राष्ट्रहित का कहीं कोई संदर्भ नहीं! पूरा देश कारपोरेट आखेटगाह बन गया है!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
प्रणव मुखर्जी के शपथ लेने के साथ साथ आर्थिक सुधारों के लिए दबाव बढ़ गया है।बाजार डांवाडोल है। जयललिता तक ने नीति निर्णय लकवा का आरोप लगा दिया। ईंधन कीमतों में वृद्धि आधी अधूरी हुई तो भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के लपेटे में आ गये नए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी। अन्ना ब्रिगेड ने चुनावों में कूदने की धमकी देकर कांग्रेस की चुनौती और मुश्किल कर दी जबकि क्षत्रप शरद पवार को शांत करने में कामयाबी मिल गयी।इस पूरे कारोबार में राजनीतिक वर्ग के पांवों तले जमीन खिसकने का पूरा इंतजाम हो गया। प्रणव के सक्रिय राजनीति से निर्वासन के साथ साथ नीति निर्धारण प्रक्रिया से बाहर हो गये राजनेता।लवासा मामले में हरी झंडे का दबाव बनाते हुए शरद पवार जैसे मजबूत राजनेता इस नियति को स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं। विडंबना है कि ऐसे में जबकि असम जल रहा है और वहां हालात से निपटने के लिए सेना भेजी जा रही है, राजनीति सिरे से गैरप्रांसंगिक हो गयी है और देश का भविष्य अब पूरी तरह कारपोरेट हाथों में है। राजनेता छोटे मोटे सौदे पडाने में लगे हैं और पूरा देश कारपोरेट आखेटगाह बन गया है।विदेशी पूंजी प्रवाह अब सबसे बड़ा राष्ट्रीय संकट बन गया है। मानसून की कमी से खेती और किसानों की बरबादी पर कोई आंसू बहाने वाला नहीं है । सभी लोग बाजार की खस्ता हालत पर रो रहे हैं और बाजार को सहारा देने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे में नये राष्ट्रपति और निवर्तमान राष्ट्रपति के भावुक भाषण महज रस्म अदायगी में तब्दील है क्योंकि अब इस देश पर राज कारपोरेट का है और राजनीति से कुछ बदलने वाला नहीं है क्योंकि राजनेता महज अपने अपने हित साधने के फिराक में है। राष्ट्रहित का कहीं कोई संदर्भ नहीं है।टीम अन्ना ने बुधवार को अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संप्रग सरकार के कुछ मंत्रियों, नेताओं और नये राष्ट्रपति प्रणव पर निशाना साधा। जन लोकपाल विधेयक और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र निकाय से जांच कराने की मांग के समर्थन में आज राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर पर टीम अन्ना का अनिश्चितकालीन अनशन शुरू हुआ। अनशन स्थल पर मंच पर गांधी जी की तस्वीर लगाई गई है। इसके साथ ही टीम अन्ना ने जिन केन्द्रीय नेताओं के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है उनकी तस्वीरें भी टांग दी गई हैं जिसमें नये राष्ट्रपति मंत्री प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी चिदंबरम सहित कई अन्य लोग शामिल हैं।हालांकि, कुछ देर बाद प्रणब के चित्र को कपड़े से ढक दिया गया। इस विषय पर टीम अन्ना के एक वरिष्ठ सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रणब मुखर्जी अब राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके है जो शीर्ष संवैधानिक पद है। हम संविधान का सम्मान करते हैं, इस नाते प्रणब के चित्र को कपड़े से ढक रहे हैं ताकि इस पद की गरिमा कम न न हो। केजरीवाल ने हालांकि कहा कि प्रणब के खिलाफ आरोप हालांकि बने हुए हैं और हम इसका उल्लेख करना जारी रखेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी के निर्वाचन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की विपक्षी उम्मीदवार पुर्णो ए संगमा की योजना से खुद को अलग कर लिया है। भाजपा के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने बुधवार को कहा, "सर्वोच्च न्यायालय जाने का संगमा का कोई भी निर्णय उनका निजी होगा। भाजपा देश के राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी का सम्मान के साथ स्वागत करती है। जबकि अन्ना हजारे और उनके सहयोगी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अनशन और भाषण तक सीमित नहीं रखने वाले। अगले लोकसभा चुनाव में वे चुनाव में सीधा दखल भी देंगे। पहली बार अन्ना हजारे ने खुद इस बात का एलान कर दिया है। उधर, प्रणब मुखर्जी के बुधवार को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण हो जाने के बाद भी उनके खिलाफ टीम अन्ना ने जमकर हमला किया। अन्ना ने पहली बार साफ तौर पर कह दिया है कि इस बार वे चुनावी विकल्प भी देंगे।दूसरी ओर, असम में बोडो और अल्पसंख्यक प्रवासियों के बीच जारी संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को भी निचले असम के चिरंग जिले के कुछ गांवों में हिंसा होने की खबर है। चिरंग जिले में रात का कर्फ्यू लागू है। इसके बावजूद हिंसा हो रही है। मरने वालों की संख्या 41 तक पहुंच गई है। बुधवार को अलग-अलग जगहों पर 9 और लोग मारे गए। राज्य के 11 जिलों में हिंसा फैल चुकी है। करीब 50 लाख लोग बेघर हो गए हैं जबकि एक लाख 70 हजार लोगों ने शरणार्थी शिविरों में पनाह ले रखी है।तनावपूर्ण हालात को देखते हुए सेना के 13 हजार जवान प्रभावित जिलों में बुधवार सुबह से फ्लैग मार्च कर रहे हैं। पैरा मिलिट्री फोर्स के 15 सौ जवानों को भी तैनात किया गया है। पैरा मिलिट्री फोर्स को यह आदेश दिया गया है कि वे उपद्रवियों को 'देखते ही गोली मार' दें।
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच पिछले एक सप्ताह से चल रहा गतिरोध आज शाम समाप्त हो गया। संप्रग में बेहतर समन्वय के लिए दिल्ली और महाराष्ट्र में समन्वय समिति गठित किये जाने की एनसीपी की मांग पर कांग्रेस राजी हो गयी। तालमेल के नए फार्मूले पर रजामंदी के साथ कांग्रेस और राकांपा के बीच पिछले एक हफ्ते से जारी गतिरोध दूर हो गया है। मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के साथ शरद पवार व प्रफुल्ल पटेल की बैठक में जहां संप्रग घटक दलों के बीच नया समन्वय तंत्र बनाने का फैसला हुआ वहीं महाराष्ट्र की सरकार के लिए भी सियासी तालमेल की पुरानी व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाएगा। समन्वय तंत्र की हर महीने एक बैठक होगी।प्रधानमंत्री निवास पर मुलाकात के बाद प्रफुल्ल पटेल का कहना था कि राकांपा ने केंद्र में बीते आठ साल से चल रही सरकार में बेहतर समन्वय की जरूरत का मुद्दा उठाया था। अब जल्द ही एक समन्वय तंत्र बनाया जाएगा और उससे सरकार का अधिक बेहतर चेहरा पेश करने में मदद मिलेगी। कांग्रेस और राकांपा के रिश्तों में खटास की वजह बन रही महाराष्ट्र की सरकार के लिए भी समन्वय की पुरानी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया गया। पटेल के अनुसार यह व्यवस्था पिछले कुछ समय से सुप्त पड़ी थी। इस व्यवस्था में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्ष, राकांपा की ओर से वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस की ओर से भी किसी वरिष्ठ नेता को रखा जाएगा।सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र की कुछ रुकी परियोजनाओं पर भी मराठा नेता को आश्वासन दिया गया है। सितंबर के बाद संप्रग नेतृत्व की ओर से किए गए वादों पर अमल शुरू हो जाएगा। पवार महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री और एनसीपी नेता सुनील तटकरे के खिलाफ 26 हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच नहीं चाहते हैं। इसके अलावा पवार पुणे के नजदीक लवासा में आवासीय प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी न मिलने पर भी नाराज बताए जा रहे हैं। शिवसेना ने शरद पवार को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर उन्हें यूपीए सरकार से इतनी नाराजगी है तो वे समर्थन क्यों वापस नहीं लेते हैं। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले 5 दिनों से शरद पवार पावर गेम खेल रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें नज़रअंदाज करके उनका पावर गेम खत्म कर दिया है।'एनसीपी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के कामकाज को लेकर कई तरह की आपत्तियां रही हैं। वह चाहती है कि कांग्रेस आलाकमान चह्वाण को अपना रवैया बदलने के लिए कहे। लवासा हिल स्टेशन प्रॉजेक्ट को पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी न मिलने से भी एनसीपी नाराज है। जिस तरह स्कूटर्स इंडिया के डिसइन्वेस्टमेंट का प्रफुल्ल पटेल का प्रस्ताव खारिज किया गया , वह भी पार्टी को अखरा है। स्पोर्ट्स बिल में शरद पवार की राय को खेल मंत्री अजय माकन द्वारा नजरअंदाज किया जाना भी उसे नागवार गुजरा है। किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर भी कांग्रेस से उसके मतभेद रहे हैं। इसके अलावा वह चाहती है कि राज्यसभा के उपसभापति का पद उसके नेता तारिक अनवर को दिया जाए और जनार्दन वाघमारे महाराष्ट्र के गवर्नर बनाए जाएं। वह यह भी नहीं चाहती कि आगे यूपीए सरकार की नाकामियों की जवाबदेही किसी भी रूप में उस पर आए। शायद इसलिए भी पार्टी के भीतर यह बात गंभीरता से उठ रही है कि क्यों न कांग्रेस को सरकार से बाहर रहकर समर्थन दिया जाए , ताकि किसी नए सियासी समीकरण का विकल्प अभी से खुला रहे।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने संप्रग सरकार पर नीति निर्धारण करने में अक्षम होने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार में इस हद तक अंदरूनी कलह है कि वह कावेरी जल विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार नहीं कर पा रही है।अन्नाद्रमुक प्रमुख ने कहा कि उन्होंने केंद्र और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बार बार अनुरोध किया कि कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण का वर्ष 2007 में आया फैसला केंद्रीय राजपत्र में अधिसूचित किया जाए लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा 'मैंने 19 मई को प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख कर कावेरी नदी प्राधिकरण की एक बैठक बुलाने की मांग की थी। केंद्र ने कुछ नहीं किया। ऐसा लगता है कि केंद्र के पास जनता की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए समय ही नहीं है क्योंकि वह अपने गठबंधन सहयोगियों द्वारा उत्पन्न कलह से ही जूझ रही है।'उन्होंने कहा 'सरकार नीति निर्धारण करने में सक्षम नहीं है जिसकी वजह से वह कावेरी जल विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार नहीं कर पा रही है।' सिंह को मई में लिखे पत्र में जयललिता ने कर्नाटक पर कावेरी नदी का पानी गैरकानूनी तरीके से गर्मी में सिंचाई के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कावेरी नदी प्राधिकरण की बैठक बुलाने की मांग की थी।
पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और रसोई गैस के दामों में एक बार फिर फेरबदल हो रहा है। पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, असम समेत 7 राज्यों में पेट्रोल, डीजल के दाम आज से बढ़ गए हैं। जबकि गुजरात, कर्नाटक आदि राज्यों में लोगों को ईंधन की ऊंची कीमत से राहत मिलने वाली है।हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सात राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करने के लिए संप्रग सरकार को आड़े हाथों लिया और 'केंद्र के साथ राजनीतिक टकराव' की धमकी देते हुए कीमतों में वृद्धि तत्काल वापस लिए जाने की मांग की। दीदी की सौदेबाजी की आदत के मद्देनजर उनकी धमकी से कोई दीर्घकालीन नीतिगत परिवर्तन होने की उम्मीद किसी को नहीं है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और संप्रग सहयोगियों के साथ विचार विमर्श किए बिना ऐसा फैसला क्यों किया गया जबकि हम आज सुबह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए व्यस्त थे। तेल कंपनियों और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्थानीय शुल्क एवं करों के समायोजन के नाम पर यह फैसला किया है। उन्होंने सवाल किया कि नौ साल बाद यह कदम क्यों उठाया गया जबकि 2003 में यह फैसला किया गया था। उन्होंने कहा कि स्थानीय शुल्क एवं करों का समायोजन सिर्फ सब्सिडी समाप्त करने के लिए है। गरीबों के हितों के लिए सब्सिडी देनी होगी। केंद्र राज्यों से अधिकतम राजस्व हासिल करता है लेकिन उनके लिए बहुत कम रकम छोड़ता है। ममता ने कहा कि हमें केंद्र के साथ राजनीतिक टकराव के लिए बाध्य नहीं करें, नहीं तो हम सड़कों पर उतर आएंगे। कीमतों में वृद्धि से पश्चिम बंगाल जैसे गरीब राज्य प्रभावित होंगे और यह जख्मों पर नमक के समान होगा।
इस बीच भारत में लगातार दूसरे महीने मई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 1.32 अरब डॉलर हो गया जो साल भर पहले इसी माह 4.66 में अरब डॉलर था। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के असर का संकेत मिलता है।आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और विदेशी धन का प्रवाह बढ़ाने के लिए अभी और कई कदम उठाए जाएंगे। विशेषज्ञों ने निवेश में कमी के लिए वैश्विक और घरेलू आर्थिक समस्या को जिम्मेदार ठहराया है और सरकार को सुझाव दिया है कि वे बड़ी सुधार प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाएं ताकि वैश्विक निवेशकों का भरोसा बहाल किया जा सके।दूसरी ओर, मानसून की बेरुखी और बड़े आर्थिक सुधारों में हो रही देरी से चिंतित निवेशकों ने चुनिंदा शेयरों में बिकवाली की। इससे बुधवार को बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेंसेक्स 72.03 अंक लुढ़ककर 16846.05 पर बंद हुआ।भारतीय बाजारों में अस्थिरता का माहौल बरकरार हैं। निफ्टी जहां एक ओर कमजोरी दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर रुपया 56 के पार पहुंचकर बाजार की चिंताओं को बढ़ा रहा है। नकारात्मक वैश्विक हालात बाजार को उठने का मौका नहीं दे रहे हैं। बाजार आर्थिक सुधारों की बाट जोह रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर फिलहाल कोई कदम उठाती नहीं दिख रही है। महंगाई, वित्तीय घाटा, रुपये में कमजोरी ऐसे कारक हैं जो भारतीय बाजारों को नीचे की ओर खींच रहे हैं। महंगाई और मॉनसून की खराब स्थिति को देखते हुए लगता है कि आरबीआई आनेवीली क्रेडिट पॉलिसी के दौरान दरों में कोई कटौती नहीं करेगा। हालांकि सरकार से उम्मीद है कि वह आर्थिक सुधारों के लेकर वह जल्द की कड़े कदम उठाएगी, जिससे भारतीय बाजारों को मजबूती देखी जा सकेगी। मंगलवार को यह 16918.08 अंक पर बंद हुआ था। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 18.60 अंक टूटकर 5109.60 पर पहुंच गया। निवेशकों को डर है कि कम बारिश के कारण खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती कर पाना मुश्किल होगा। केंद्रीय बैंक 31 जुलाई को मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा पेश करेगा। राष्ट्रपति चुनाव के बाद आर्थिक सुधारों की रफ्तार में तेजी आने की उम्मीद थी। ऐसा न होने से भी निवेशक चिंतित हैं। गुरुवार को वायदा सौदों के निपटान का अंतिम दिन है। इस कारण भी उन्होंने सतर्कतापूर्ण लिवाली की। एशियाई बाजारों में गिरावट का भी घरेलू बाजार की कारोबारी धारणा पर असर पड़ा।आखिर आज शेयर बाजार हिम्मत हारता दिखा। आज एशिया के सभी बड़े बाजारों में गिरावट दिखी और इसका असर घरेलू बाजारों पर भी रहा। हालांकि दोपहर में खुले यूरोपीय बाजारों से संकेत अच्छे थे। इसका कुछ फायदा मिला और निचले स्तरों से काफी सुधार दिखा, मगर बावजूद इसके सेंसेक्स और निफ्टी हरे निशान में आने में नाकामयाब रहे।बाजार पर आज सबसे ज्यादा दबाव मेटल और कंज्यूमर ड्यूरेबल शेयरों ने बनाया। मगर एफएमसीजी और आईटी कंपनियों के शेयरों ने इस खराब बाजार में भी शानदार प्रदर्शन किया। आज के कारोबार में दिग्गज शेयरों के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की हालत पस्त रही।रिजर्व बैंक 31 जुलाई को आने वाली क्रेडिट पॉलिसी से पहले बुधवार को बैंकों के साथ अहम बैठक करने वाला है। इस बैठक में बैंकों की स्थिति के साथ-साथ देश के आर्थिक हालातों की समीक्षा भी होगी।घटती विकास दर और बढ़ती महंगाई के बीच यह बैठक अहम मानी जा रही है। इस बैठक के बाद रिजर्व बैंक तय करेगा कि 31 जुलाई को दरों में कटौती की जाए या नहीं। हालांकि जानकारों का अनुमान है कि आगामी पॉलिसी में रिजर्व बैंक दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।
ओमिता पाल को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सचिव नियुक्त किया गया है। सरकारी बयान में बुधवार को बताया गया कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने ओमिता की नियुक्ति पर मुहर लगाई। वह अनुबंध के आधार पर पुनर्नियुक्त हुई हैं और उनका रैंक एवं वेतन सचिव का होगा। ओमिता भारतीय सूचना सेवा की 1973 बैच की सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। प्रणब मुखर्जी के देश के 13वें राष्ट्रपति के पद पर आसीन होने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि उनकी कमी बेहद महसूस करेंगे। यूपीए सरकार में वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री के पद को छोड़कर राष्ट्रपति बने प्रणब की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के कुशल संचालन को लेकर वह हमेशा तत्पर रहते थे और अब हमें कई मोर्चों पर उनकी कमी खलेगी।
मुखर्जी के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद मनमोहन सिंह ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बुधवार को हुई बैठक में कहा कि प्रणब मुखर्जी की अनुपस्थिति बेहद महसूस की जाएगी। उन्होंने इस सरकार में कई कार्यों को अंजाम दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शपथ ग्रहण करने के बाद बुधवार को अपने प्रथम भाषण में कहा कि वह इस उच्च पद पर रहते हुए जनता की सेवा में पक्षपातपूर्ण हितों से ऊपर उठने की कोशिश जारी रखेंगे। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उन्हें जो उच्च सम्मान मिला है, उससे वह भाव विह्वल हो उठे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में वह संविधान की रक्षा, सुरक्षा व संरक्षण की कोशिश करेंगे, न केवल भावना में बल्कि सभी पक्ष व क्षेत्र में।
सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा विभिन्न राज्यों के स्थानीय शुल्कों में हुये बदलाव को समायोजित करने के बाद आज असम, बंगाल और बिहार सहित सात राज्यों में पेट्रोल, डीजल के दाम में कम से दो पैसे और अधिकतम 2.13 रुपये लीटर तक वृद्धि हुई है।समायोजन से रसोई गैस के दाम भी छह राज्यों में बढ़े हैं, असम में अधिकतम वृद्धि 19.43 रुपये रही है जबकि आठ राज्यों में केरोसिन के दाम में अधिकतम 0.85 पैसे की मामूली वृद्धि दर्ज की गई।राज्यों में लगने वाले विभिन्न करों को समायोजित करने की इस प्रक्रिया में गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश सहित 11 राज्यों में पेट्रोल, डीजल के दाम में न्यूनतम दो पैसे और अधिकतम 1.06 रुपये प्रति लीटर गिरावट भी आई है। इसके साथ ही 12 राज्यों में रसोई गैस के दाम घटे हैं। सबसे ज्यादा कमी गुजरात में 10.18 रुपये प्रति सिलेंडर की दर्ज की गई। नौ राज्यों में केरोसिन के दाम में अधिकतम 16 पैसे की गिरावट दर्ज की गई।राज्यों में कच्चे तेल पर लगने वाला प्रवेश कर, बिक्री कर पर अधिभार और कंपनियों के बीच होने वाली खरीद बिक्री पर सीएसटी और खरीद कर ऐसे शुल्क एवं अधिभार हैं जिनकी तेल कंपनियों को भरपाई नहीं की जाती है। वर्ष 2002.03 से विभिन्न राज्यों में उनके शुल्कों के अनुसार वसूले जाने वाले राज्य अधिभार को अपरिवर्तित रखा गया था। उसके बाद से तेल कंपनियों को इस तरह के करों पर काफी नुकसान हो रहा था। इसलिये कंपनियों ने अब राज्य विशिष्ट लागत के अनुसार नया ढांचा तैयार किया है ताकि इनकी वसूली हो सके।अलग अलग राज्य के स्थानीय करों के हिसाब से पेट्रोल, डीजल के दाम समायोजित करने के बाद 11 राज्यों में पेट्रोल, डीजल के दाम कम हुये हैं, नौ राज्यों में केरोसिन और 12 राज्यों में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम घटे हैं। दूसरी तरफ सात राज्यों में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़े हैं जबकि आठ राज्यों में केरोसिन के और छह राज्यों में रसोई गैस के दाम में वृद्धि दर्ज की गई।राज्यों में लगने वाले ऐसे शुल्क एवं कर जिनकी भरपाई तेल कंपनियों को नहीं की जाती रही है उसके लिये केन्द्र सरकार ने जनवरी 2003 में एक योजना अधिसूचित की जिसके तहत ऐसे करों की भरपाई की व्यवस्था की गई। इस योजना को वसूल नहीं होने वाले करों की क्षतिपूर्ति योजना 2002 नाम दिया गया।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा तथा ब्रिटेन के व्यापार मंत्री विंस केबल की कल लंदन में बैठक होगी और ऐसी संभावना है कि ब्रिटेन इसमें वोडाफोन कर मामला उठा सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन द्वारा इस बैठक में वोडाफोन कर मामला उठाये जाने की संभावना है और वह विदेशी बैंकों द्वारा शाखा खोलने के नियमों को सरल बनाने पर जोर दे सकता है।वहीं शर्मा भारतीय पेशेवरों को अल्पकालिक यात्राओं के लिए आसान वीजा नियमों का मुद्दा उठा सकते हैं।अधिकारी ने कहा, ब्रिटेन तथा अन्य देश भारत में बैंक शाखा खोलने के लिए लाइसेंस की संख्या बढाने पर जोर दे रहे हैं। फिलहाल ब्रिटेन के स्टेंडर्ड चार्टर्ड, बार्कलेज बैंक तथा एचएसबीसी की लगभग 148 शाखाएं भारत में हैं।
अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन में 25 भारतीय बैंक शाखाएं हैं। इसके अलावा इंडसइंड बैंक का प्रतिनिधि कार्यालय तथा दो अनुषंगी इकाइयां हैं।शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कांफ्रेस में भाग लेने के लिए लंदन गए हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को विकास नीति पर एक बार फिर से विचार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों का मौजूदा तर्क, रिसन का सिद्धांत गरीबी उन्मूलन में कारगर नहीं होगा।मुखर्जी ने देश का 13वां राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले भाषण में कहा, "अपने विकास को वास्तविक बनाने के लिए देश के सबसे गरीब व्यक्ति को यह अहसास कराना होगा कि वे उदित हो रहे भारत के हिस्सा हैं।"
मुखर्जी ने कहा, "रिसन के सिद्धांत गरीबों की उचित आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरते। हमें देश के अंतिम व्यक्ति को ऊपर उठाना होगा ताकि आधुनिक भारत के शब्दकोश से गरीबी शब्द मिट जाए।"भारत के संदर्भ में रिसन का आर्थिक सिद्धांत कहता है कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर ऊपर से रिसन शुरू होगा ताकि हर कोई बेहतर स्थिति में आ सके।पश्चिम में इस सिद्धांत को 1980 के दशक में अमेरिका में रोनाल्ड रीगन और ब्रिटेन में मार्गरेट थैचर ने बढ़ावा दिया था।
बंगाल में अकाल के दिनों को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा, "भूख से बढ़कर कोई अभिशाप नहीं है।" मुखर्जी के युवावस्था में आए इस अकाल में लाखों लोगों की भूख से मौत हो गई थी।मुखर्जी ने कहा, "हमारा वह राष्ट्रीय मिशन लगातार जारी रहना चाहिए, जो मिशन महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, अम्बेडकर और मौलाना आजाद के समय था, जिसे उन्होंने हमें पेश किया था : गरीबी का अभिशाप समाप्त करो, और युवाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा करो ताकि वे हमारे देश को कई कदम आगे ले जाए।"
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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
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Wednesday, July 25, 2012
राष्ट्रहित का कहीं कोई संदर्भ नहीं! पूरा देश कारपोरेट आखेटगाह बन गया है!
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