Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, July 21, 2012

अब पेंटागन से करीबी सैन्य संबंध के लिए अमेरिकी​ दबाव,अमेरिकी सुर में बोलने लगी भारतीय राजनय!


अब पेंटागन से करीबी सैन्य संबंध के लिए अमेरिकी​ दबाव,अमेरिकी सुर में बोलने लगी भारतीय राजनय!

​​एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

​भारत अमेरिकी आर्थिक सहयोग की गरज के पीछे अमेरिका का खास मकसद अपनी संकट में फंसी युद्ध अर्थव्यवस्था को राहत देना है। भारत अमेरिकी परमाणु समझौते के जरिये अमेरिका की रणनीति दक्षिण एशिया के उभरते बाजार पर कब्जा करने की रही है। आर्थिक सुधारों पर जोर देते रहने के बाद इसीलिए अब अमेरिका की ओर से पेंटागन के साथ भारत के सैन्य सहयोग बढाने पर जोर दिया जा रहा है। वैसे भी आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध में इजराइल के साथ भारत मुख्य साझेदार है, जो भारतीय सत्तावर्ग के वर्चस्ववादी हिंदू राष्ट्रवाद को ही अंततः मजबूत ​​करता है और बहिष्कृत बहुसंख्य जन गण को अर्थ व्यवस्था, राजनीति और समाज से बाहर हाशिये पर दकेलने के तंत्र में आक्सीजन​ ​ फूंकता है। विदेशनीति और राजनय में भारत लगातार अमेरिका का पिछलग्गू बनता जा रहा है। अमेरिकी सुर में बोलती है भारतीय राजनय।य़ह पूरी प्रक्रिया भारत के अमेरिकीकरण को ही तेज कर रही है।भारत के लाखों डॉलर के सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम को देखते हुए अमेरिका के दो वरिष्ठ सीनेटरों ने पेंटागन से आग्रह किया है कि उसे भारत के साथ नजदीकी रक्षा संबंध स्थापित करना चाहिए, जिसमें सैन्य हथियार प्रणालियों का सह-निर्माण व सह-विकास शामिल हो।दूसरी ओर, भारत की एक पत्रिका के ताज़ा अंक में उन्हें 'अंडरअचीवर'बताते हुए सवाल खड़ा किया गया है कि क्या उनकी कोरी बातें उन्हें चुनाव जितवा सकती हैं?गौरतलब है कि बराक ओबामा ने हाल ही में भारत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा था कि यहां निवेश के लिए अच्छा माहौल नहीं है। वहीं, उससे पहले मशहूर पत्रिका टाइम ने भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 'अंडरअचीवर' बताया था।इसी के मध्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री पीटर डोयल ने वैश्विक मंदी और यूरो जोन संकट से निपटने में इस विश्व निकाय की विफलता की आलोचना करते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आईएमएफ पर सूचनाएं दबाने का आरोप लगाया है।डोयल ने 18 जून को आईएमएफ के निदेशक मंडल की सदस्यता एवं संस्था में अपने पद से इस्तीफे के पत्र में कहा है कि आईएमएफ की विफलता के कारण ही 2009 की वैश्विक आर्थिक मंदी और यूरो जोन का संकट पैदा हुआ है और यह अधिक गहरा रहा है। रायटर को हासिल इस पत्र की प्रति से पता चलता है कि इस विश्व ऋण कोष की विश्वसनीयता को लेकर संस्था के अंदर ही घमासान मचा हुआ है। रिपब्लिकन बहुमत वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता में 65 करोड़ डॉलर [करीब 36 अरब रुपये] कटौती के प्रस्ताव का समर्थन किया है।अगर यह कटौती प्रस्ताव अमल में आता है तो आतंक के विरुद्ध अमेरिका की लड़ाई में भारत की भूमिका और प्रबल होने जा रही है। जिससे​ ​ अंततः पेंटागन के साथ भारत के रिश्ते और गहराने की संबावना है। भारत और अमेरिका , दोनों देशों का सत्तावर्ग इसके लिए भरसक कोसिश में लगा है।

भारत के साथ कारगर तरीके से काम करने तथा उच्च तकनीकी निर्यात और आवश्यक राजनयिक बाधाओं को आसान बनाने के लिए अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान पेंटागन के उप रक्षा मंत्री ऐश कार्टर इस माह के अंत तक भारत आएंगे। पेंटागन के प्रेस सचिव जार्ज लिटिल ने इस बात की जानकारी दी है। अपनी 10 दिवसीय एशिया यात्रा के दौरान कार्टर नई दिल्ली का भी दौरा करेंगे। उनका इस बीच हवाई, गुआम, जापान, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया की यात्रा करने का भी कार्यक्रम है। कार्टर की भारत यात्रा से संबंधित अन्य जानकारियां बाद में सार्वजनिक की जाएंगी।

अमेरिका ने पहले ही कहा है कि उसके रक्षा विभाग पेंटागन द्वारा नियमों और दिशानिर्देशों में सुधार की महत्वाकांक्षी योजना का सबसे ज्यादा फायदा भारत को होगा। ये नियम रक्षा क्षेत्र के निर्यात के लिए हैं।अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने कहा कि अपने सबसे ज्यादा सक्षम भागीदार राष्ट्रों के साथ सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए रक्षा व्यापार सबसे प्रमुख है। हम अपनी निर्यात नियंत्रण प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया में हैं और यह इस सहयोग की बढ़ाने की दिशा में सबसे प्रमुख कदम है।   
पैनेटा ने कहा कि प्रत्येक सौदा प्रशिक्षण, अभ्यास और संबंध निर्माण में भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह औद्योगिक आधार में भी सहयोग देता है। एक तिहाई रक्षा उत्पादन रक्षा निर्यात के लिए होता है। यह अमेरिकी नौकरियों और भविष्य में नई रक्षा क्षमताओं में निवेश की हमारी क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट है कि परंपरागत सहयोगियों के अलावा नए भागीदारों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।

देश के शेयर बाजारों में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स आलोच्य अवधि में 0.32 फीसदी या 55.26 अंकों की गिरावट के साथ 17158.44 पर बंद हुआ। सेंसेक्स पिछले शुक्रवार को भी गिरावट के साथ 17213.70 पर बंद हुआ था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी आलोच्य अवधि में 0.4 फीसदी या 22.15 अंकों की गिरावट के साथ 5205.10 पर बंद हुआ।

इस बीच भारतीय सत्ता वर्ग को ज्यादा चिंता आम जनता के राशन पानी या रोजगार की नहीं , बल्कि उपभोक्ता बाजार को लेकर है। मारुति​​ के मनेसर कारखाने में तालाबंदी के पीछ हुई हिंसा की वजहों को खोजने के बजाय उसकी चिंता है कि  मारुति सुजुकी ने कहा है कि मानेसर संयंत्र में हिंसा फैलने के चलते कंपनी की नई 800 सीसी कार को पेश करने में थोड़ा विलंब होगा। कंपनी ने इस कार को दिवाली के दौरान उतारने की योजना बनाई थी।मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक शिंजो नकानिशी ने बताया, हां, हमने मानेसर संयंत्र में हिंसा की घटना के चलते 800 सीसी कार पेश करने की योजना में बदलाव किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर कंपनी इस घटना के प्रभाव से जल्द उबर जाती है तो कार समय पर लॉन्च किया जा सकता है। मारुति सुजूकी के मानेसर स्थित प्लांट में हुई इस घटना के बाद प्लांट अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। हालांकि, कंपनी ने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन, कंपनी के सूत्रों का कहना है कि प्लांट को दोबारा चालू होने में 30 दिन का समय लग सकता है।कंपनी के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल तो प्लांट का संचालन करने वाले तकरीबन 100 सुपरवाइजर, मैनेजर और एक्जीक्यूटिव बुरी तरह जख्मी हैं। ऐसे में इनके बिना प्लांट का संचालन बेहद मुश्किल है। वहीं, इस पूरी घटना के गवाह इन लोगों को इससे उबरने में भी समय लगेगा। 91 कर्मचारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के पश्चिमी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव के पारित न होने पर खेद जताया है। अमेरिका ने भी रूस और चीन के वीटो की आलोचना करते हुए इसे खेदजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा कि रूस और चीन के वीटो से सीरिया के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं हो सका जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के पारित नहीं होने के कारण अब संयुक्त राष्ट्र को अपना मिशन बंद करना पडे़गा। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का पारित नहीं होना सीरियाई लोगों के लिए अच्छी बात नहीं है और इससे सीरिया में शांति और स्थिरता के लिए चल रहे प्रयासों को धक्का लगा है। भारत ने कहा है कि सीरिया संकट के संदर्भ में विश्व के सभी देशों को एकजुटता प्रदर्शित करने की जरूरत है। प्रस्ताव पर रूस और चीन के वीटो पर खेद जताते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारतीय प्रतिनिधि हरदीप पुरी ने कहा कि सदस्य देशों को लचीला रुख अपना कर आम राय कायम करनी चाहिए। उन्होंने कहा‌ कि सीरिया के हालात चिंताजनक हैं और वहां अब तक हजारों नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं।

अमेरिका के शीर्ष सीनेटरों ने पेंटागन से भारत से करीबी रक्षा संबंध बनाने को कहा है। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सैन्य सहयोग बढ़ाना अमेरिका और भारत दोनों के हित में है। रक्षा उपमंत्री एश्टन बी कार्टर की भारत यात्रा से पूर्व सीनेटर जॉन कार्निन और मार्क वार्नर ने पेंटागन के शीर्ष अधिकारी को लिखे एक पत्र में कहा कि वह समझते हैं कि यह समय भारत के साथ अमेरिका के सहयोग के क्षमता पर विचार करने का है ताकि सैन्य हथियार प्रणाली का सह विकास और सह उत्पादन किया जा सके।

पत्र में लिखा है कि भारत अपने प्रस्तावित सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम में साल 2015 तक 80 अरब डॉलर खर्च करेगा। इसे देखते हुए अमेरिका के लिए भारत के साथ रक्षा व्यापार बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं है। कार्निन और वार्नर सीनेट इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष हैं। 38 सीनेटरों की सदस्यता वाला सीनेट इंडिया कॉकस अमेरिकी सीनेट में किसी देश विशेष संबंधित सबसे बड़ा गुट है। कार्टर को लिखे पत्र में कार्निन और वार्नर ने कहा कि हम दो लोकतंत्रों के बीच सहयोग को नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाये रखने और विस्तार प्रदान करने को महत्वपूर्ण मानते हैं जिससे 21वीं सदी में लोकतंत्र, स्वतंत्रता, सुरक्षा, समृद्धि और कानून के शासन को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने लिखा है कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ रक्षा व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से हम आपको प्रोत्साहित करते है कि आप सक्रिय होकर भारत और अमेरिका के बीच सैन्य व्यापार को बढ़ाने के लिए काम करे। सीनेटरों ने कहा कि उनके सुझावों को भारतीय अधिकारियों के साथ गंभीरता से गौर किया जाए। शुक्रवार को लिखे गए इस पत्र को मीडिया को भी जारी किया गया है।

अमेरिकी रक्षा विभाग ने भारत को एक वैश्विक ताकत बताते हुए कहा है कि भारत अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रहा है। इसके साथ ही अमेरिकी रक्षा विभाग ने भारत द्वारा अफगानिस्तान में की जा रही मदद की भी सराहना की।रक्षा विभाग के प्रवक्ता कैप्टन जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन रपटों को हल्के में लिया, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका चाहता है कि भारत, अफगानिस्तान में अपनी भूमिका बढ़ाए। किर्बी ने कहा, "भारत एक वैश्विक ताकत है, और वह अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और हम इसका स्वागत करते हैं।"

भारत के रक्षा बाजार में पैठ बढ़ाने का सिलसिला जारी रखते हुए अमेरिका ने एक और बड़ी खरीदारी अपने हक में कर ली है और भारतीय वायु सेना ने अपने हमलावर हेलिकॉप्टर बेड़े के लिए अमेरिकी हेलिकॉप्टर चुन लिया है।
वायु सेना के सूत्रों के अनुसार 22 हमलावर हेलिकॉप्टरों का यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपये का है और इसकी होड़ में उतरे दो हेलिकॉप्टरों में से अमेरिका के अपाचे एएचडी-64 डी को चुन लिया गया है। होड़ में दूसरा हेलिकॉप्टर रूस का एमआई 28 था।दोनों हेलिकॉप्टरों के उड़ान परीक्षण की रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। सूत्रों ने कहा कि अब इस सौदे पर अंतिम मुहर सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट की समिति की लगेगी।

आईएमएफ के यूरोपीय विभाग में स्वीडन, डेनमार्क और इस्राइल मामलों के प्रभारी डोयल ने संस्था के नेतृत्व पर ऋण के लिए चयन प्रक्रिया में पक्षपात एवं अनियमितता का आरोप लगाया जहां सिर्फ किसी यूरोपीय को ही प्रबंध निदेशक बनाया जाता है। आईएमएफ के अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर रायटर को बताया कि संस्था के अंदर इस बात को लेकर मतभेद हैं कि यूरोपीय देशों को बिना स्वतंत्र आकलन की प्रक्रिया अपनाए खुले हाथ से कर्ज दिया रहा है जबकि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को स्वतंत्र आकलन के बाद ही कोई सहायता दी जाती है।

डोयल ने कहा कि आईएमएफ घोर आर्थिक संकट की कगार पर खडे़ यूरोप को बचाने के प्रयासों के तहत प्रतिक्रियावादी और अपनी पकड़ मजबूत करने के मकसद से कदम उठा रहा है। आईएमएफ ने यूनान, आयरलैंड और पुर्तगाल को मंदी से उबरने के लिए दी गई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता में प्रमुख योगदान दिया है। उन्होंने बीते एक दशक में आईएमएफ के प्रमुख के रूप में हुई नियुक्तियों को संस्था के लिए विनाशकारी करार दिया।

उधर आईएमएफ ने डोयले द्वारा तैयार 2009 और 2011 की कई रिपोर्टों में वर्णित विफलताओं को स्वीकार किया है जिनमें कहा गया हैं कि वह वैश्विक आर्थिक संकट के मूल कारणों को पहचानने और आने वाले कठिन समय के बारे में पहले से उचित चेतावनी देने में चूक गया। लेकिन आईएमएफ के प्रवक्ता विलियम मुरे ने सूचनाएं दबाने संबंधी उनके आरोपों से इन्कार किया है।

अमेरिका में प्रतिनिधि सभा ने पाकिस्तान को दी जानी वाली सैन्य सहायता में 65 करोड़ डॉलर की कटौती के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। वहीं, एक शीर्ष रिपब्लिकन सांसद ने पाकिस्तान को विश्वासघाती 'बेनेडिक्ट अनरेल्ड' भी करार दिया है। यह प्रस्ताव कांग्रेस के रिपब्लिकन सांसद टेड पोए ने पेश किया, जिसे सदन में ध्वनि मत से मंजूरी दे दी गई। पोए ने 1.3 अरब डॉलर कटौती की मांग की थी, लेकिन सिर्फ 65 करोड़ डॉलर की ही कटौती की गई। अब यह संशोधन मंजूरी के लिए सीनेट के पास भेजा जाना है।

सदन की विदेश मामलों की समिति के सदस्य टेड पोए ने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान अमेरिका के लिए 'बेनेडिक्ट अनरेल्ड' है। वह विश्वासघाती, छलिया के साथ-साथ अमेरिका के लिए खतरा है। बेनेडिक्ट अनरेल्ड एक अमेरिकी जनरल था, जो 'क्रांतिकारी युद्ध' के दौरान ब्रिटिश पक्ष से जुड़ गया था।

पोए ने कहा, यह लगातार हमसे अरबों डॉलर की मदद ले रहा है और हम पर हमला करने वाले आतंकवादियों को धन दे रहा है। समय आ गया है कि हम लगाम कसें। उन्होंने कहा, पाकिस्तान को धन देकर हम एक ऐसे शत्रु को वित्त मुहैया करा रहे हैं, जो अमेरिकियों के लिए खतरा है। हम उन्हें धन दे रहे हैं और वे हमारे साथ ही छल कर रहे हैं।

बहरहाल, विदेश मंत्रालय ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। कहा गया है, विधायी प्रक्रिया जारी है इसलिए कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पैट्रिक वेन्त्रेल ने कहा, हम कांग्रेस से लगातार परामर्श कर रहे हैं, लेकिन जारी विधायी बहस के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि उन्होंने कहा, हम आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान का समर्थन करते रहेंगे।

ए पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2011 में ऐसे 56 आयोजन हुए हैं और भारत के किसी अन्य देश के साथ किए गए ऐसे सैन्य अभ्यासों की तुलना में यह आंकड़ा सर्वाधिक है।

भारत के बारे में काग्रेस को सौंपी गई एक विशिष्ट रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच वर्तमान में हुए सभी बड़े अभ्यासों का जिक्र किया है। रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा है कि ये अभ्यास सेनाओं के विभिन्न अंगों में पेशेवर संबंध स्थापित करने और उन्हें नजदीक लाने के लिए महत्वपूर्ण जरिया हैं।

पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका भारत सैन्य अभ्यासों का उत्तरोत्तर विकास हुआ है। अब हम नियमित अभ्यास करते हैं जिससे हमें हमारे सैन्य एवं रक्षा संबंधों को गहरा करने में मदद मिलती है। रिपोर्ट में काग्रेस को बताया गया है कि वर्ष 2011 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच ऐसे 56 सहयोगात्मक आयोजन हुए जो भारत द्वारा किसी अन्य देश के साथ किए गए संयुक्त अभ्यासों में सर्वाधिक हैं। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2010 में यूएस पैसिफिक कमाड [यूएसपीएसीओएम] और इंडियन इंटीग्रेटेड डिफेन्स स्टाफ [आईडीएस] ने अलास्का में आयोजित 'ज्वॉइंट एक्सरसाइज इंडिया' [जेईआई] में भाग लिया था।

रिपोर्ट के अनुसार, जेईआई में दोनों देशों की यह भागीदारी ऐसे अभ्यास कार्यक्रमों के विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम थी क्योंकि इससे बहुद्देशीय सेवाओं के साथ-साथ द्विपक्षीय सहयोग की भी राह प्रशस्त हुई। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2012 में जेईआई में एक कमाड पोस्ट अभ्यास भी शामिल किया जा सकता है।

रिपोर्ट में दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इससे जटिल मामलों में सहयोग के लिए जमीनी काम करने में मदद मिली। दोनों देशों की नौसेनाएं साल में चार बार संयुक्त अभ्यास करती हैं। ये अभ्यास क्रमश: मालाबार, हाबू नाग, स्पाइटिंग कोबरा तथा सैल्वेक्स हैं। इसमें कहा गया है कि 'पैसिफिक फ्लीट इंडियन नेवी एग्जीक्यूटिव स्टीयरिंग ग्रुप' की सालाना बैठक के बाद हम नियमित नौसैनिक द्विपक्षीय वार्ताएं करते हैं, बंदरगाहों के दौरे होते हैं और हर स्तर पर बातचीत होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी तटरक्षक ने हाल ही में भारतीय तट रक्षक के साथ बातचीत की और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया।

पेंटागन ने आतंक के विरुद्ध लड़ाई और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है। अमेरिकी काग्रेस को सौंपी गई एक रिपोर्ट में पेंटागन ने आतंक के विरुद्ध लड़ाई और समुद्री सुरक्षा को दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग का एक महत्वपूर्ण आधार बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्री सुरक्षा अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग के क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पक्ष है।

इसके अनुसार, 'अपनी सफलताओं को देखते हुए, हम समुद्री सुरक्षा सहयोग के लिए भारत-अमेरिका के बीच उस तंत्र को मूर्त रूप देने के लिए साथ-साथ काम करेंगे, जिस पर वर्ष 2006 में ही सहमति बन गई थी।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ने से अगले पांच सालों में समुद्री क्षेत्र में जागरुकता व समुद्री डकैती के खिलाफ अभियान जैसे कई अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति होगी। आतंकवाद पर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका का ध्यान अभी भी दक्षिण एशिया में सक्रिय अलकायदा व अन्य आतंकी खतरों पर केंद्रित है। इसके अनुसार भारत अभी भी लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों का पहला निशाना है।

पेंटागन की इस रिपोर्ट के अनुसार, 'लश्कर की गतिविधिया अमेरिकी हितों और दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बनी हुई हैं। इसलिए हम अपनी आतंकवाद-निरोधी राष्ट्रीय नीति पर कायम रहेंगे, जो भारत जैसे महत्वपूर्ण सहयोगियों के साथ मिल कर सुरक्षा के साझा लक्ष्यों के लिए काम करने का सुझाव देती है।' रिपोर्ट में ऐसा करने के लिए भारत के साथ आतंकवाद-निरोधी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के साथ ही क्षेत्र में चल रहे विशेष अभियानों के जरिए दोनों देशों की क्षमता को और मजबूती देने की बात भी कही गई है।

'मालाबार वार्षिक युद्धाभ्यास' के दौरान समुद्री डकैती के खिलाफ अभियान में भारत की क्षमता को अंकित करते हुए रिपोर्ट में पश्चिमी प्रशात क्षेत्र में समुद्री लुटेरों से निपटने में भारत के सहयोग की प्रशंसा भी की गई है। अपनी इस रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा है कि अमेरिकी नौसेना प्रशाम महासागर क्षेत्र के अभियानों में अपनी क्षमता को और बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना के साथ मिल कर काम करना चाहती है।

भारत मिसाइल रक्षा प्रणाली को सबसे पहले दिल्ली और मुंबई में लगाएगा। यह सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक होगा. इन तैयारियों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया में युद्ध का ज्वालामुखी शांत नहीं हुआ है।

भारतीय रक्षा एंव अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) के मुताबिक मिसाइल डिफेंस कवच को बहुत कम समय में दिल्ली और मुंबई में तैनात किया जा सकता है। डीआरडीओ ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के पास जाएगा। वही इसे हरी झंडी देगी. दोनों शहरों में मिसाइल रक्षा कवच लगाने की रणनीतिक तैयारी शुरू की जा चुकी है। सूत्रों के मुताबिक शुरूआती तैयारियों के बाद पूरी योजना की विस्तृत रिपोर्ट कैबिनेट समिति को दी जाएगी.
योजना बनाते समय ही रडार लगाने की उपयुक्त जगह खोजी जाएगी। रडार हमलावर मिसाइल का पता लगाएंगे। रडार तुरंत मिसाइल डिफेंस सिस्टम को हमलावर मिसाइल की जानकारी देगा। फिर उस मिसाइल को हवा में नष्ट करने के लिए जवाबी हमला किया जाएगा। इस सिस्टम को लगाने के लिए डीआरडीओ के अधिकारियों को सुरक्षित और गोपनीय जगह चाहिए।

हवा से होने वाले हमले को टालने के लिए डीआरडीओ कई तरह की काउंटर अटैक मिसाइलें तैनात करेगा। ये मिसाइलें बाहरी मिसाइल को धरती के वातावरण के अलावा बाहरी वातावरण में भी नष्ट करने में सक्षम होंगी। बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम में इंसान का दखल कम से कम होगा. सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक होगा। इंसान के दखल से सिर्फ जवाबी हमले को रद्द किया जा सकेगा।

दिल्ली और मुंबई में सफलता से इसे लगाने के बाद भारत के अन्य शहरों को भी इससे सुरक्षा दी जाएगी। डीआरडीओ ने कई साल की रिसर्च के बाद यह सिस्टम बनाया है। यह सभी परीक्षणों में खरा उतरा है। कवच 2,000 किलोमीटर के इलाके में किसी भी मिसाइल खत्म कर सकता है।

डीआरडीओ के मुताबिक 2016 तक सिस्टम की रेंज बढ़ाकर 5,000 किलोमीटर कर दी जाएगी। इसके साथ ही भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास यह तकनीक है। भारत के अलावा अमेरिका, रूस और इस्राएल के पास बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है।

सुलगता दक्षिण एशिया

भारत की पश्चिमी सीमा पाकिस्तान और उत्तरी सीमा चीन से लगती है। इन दोनों देशों के साथ भारत युद्ध लड़ चुका है. पाकिस्तान के साथ भारत की अब तक तीन बार जंग हो चुकी है। लेकिन अब दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं. ऐसे में लड़ाई की चिंगारी परमाणु युद्ध में बदल सकती है। 2008 के मुंबई हमलों के बाद एक बार तो लगने लगा था कि भारत और पाकिस्तान लड़ पड़ेंगे। बीते कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान ने कई मिसाइल परीक्षण किए हैं।

1962 में भारत का चीन के साथ युद्घ हो चुका है। चीन भी परमाणु हथियारों से लैस है। बीते एक दशक में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत वैश्विक सामरिक समीकरण बदल रही है।चीन की बढ़ती ताकत से एशिया में एक बार फिर हथियारों की होड़ तेज हो गई है।दरअसल पश्चिमी देशों को चीन की वास्तविक सैन्य शक्ति का बिल्कुल सही अंदाजा नहीं है।

युद्ध से परहेज करने वाला जापान जैसा देश भी अब सैन्य तैयारियों पर ध्यान देने लगा है। चीन का पड़ोसी ताइवान भी अमेरिका से नए हथियार लेकर अपनी सेना का आधुनिकीकरण करना चाहता है। भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच बीते एक साल में कई बार सामरिक रणनीति पर बातचीत हो चुकी है।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV