालन में सहूलियत होगी। विमानन में पुराने हवाई अड्डïा परियोजनाओं में स्वत: मंजूरी मार्ग के जरिये 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है जबकि विदेशी विमानन कंपनियों के लिए 49 फीसदी निवेश की सीमा होगी।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि एफडीआई को स्वत: और प्रक्रिया आधारित बनाने का यथासंभव प्रयास किया गया है। इस कदम से न केवल देश में ज्यादा एफडीआई आएगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। दास ने कहा विमानन क्षेत्र में नए नियमों को व्यापक बदलाव लाने वाला करार दिया और कहा कि इससे घरेलू विमानन कंपनियां ज्यादा दक्ष होंगी और रोजगार का सृजन होगा।ऐपल पर निर्णय के बारे में दास ने कहा कि अगले कुछ दिनों में इस पर स्पष्टïता आएगी। ऐपल भारत में अपना आधार बढ़ाने को इच्छुक है। हालांकि इस बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड की ओर से भेजे गए सवालों का कंपनी की ओर से खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।स्थानीय स्तर पर आपूर्ति नियमों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है।

पहले सभी एकल ब्रांड रिटेल कंपनियों के लिए 30 फीसदी स्थानीय खरीद को अनिवार्य बनाया गया। लेकिन बाद में डीआईपीपी ने मामला-दर-मामला अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों को इसमें छूट देने का दिशानिर्देश जारी किया। लेकिन यह कभी प्रभावी नहीं हुआ। बाद में राजग सरकार मेक इन इंडिया के तहत देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने का अभियान चलाया और आपूर्ति में रियायत नहीं देने का निर्णय किया। हालांकि अब इसमें आठ साल के लिए छूट का प्रावधान किया गया है।

ऐपल पहले ही स्पष्टï कर चुकी थी कि कंपनी के लिए आपूर्ति नियमों का पालन करना संभव नहीं होगा। इसके बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के साथ ही साथ वित्त मंत्रालय अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए आपूर्ति नियमों में संशोधन की कवायद में जुट गए, लेकिन कोई निर्णय नहीं किया गया। हालांकि सोमवार को वाणिज्य मंत्री निर्माला सीतारामण ने कहा कि भारत में रिटेल शृंखला शुरू करने वाली कंपनियों को नए सिरे से आवेदन करना होगा।

http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=120819



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