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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, July 31, 2012

पस्त घोड़ों को मस्त मंत्रालय, मनमोहन का नया कारनामा! मंत्रिमंडल में फेरबदल तब किये गये जबकि देश की आधी आबादी अंधेरे से जूझ रही थी।

पस्त घोड़ों को मस्त मंत्रालय, मनमोहन का नया कारनामा! मंत्रिमंडल में फेरबदल तब किये गये जबकि देश की आधी आबादी अंधेरे से जूझ रही थी

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में प्रधानमंत्री फेल हो गये तो वित्तमंत्री और बाद में गृहमंत्री, दोनों भूमिकाओं में असफल चिदंबरम के देश की अर्थवयवस्ता की कमान तब सौंपी गया जबकि योजना आयोग के योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा कारोबारी साल में देश की विकास दर छह फीसदी से 6.5 फीसदी के बीच रहने की संभावना है। उन्होंने साथ ही कहा कि विकास दर के आठ फीसदी के पास पहुंचने में कम से कम दो साल लग जाएंगे। अहलूवालिया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि विकास दर छह फीसदी से 6.5 फीसदी रहने वाली है। यदि विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी, तो यह बेहतर प्रदर्शन होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंगलवार को किए गए मामूली फेरबदल के बाद पी. चिदंबरम अब देश के नए वित्त मंत्री होंगे, जबकि सुशील कुमार शिंदे गृह मंत्री बनाए गए हैं। वित्त मंत्री का पद पिछले महीने प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी के चलते यह पद छोड़े जाने के बाद खाली हुआ था । शिंदे इससे पहले बिजली मंत्री थे।बिजली मंत्री के रुप में विश्व के सबसे बड़े ब्लैकआउट की उपलब्धि हासिल करने वाले शिंदे को गृहमंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि कंपनी मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली को बिजली मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कारपोरेट हित साधने में मोइली की कोई सानी नहीं है। बिजली आपूर्ति बाधित करके बिजली दरें बढ़ाने के लिए दबाव बनाना दुनियाभर में निजीकरण के दौर में बिजली सेक्टर में अकूत मुनाफा कमाने का खेल है। शिंदे ने निजी कंपनियों को खुल्ला खेलने की जो छूड दी है, उसीके पुरस्कार बतौर उन्हें गृह मंत्रालय सौंपा गया है। अब यह तो कोई छुपा हुआ तथ्य है नहीं कि आंतरिक सुरक्षा का मतलब जल जगंल जमीन के हक हकूक के खिलाफ खुला युद्ध है और जिसका आखिरी लक्ष्य कारपोरेट हित में प्रकृतिक संसाधन समृद्ध इलाकों से बहिष्कृत समाज की व्यापक बेदखली है। कारपोरेट सरकार ने अपना एजंडा पूरा करने में जाहिर है कि कोई कसर नहीं छोड़ी है। सुधारों के पैरोकार माने जाने वाले चिदंबरम को बड़े आर्थिक फैसलों को लागू कराने की चुनौती के साथ वित्त मंत्रालय लाया गया है। वहीं, अब तक ऊर्जा मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे को गृहमंत्री बनाकर गृह मंत्रालय को एक बार फिर महाराष्ट्र के खाते में डाल दिया गया है। संकटग्रस्त ऊर्जा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार कंपनी मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली को देकर उनका कद बढ़ा दिया गया है।

मंत्रिमंडल में फेरबदल का मुहूर्त कुछ अजीबोगरीब जरूर है, ये फेरबदल तब किये गये जबकि देश की आधी आबादी अंधेरे से जूझ रही थी। संसद सत्र से पहले अपेक्षा के मुताबिक मामूली दिखने वाले, लेकिन अहम फेरबदल में पी. चिदंबरम को तमाम विरोध के बावजूद वित्त मंत्रालय लाने के बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। चिदंबरम 2जी, एयरसेल मैक्सिस समेत तमाम मामलों को लेकर विपक्ष और सिविल सोसाइटी के निशाने पर हैं। कांग्रेस में भी चिदंबरम को वित्त मंत्री के तौर पर पसंद करने वाले कम थे। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस दफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इसके लिए तैयार करने में कामयाब रहें। सरकार ने आज तक ऐसा संकट नहीं देखा था। देश में आज तक ऐसा संकट नहीं आया था। स्थिति गंभीर थी। जाहिर है इससे जल्द मुक्ति मिलने वाली नहीं थी। उत्तरी ग्रिड फेल होने की वजह से दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, राजस्थान में बिजली पूरी तरह से गुल हो गई। जबकि पूर्वी ग्रिड फेल होने की वजह से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम की बिजली गुल हो गई।एक बार फिर देश के 20 से ज्यादा राज्यों में तीन ग्रिड फेल होने की वजह से बिजली गुल हो गई। देश के 65 करोड़ लोगों की जिंदगी जहां की तहां ठप हो गई। सोमवार को भी यही हुआ था। तब सिर्फ 9 राज्यों की बिजली ठप हुई थी। लेकिन मंगलवार को तो बिजली की स्थिति भयावह हो गई। केंद्र का कहना है कि राज्यों ने अपने कोटे से ज्यादा बिजली ली इस वजह से ऐसा हुआ। देर रात तक धीरे-धीरे हालात सामान्य करने की कोशिश की जा रही थी। कुछ राज्यों के लालच ने करीब 60 करोड़ लोगों को अंधेरे में डुबो दिया! सोमवार देर रात नॉर्दर्न ग्रिड फेल होने पर जारी चेतावनी पर भी कुछ राज्य नहीं माने और उन्होंने अपने कोटे से ज्यादा बिजली खींचनी जारी रखी। नतीजतन मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे नॉर्दन, नॉर्दन-ईस्टर्न और ईस्टर्न ग्रिड में एक साथ खराबी आ गई। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसके लिए यूपी, हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार हराया।शुक्रवार के दोपहर एक बजकर 10 मिनट हुए थे कि तभी अचानक हाहाकार मच गया। एक बाद एक 22 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की बिजली गुल हो गई। 65 करोड़ लोगों पर सीधा असर हुआ। 65 करोड़ लोग बिना बिजली के अंधेरे में रहने को मजबूर हुए। 400 से ज्यादा ट्रेनें रुक गईं। अस्पताल ठप हो गए। पानी सप्लाई बंद हो गई। रेड लाइट बंद होने से सड़कों पर जाम लग गया। दिल्ली मेट्रो जहां की तहां ठहर गई। सरकारी संस्थानों में काम ठप हो गया। उद्योगों का चक्का रुक गया।दो दिन में दूसरी बार ठीक ऐसा हुआ था लगा जैसे एक्शन रीप्ले हो लेकिन कुछ ही मिनट बाद समझ आया कि इस बार हाल कहीं ज्यादा बदतर हैं। सोमवार को सिर्फ 9 राज्यों की बिजली गुल हुई थी मंगलवार को 22 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में हाहाकार मचा हुआ था। केंद्र सरकार सकते में आ गई, बिजली मंत्री के होश उड़ गए। तीन ग्रिड एक के बाद एक फेल जो हो गए थे। कई घंटों तक सीधे सवालों से बचने के बाद मंत्री सुशील कुमार शिंदे सामने आए और राज्यों की बेईमानी को इस संकट का जनक करार दिया। कहा कि कई राज्यों ने अपने कोटे से ज्यादा बिजली खींची और इस वजह से ग्रिड फेल हो गया।इस आफत में सबसे बुरी तरह से फंसे थे इन 22 राज्यों से सफर करने वाले ट्रेन यात्री। 400 से ज्यादा ट्रेनें जहां की तहां रुक गईं। इसमें राजधानी और शताब्दी जैसी वीआईपी ट्रेनें भी थीं। लाखों यात्री बीच रास्ते में फंस गए। जिन्हें ट्रेनें पकड़नी थीं वो इंतजार करते रह गए। दिल्ली, लखनऊ, पटना, कोलकाता, चंडीगढ़ कोटा, जयपुर जैसे महत्वपूर्ण स्टेशनों पर ट्रेनों का आवागमन बंद हो गया। लाखों यात्रियों को स्थिति की सही जानकारी भी नहीं मिल पा रही थी। स्टेशन पर उन्हें सिर्फ माइक से बिजली नहीं होने पर ट्रेनें लेट होने का एनाउंसमेंट ही सुनाई दे रहा था। लेकिन कौन सी ट्रेन कब आएगी ये पता ही नहीं चल पा रहा था। उत्तर भारत के हर स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल था।

दूसरी ओर, अर्थ व्यवस्था पर विदेशी पूंजीप्रवाह के बहाने काले धन का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है। लगता है कि नई व्यवस्था कालाधन खपाने की प्रणाली की हिफाजत के लिए बनायी गयी है।योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि हमारी स्वाभाविका विकास दर आठ फीसदी है, लेकिन हमें वापस इस गति तक पहुंचने में कम से कम दो साल लग जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि महंगाई अब भी बड़ी चिंता है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग पांच से छह फीसदी महंगाई को सुविधाजनक मानता है, जबकि रिजर्व बैंक चार से पांच फीसदी को। उन्होंने कहा कि इसलिए स्पष्ट है कि महंगाई सुविधाजनक स्तर पर नहीं है। महंगाई दर जून महीने में 7.25 फीसदी दर्ज की गई है। रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा में मंगलवार को रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया।  भारतीय शेयर बाजारों में इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश 15 अरब डालर के आंकड़े पर पहुंच सकता है। जानकारों ने यह राय जाहिर की है। 2012 में अभी तक एफआईआई का निवेश 10 अरब डालर पर पहुंच चुका है।डाल्टन कैपिटल एडवाइजर्स (इंडिया) के प्रबंध निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि इस साल शेयर बाजारों में एफआईआई का निवेश 15 अरब डालर पर पहुंच जाएगा। एफआईआई इस साल जुलाई तक शेयर बाजारों में 10 अरब डालर का निवेश कर चुके हैं। इस तरह पहले सात माह में एफआईआई का शुद्ध निवेश पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 336 फीसद अधिक रहा है।

इसी बीच अर्थ व्यवस्था की पतली सेहत का खुलासा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा कि महंगाई के ऊंचे स्तर पर रहने के कारण निकट भविष्य में दरों में कटौती की गुंजाइश कम है, लेकिन 2012 में इसमें कमी किए जाने की गुंजाइश है। संवादाताओं के सवाल के जवाब में सुब्बाराव ने कहा कि हां, मुझे गुंजाइश दिख रही है, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि यह कब होगी। मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने मंगलवार को प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा और कहा कि दरों में कटौती करने से महंगाई बढ़ सकती है। बैंक ने रेपो दर को आठ फीसदी और रिवर्स रेपो दर को सात फीसदी पर बरकरार रखा।आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी के तहत रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। ऐसे में आरबीआई के फैसले के बाद रेपो रेट 8 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 7 फीसदी पर कायम रहेगा।वहीं सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ये 4.75 फीसदी पर कायम है। आरबीआई ने हालांकि एसएलआर 24 फीसदी से घटाकर 23 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2013 में महंगाई दर का अनुमान 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। वित्त वर्ष 2013 में जीडीपी दर का अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया और कहा कि दरों में कटौती से मुद्रास्फीतिक दबाव और बढ़ जाएगा। आरबीआई ने हालांकि अप्रत्याशित रूप से सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 24 फीसदी से घटाकर 23 फीसदी कर दिया, जो 11 अगस्त से लागू होगा। एसएलआर में एक प्रतिशतांक की अप्रत्याशित कटौती का मकसद बाजार को कर्ज का प्रवाह बढ़ाना है।

देश की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल की पहली छमाही में छह फीसदी से कम रह सकती है, लेकिन इसके बाद इसमें वृद्धि होगी और महंगाई दर घट कर सात फीसदी तक आ जाएगी। यह बात मंगलवार को मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कही। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में मीडिया से आखिरी बार मुखातिब होते हुए बसु ने कहा, पहली दो तिमाहियों में विकास दर छह फीसदी से कम रहेगी। उम्मीद है कि इसके बाद इसमें वृद्धि होगी।

चिदंबरम (66) की साढ़े तीन साल से अधिक समय के बाद वित्त मंत्रालय में वापसी हुई है। मुम्बई में आतंकी हमलों के मद्देनजर दिसंबर 2008 में देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने के दायित्व के साथ चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय भेजा गया था। चिदंबरम को वित्त मंत्रालय का प्रभार ऐसे समय मिला है जब अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है और कर संबंधी मुद्दों पर कुछ फैसलों से विदेशी निवेशकों में एक डर पैदा हो गया है। चिदंबरम को महंगाई पर काबू पाने और देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार फिर बढ़ाने जैसी चुनौतियों के अतिरिक्त विदेशी निवेशकों में विश्वास बहाल करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।

प्रणब मुखर्जी की सरकार से विदाई के बाद वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की जिम्मेदारियों में इजाफा हो गया है। अब वह 15 में सात मंत्रिसमूह [जीओएम] और दो अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह [ईजीओएम] की अध्यक्षता कर रहे हैं। वहीं, रक्षा मंत्री एके एंटनी तीन ईजीओएम और चार जीओएम की अध्यक्षता कर रहे हैं। कृषि मंत्री शरद पवार एक ईजीओएम और तीन जीओएम की अध्यक्षता कर रहे हैं।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईजीओएम की संख्या 12 से घटाकर छह कर दी है। वहीं, जीओएम की संख्या भी 27 से घटाकर 15 कर दी गई है।

खाद्य सुरक्षा कानून, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना, सेज से जुड़े मुद्दे और तेल विपणन कंपनियों की कम वसूली पर बनाए गए छह ईजीओएम बंद कर दिए गए हैं। गैस कीमत निर्धारण, मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम्स, अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट पर गठित ईजीओएम की अध्यक्षता एंटनी कर रहे हैं, जबकि दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार पर बने ईजीओएम की अध्यक्षता चिदंबरम कर रहे हैं। पवार को सूखा पर गठित ईजीओएम का अध्यक्ष बनाया गया है।

चिदंबरम को उड्डयन, प्रसार भारती, प्रतिस्पर्धा कानून संशोधन, कोयला नियामक गठन से जुड़े मुद्दों और सामाजिक तौर पर विकसित हो चुके लोगों को ओबीसी सूची से निकालने के मापदंड संशोधन पर गठित जीओएम का अध्यक्ष बनाया गया है।

राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पहले प्रणब मुखर्जी के पास वित्त मंत्रालय था । उनके वित्त मंत्री का पद छोड़ने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल आवश्यक हो गया था। मुखर्जी ने 26 जून को वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था और तब से प्रधानमंत्री खुद वित्त मंत्रालय का कार्यभार देख रहे थे। प्रणब मुखर्जी के इस्तीफे के बाद ही संकेत दे दिए गए थे कि सुस्त आर्थिक रफ्तार और नीतिगत शून्यता के आरोपों के बीच कड़े आर्थिक सुधारों के पैरोकार चिदंबरम ही उनकी जगह लेंगे। गृह मंत्री के लिए चेहरा तलाशना कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती थी। गृह मंत्रालय के लिए कांग्रेस की पहली प्राथमिकता 10, जनपथ का विश्वसनीय होना है। इसीलिए, बतौर ऊर्जा मंत्री शिंदे का प्रदर्शन ठीक नहीं होने के बावजूद उन्हें ही गृह मंत्रालय जैसा संवेदनशील और बड़ा प्रभार सौंपा गया है। संकेत हैं कि अब शिंदे को लोकसभा में सदन का नेता भी बना दिया जाएगा। वहीं, कानून मंत्री से हटाकर कम महत्व के कॉरपोरेट मंत्रालय भेजे गए वीरप्पा मोइली को फिर से प्रोन्नत कर ऊर्जा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

राहुल गांधी को शामिल किए जाने की उम्मीद के साथ मानसून सत्र के बाद मंत्रिपरिषद में किसी बड़े फेरबदल की संभावना है। सूत्रों की मानें तो संसद सत्र से पहले यह मामूली फेरबदल है। मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल का बड़ा विस्तार या कांग्रेस में जिसे मेजर सर्जरी कहा जा रहा है, वह सितंबर में होगा। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को सरकार में लाने से लेकर कई नए चेहरों को मौका देने और कई पुरानों पर गाज गिरने के संकेत दिए जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट में भारी फेरबदल मानसून सत्र के बाद सितंबर में किया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री बनाए जाने के बाद सुशील कुमार शिंदे को लोकसभा में यूपीए का नेता भी चुना जा सकता है। राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद से ही वित्त मंत्री की कुर्सी खाली है।

वर्ष 2008 तक चिदंबरम वित्त मंत्री थे लेकिन 2008 में 26/11 हमलों के बाद उन्हें गृह मंत्रालय की कमान सौंपी गई थी।

विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में उतार चढ़ाव तथा अमेरिका और भारत जैसे देशों में सूखे जैसी स्थिति के परिणामस्वरूप गरीबों पर होने वाले इसके प्रभावों के बारे में चिंता जतायी है।अमेरिका के सूखे के वैश्विक बाजार पर प्रभाव से बाकी देशों की स्थिति और खराब हो रही है। ये देश मौजूदा समय में मौसम की वजह से उत्पादन की समस्या से जूझ रहे हैं।कई यूरोपीय देशों में लगभग निरंतर बरसात गेहूं की फसल के लिए समस्या पैदा कर रही हैं जबकि रूस, उक्रेन और कजाखस्तान में गेहूं की फसल बरसात की कमी से प्रभावित हो रही है।किम ने कहा कि भारत में, मानसून की बरसात करीब 20 प्रतिशत दीर्घावधिक सालाना औसत से कम है। बुआई के लिए जुलाई का महीना काफी महत्वपूर्ण है और अगर बरसात नहीं बढ़ी तो इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

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