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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, July 25, 2012

प्रणव की बिदाई के बाद संकटमोचक बने अहमद भाई

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प्रणव की बिदाई के बाद संकटमोचक बने अहमद भाई

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता था। उनके महामहिम राष्ट्रपति चुने जाने के साथ ही यह चर्चा आरंभ हो गई थी, कि आखिर उनके स्थान पर कांग्रेस को संकट से उबारने में कौन महती भूमिका निभाएगा? पिछले एक माह के प्रदर्शन के आधार पर कहा जाने लगा है कि प्रणव मुखर्जी के वारिस के बतौर अब कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल ने काम करना आरंभ कर दिया है।

अहमद पटेल के सितारे इन दिनों खासे बुलंदी पर हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) में जिस तरह एक समय विसेंट जार्ज की तूती बोला करती थी, वह केंद्र अब पूरी तरह अहमद पटेल मय होता दिख रहा है।

इसी दस जनपथ के आस पास मंडरानेवाले लोग बता रहे हैं कि पिछले एक महीने में प्रणव मुखर्जी की अनुपस्थिति और व्यस्तताओं के चलते उनकी सारी जवाबदारी अहमद पटेल ने बखूबी निभाई है। वे अहमद पटेल ही थे जिन्होंने कांग्रेस को रायसीना हिल्स की जंग में जीत के मार्ग प्रशस्त करवाए।

सूत्रों ने बताया कि संकट के दौरान सियासी नेताओं से बातचीत कर माहौल को कांग्रेस के पक्ष में अहमद पटेल ने ही मोड़ा है। मामला चाहे ममता बनर्जी को मनाने का हो, या मुलायम सिंह यादव को यू टर्न दिलवाने का अथवा सीताराम येचुरी से चर्चा कर उन्हें मनाने का, हर मामले को बखूबी अंजाम दिया है अहमद पटेल ने। ममता बनर्जी को कांग्रेस के पक्ष में लाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।

इतना ही नहीं दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच पानी के विवाद को खत्म कराकर बीच का रास्ता निकालने वाले भी कोई और नहीं अहमद पटेल ही थे। अहमद पटेल को अब कांग्रेस में शक्ति पुंज के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इस बीच दस जनपथ में घुसपैठ की कोशिश में लगे राजीव शुक्ला जैसे लोग जगह जगह यह कहते हुए श्रेय ले रहे हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा मेहनत उन्होंने की. यहां तक कि उनके समर्थक यह भी प्रचारित कर रहे हैं कि राजीव शुक्ला अहमद पटेल से बड़े चाणक्य बनकर उभर रहे हैं. एक अंग्रेजी पत्रिका ने तो बाकायदा उन्हें अगला चाणक्य ही घोषित कर दिया.

लेकिन जिस तरह से अहमद पटेल ने राष्ट्रपति चुनाव में भूमिका निभाकर प्रणव मुखर्जी की जीत पक्की की है उससे प्रणव दा भी उनसे प्रसन्न नजर आ रहे हैं. इसलिए नंबर दो की लड़ाई बाहर कोई भी लड़े भीतर बाजी अहमद पटेल के हाथ लग चुकी है. शायद. अगर ऐसा है तो शरद पवार और एनसीपी निश्चित रूप से सरकार का नया संकट है जिसका समाधान अहमद भाई को खोजना है.


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