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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, June 1, 2013

राज्य सरकार और चुनाव आयोग में समन्वय बेहद जरुरी है, वरना हालात बेलगाम होने ही वाले हैं!अराजकता का फायदा माओवादी भी उठा सकते हैं!

राज्य सरकार और चुनाव आयोग में समन्वय बेहद जरुरी है, वरना हालात बेलगाम होने ही वाले हैं!अराजकता का फायदा माओवादी भी उठा सकते हैं!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कल हावड़ा संसदीय उपचुनाव के लिए मतदान है। फिलहाल वहां सत्तादल को बढ़त मिली हुई है। दो जून को चुनाव मतदान खत्म होने के बाद हावड़ा के नतीजे के मुताबिक बंगाल में राजनीतिक ध्रूवीकरण तेज होना है। अभी हर उस जिले में पंचायत चुनाव को लेकर नामांकन के दौरान हिंसा की खबरें आ रही हैं, जहां अधिसूचना जारी हो चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच अदालती लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। सुरक्षा इंतजाम केंद्र से वाहिनी की अंततः मांग कर देने के बावजूद आधा अधूरा है। गनीमत है कि हिंसा की किसी बड़ी खबर की पिलहाल सूचना नहीं है। लेकिन नामांकन से रोकने, नामांकन वापस लेने और नामांकन के बाद प्रत्याशी से मारपीट की घटनाएं पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में हो रही है। चुनाव आयोग ौर सरकार में इसे लेकर बी घमासान मचा हुआ है कि प्रशासनिक अधिकारी चुनाव के दौरान किसके मातहत हैं। आयोग ने प्रत्याशियों का आय का हिसाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है, जिसका मुख्यमंत्री ने कड़ा विरोध किया है।ऐसे में राज्यपाल भी आश्वस्त नहीं है कि चुनाव शांति से निपटेंगे। उन्होंने खुद प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत की है। अब जब अदालती आदेश से चुनाव हो ही रहे हैं, तो राज्य सरकार और चुनाव आयोग में समन्वय बेहद जरुरी है, वरना हालात बेलगाम होने ही वाले हैं!


वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने कहा है कि हावड़ा लोकसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस ने आतंक फैला रखा है। विपक्षी दलों खास कर वाममोर्चा समर्थकों पर तृणमूल ने हमला तेज कर दिया है। बोस ने कहा कि हावड़ा लोकसभा के उप चुनाव में अधिकांश क्षेत्रों में तृणमूल का आतंक कायम है। वाममोर्चा के नेताओं को चुनाव प्रचार में बाधा डाला जा रहा है। दीवार लेखन से लेकर प्रचार के दौरान वाममोर्चा समर्थको पर हमला हुआ और अब उन्हें तरह-तरह की धमकियां मिल रही है। वाममोर्चा ने मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता को इस संबंध में 9 पत्र लिखे है। हावड़ा में संबंधित अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया है। चुनाव आयोग, दिल्ली को भी पत्र लिखा गया है। बोस ने कहा कि चुनाव अधिकारी को अविलंब तृणमूल कांग्रेस की गुंडागर्दी बंद करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।


कोयलांचल समेत दुर्गापुर आसनसोल शिल्पांचल में संघर्ष की घटनाएं शुरु हो चुकी हैं, जहां राजनीति पर तृणमूल स्तर से माफियातत्वों की गहरी पकड़ है। दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।वहीं वर्दवान के ग्रामीण अंचलों में जहां अब भी बड़ी संख्यामें पंचायतों पर वामदलों का कब्जा है, परिस्थितियां अग्निगर्भ हैं।हावड़ा लोकसभा उप चुनाव की तरह पंचायत चुनाव को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस का तांडव शुरू हो गया है। गुरुवार को नामांकन के दूसरे दिन भी विभिन्न जिलों में तृणमूल कांग्रेस ने तांडव मचाया ताकि विपक्षी दलों के उम्मीदवार नामांकन नहीं दाखिल कर सके। कई जगहों पर बीडीओ कार्यालय में नामांकन का फार्म उठाने पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने मार-पीट कर वाममोर्चा समर्थकों को खदेड़ दिया। विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। व‌र्द्धमान जिले के 13 ब्लाकों में इस तरह की घटनाएं घटी है।  मेदिनीपुर में माओवादी तृणमूल उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल न करने की धमकी दे रहे हैं और पूरे जंगल महल में पुरुलिया और बांकुड़ तक माओवादी सक्रियता बढ़ चुकी है। जहां माओवादी सक्रिय नही है , वहां सत्तदल पर आरोप है कि वे विरोधियों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने नहीं दे रहे हैं।पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर दोनो जिलों में राजनीतिक हिंसा का लंबा इतिहास है। पासकुड़ा, मूगबेड़िया,कांथि, नंदीग्राम, पटासपुर, नारायमगढ़ इलाकों से संघर्ष की खबरें आने लगी हैं।बीरभूम से लेकर नदिया और उत्तर व दक्षिण 24 परगना में भी हालात गंभीर हैं।


दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में दूसरे दिन भी तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहर बरपाया। उम्मीदवार के प्रस्तावक को रिवाल्वर से भय दिखाया गया। लोहे का राड और कटारी निकाल कर मारने की धमकी दी गई। कई जिलों में वाममोर्चा समर्थकों को इलाका छोड़ कर भागने के लिए मजबूर किया जा रहा है।


वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने कहा यह सब कुछ सरकारी अधिकारी और पुलिस के सामने हो रहा है। चुनाव आयोग को तृणमूल का तांडव रोकने के लिए कारगर कदम उठाना होगा। पर्याप्त सुरक्षा बलों के अभाव में पंचायत चुनाव तमाशा बन कर रह जाएगा।


सुकमाकांड के बाद पंचायत चुनाव में हो रही अराजकता का फायदा माओवादी भी उठा सकते हैं।केंद्र ने इसकी चेतावनी और सूचना पहले ही राज्य को दे दी है। नामांकन दाखिल होने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री,मंत्री, सांसद और विपक्ष के बड़े नेता,केंद्रीय मंत्री तक पर्चार अभियान में शामिल होने वाले हैं। जबकि हालात यह है कि राज्य सरकार को सुरक्षा इंतजाम के लिए अभी सत्तर हजार जवान चाहिए।पड़ोसी राज्य माओवादी खतरे से जूझ ही रहे हैं, वहां से सशस्त्र पुलिस नहीं आ रही है। देर से पत्र देने की वजह से केंद्रीय बलों की कंपनियां कब मौकों पर तैनात हो सकेंगी, कोई ठिकाना नहीं है। नेताओं की सुरक्षा इंतजाम दुरुस्त करने की कवायद शुरु होते ही गांवों में उम्मीदवारों और वोटरों के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम की गुंजाइश नहीं बचेगी। तब क्या होगा? जबकि केंद्र की सूचना के मुताबिक  चुनाव को बाधित करने के लिए माओवादियों का गुट सूबे में प्रवेश कर गया है तथा उसके मंसूबे ठीक नहीं है। इसकी सूचना राज्य व केंद्रीय खुफिया विभाग को है। माओवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के कोई हिंसक वारदात भी कर सकते हैं। केंद्रीय व राज्य खुफिया विभाग के सूत्रों के अनुसार सूबे के जंगल क्षेत्र के तीन जिला समेत राज्य के 9 जिलों में माओवादी गतिविधि विभिन्न समय पर देखी गई हैं। इससे संबंधित रिपोर्ट खुफिया विभाग ने राज्य व केंद्रीय गृह विभाग भेजी है। खुफिया विभाग को आशंका है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग को चुनौती देने के लिए माओवादी हिंसक वारदात कर सकते हैं। माओवादी कार्यकलाप बंद करने का सुरक्षा बल अभियान के दौरान माओवादी शीर्ष नेता किशनजी की मौत व कई प्रभावशाली कमांडर सरेंडर करने के बाद माओवादी शक्ति घटी थी। मगर फिर से माओवादियों के सक्रिय होने की सूचना खुफिया विभाग के पास पहुंच रही हैं। बताया जाता है कि बकुड़ा, पश्चिम मेदनीपुर, पुरूलिया जिला इलाका में माओवादी सक्रिय तेजी से बढ़ी है। गृह विभाग को भेजी रिपोर्ट में खुफिया विभाग ने कहा कि पश्चिम मेदनीपुर के नयाग्राम, गोपीवल्लभपुर सीमावर्ती क्षेत्र के उड़ीसा से माओवादी का एक स्कवायड राज्य में प्रवेश किया है। इसके अलावा झारखंड क्षेत्र से भी माओवादी दल मेहदीपुर छोड़कर वर्दमान, वीरभूम, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली जिला में माओवादी हमला करने की फिराक में है इसके अलावा उत्तर बंगाल के कई जिले में भी माओवादी नेपाली माओवादी की मदद से हमले की योजना बना रहे हैं।


पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक दीपक घोष ने कहा कि पश्चिम मेदिनीपुर जिले में माओवाद प्रभावित इलाकों में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग की पैनी नजर रहेगी। इस दौरान सुरक्षा की खास व्यवस्था रहेगी। पश्चिम मेदिनीपुर जिलांतर्गत मेदिनीपुर स्थित सर्किट हाउस में शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक दीपक घोष ने बताया कि आदर्श चुनाव संहिता लागू करने के लिए पुलिस व नागरिक प्रशासन संयुक्त तौर पर काम करेंगे।


दीपक घोष ने कहा कि यदि पंचायत समिति अथवा ग्राम पंचायत चुनाव में संबंधित उम्मीदवार को नामांकन पत्र जमा करने में किसी प्रकार की बाधा आती हो, तो वह स्थानीय एसडीओ कार्यालय में अपना नामांकन पत्र जमा कर सकता है अथवा शिकायत होने पर लिखित शिकायत होने पर आवश्यक कदम उठाया जाएगा। इससे पूर्व दीपक घोष ने झाड़ग्राम की एसपी भारती घोष, प. मेदिनीपुर के एसपी सुनील चौधरी, डीएम सुरेन्द्र गुप्ता समेत जिले के चुनाव पर्यवेक्षकों के साथ एक बैठक भी की।


राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय ने पहले ही चेतावनी दे रखी है कि चुनाव प्रक्रिया सुऱु होने के बाद जरुरी हुआ तो वे धारा 137 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकती हैं। चुनाव आयोग ने औपचारिक रूप से तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की। इसी के साथ कुल 17 जिलों में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। प्रथम चरण में 2 जुलाई को उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरूलिया, हावड़ा, हुगली और व‌र्द्धमान जिले में होने वाले मदान के लिए बुधवार से नामांकन शुरू हो जाएगा। दूसरे चरण में 6 जुलाई को नदिया, मालदा, मुर्शिदाबाद और वीरभूम जिले में मतदान होगा। जिसके लिए तीन जून से नामांकन शुरु हो जाएगा। तीसरे व अंतिम चरण में 9 जुलाई को कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर में मतदान होगा। इसके लिए पांच जून से नामांकन शुरू होगा।


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