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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, November 1, 2013

আঁধারে আধার এবং US surveillance! NSA hacked Google and Yahoo data links মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'হাজার রকম কার্ড দিয়ে মানুষকে সমস্যায় ফেলা হচ্ছে৷ সুবিধার্থে একটিই কার্ড থাকা উচিত৷' आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए : ममता बनर्जी न नागरिकता निलंबित की जा सकती है और न नागरिक सेवाएं स्थगित की जा सकतीहै।सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है,राज्य में बाहैसियत मुख्यमंत्री कानून के राज के लिए ममता दीदी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। अब अगर मां माटी मानुष की सरकार के राज में नकद सब्सिडी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए केंद्र के साथ वे भी समान जिम्मेदार हैं। जंगलमहल इलाके में माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहली बार ड्रोन के इस्तेमाल की योजना बनाई है। बंगाल ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य होगा।

আঁধারে আধার এবং US surveillance!

NSA hacked Google and Yahoo data links


মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'হাজার রকম কার্ড দিয়ে মানুষকে সমস্যায় ফেলা হচ্ছে৷ সুবিধার্থে একটিই কার্ড থাকা উচিত৷'


आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए : ममता बनर्जी

न नागरिकता निलंबित की जा सकती है और न नागरिक सेवाएं स्थगित की जा सकतीहै।सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है,राज्य में बाहैसियत मुख्यमंत्री कानून के राज के लिए ममता दीदी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। अब अगर मां माटी मानुष की सरकार के राज में नकद सब्सिडी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, तो सुप्रीम  कोर्ट की अवमानना के लिए केंद्र के साथ वे भी समान जिम्मेदार हैं।


जंगलमहल इलाके में  माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहली बार ड्रोन के इस्तेमाल की योजना बनाई है। बंगाल ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य होगा।

Palash Biswas

মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'হাজার রকম কার্ড দিয়ে মানুষকে সমস্যায় ফেলা হচ্ছে৷ সুবিধার্থে একটিই কার্ড থাকা উচিত৷'


হাজার রকম কার্ড নিয়ে মমতাদিদির আপত্তি যুক্তিপূর্ণ এবং যেহেতু বাংলায় আধার এখনো আঁধারে,কাজই হয়নি,তাই মুখ্যমন্ত্রীকে তিনি ক্যাশ সাবসিডি প্রকল্পের ব্যাপার খতিয়ে দেখতে বলেছেন।


তাঁর নাগরকত্বের অধিকার নিয়ে কোনো মাথাব্যথা নেই।


বাজার দরে রান্নার গ্যাস কিনতে হলে জনরোষ নিয়েই দিদির চিন্তা।


न नागरिकता निलंबित की जा सकती है और न नागरिक सेवाएं स्थगित की जा सकतीहै।


सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है,राज्य में बाहैसियत मुख्यमंत्री कानून के राज के लिए ममता दीदी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। अब अगर मां माटी मानुष की सरकार के राज में नकद सब्सिडी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, तो सुप्रीम  कोर्ट की अवमानना के लिए केंद्र के साथ वे भी समान जिम्मेदार हैं।


दरअसल नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वे ही हनन कर रही हैं कोलकाता  के ासमान में दुर्गापूजा और कालीपूजा के दौरान ड्रोन तैनात करके । ड्रोन उनकी सुरक्षा के लिए राज्यभर में उड़ेगा। भारत सरकारी की सहमति से भारतीय नागरिकों की खुफिया निगरानी के विरुद्ध भी अभीतकउनका कोई बयान नहीं आया है।


यही नहीं, जंगलमहल इलाके में  माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहली बार ड्रोन के इस्तेमाल की योजना बनाई है। बंगाल ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य होगा।



ফেসবুকে তিনি কালী পুজো উদ্বোধনে নিজের কৃতিত্ব নিয়ে ফলাও করে লিখেছেন এবং একাধিক ফটো লোড করেছেন।


বিকাল পর্যন্ত এ যাবত আধার নিয়ে তাঁর মন্তব্য পোস্ট হয়নি।


মনে রাখতে হবে, নাগরিকত্ব আইন সংশোধন বিল যখন লালকৃষ্ণ আডওয়ানী লোকসভায় পেশ করলেন এবং সর্বদলীয় সম্মতিতে সেই বিল পাশ হল,সঙ্ঘ সরকারে তিনিও শরিক এবং এই বিল নিয়ে ,তারপর নাগরিকত্ব আইন নিয়ে, সেটা আবার যখন ইউপিএ সরকার সংশোধন করল প্রথম দফার শাসনকালে,দিদি কোনও দিন বিরধিতা করেন নি।


নন্দন নিলেকণির নেতৃত্ব যে করপোরেট বায়োমেট্রিক ন্যাটো প্রক্লপ বাস্তাবায়িত হচ্ছে, কেন্দ্রে মন্ত্রিত্বের জমানায় দিদি তাঁর কোনো বিরোধিতা করেননি।


অর্থাত আধার কার্ডে যে নাগরিকত্বের সাড়ে সর্বনাশ, আর্থিক সংস্কারের নামে নির্মম বেদখলি অভিযানের সবচেয়ে বড় হাতিয়ার যে করপোরেট ন্যাটো প্রকল্প দিদি তার বিরোধিতা আদৌ করছেন না।


বিরোধিতা করছেন না অথচ যে জন্য আধার আঁধার, তা আবার স্থগিত করতে বলছেন রাজ্য সরকারের প্রশাসনিক অক্ষমতার দায় কেন্দ্রের কাঁধে চাপিয়ে।


দ্বিচারিতার এর চাইতে বড় প্রমাণ হতে পারেনা।


তিনি যদি মনে করেন হাজার রকম কার্ডের প্রয়োজন নেই, তাহলে এখনই তাঁর অসংবৈধানিক বেআইনী করপোরেট ন্যাটো প্রকল্প আধার যোজনা বাতিল করার জন্য এবং সংসদে অনুমোদন ছাড়া আইটি কম্পানীগুলির স্বার্থে সরাসরি এবং করপোরেট রাজের জন্য এই হাজার হাজার কোটির দুর্নীতির বিরুদ্ধে অবিলম্বে সোচ্চার হওয়া প্রয়োজন।


কিন্তু পুজোয় অসুর বধের জন্য কলকাতার আকাশে ন্যাটোর গাইডেড মিসাইল বাহক ড্রোনের নজরদারির ব্যবস্থা তাঁরই অনুমতিতে।


ড্রোণের নজরদারি কালীপুজোর আকাশেও।


এখানেই ইতি নয়, তাঁর ব্যাক্তিগত নিরাপত্তার জন্য তাঁর যাত্রাপথে সারা রাজ্যে উড়বে ড্রোণ

আবার অন্যান্য ভিভিআইপিদের নিরাপত্তা আকাপথে সুনিশ্চিত করবে ড্রোন।


ভারতে মার্কিনী গোয়েন্দা নজরদারি ভারত সরকারের তত্বাবধানে, তারও দিদি বিরোধিতা করছেন না।


आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए : ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि एलपीजी गैस सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए।ऐसा वे पहली बार कह रही हैं। लेकिन असंवैधानिक गैरकानूनी नाटो प्रकल्प आधार योजना  के खिलाफ वे अब भी कुछ नहीं कह रही हैं।


राजग जमाने में नागरिकता कानून संशोधन के फैसले में वे सरीक थीं। कारपोरेट राज के तहत जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता से बेदखली अभियान के बतौर जब यूपीए सरकार ने इनफोसिस चेयरमैन नंदन निलकणि को आधार प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया और बिना संसदीय अनुमोदन के हजारों करोड़ का न्यारा वारा हता रहा कारपोरेट हित में, केंद्र में यूपीए मंत्रिमंडल में रहते हुए उनने एक दफा भी विरोध नहीं किया।



कोलकाता में उन्होंने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से इस कदम की समीक्षा करने का आह्वान किया.

ममता ने यहां राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, 'आधार कार्ड जरूरी नहीं बनाया जाना चाहिए. केवल 15-20 फीसदी लोगों को ही यह कार्ड मिला है।'

उन्होंने कहा, 'उन्हें बताया गया कि उच्चतम न्यायालय का एक फैसला है कि सरकार लाभ एवं सब्सिडी हासिल करने के लिए इसे अनिवार्य नहीं बना सकती।'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि कैसे सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है. सरकार को तत्काल इस निर्णय (आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के निर्णय) की समीक्षा करनी चाहिए।'

अखबार में प्रकाशित पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के विज्ञापन में कोलकाता, हावड़ा एवं कूचबिहार जिलों में एलपीजी सब्सिडी को आधार कार्ड से जोड़ने संबंधी प्रावधान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं (सरकार का) यह रूख देकर स्तब्ध हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर गौर करने का अनुरोध कर रही हूं।'

उन्होंने कहा, 'लोग भिखारी तो हैं नहीं। किसी एक पार्टी की सरकार हमेशा रहेगी नहीं, सरकार बदलेगी ही. सरकार को लोगों का ख्याल रखना चाहिए।'


आधार: कोर्ट ने ठुकराया, सरकार ने अपनाया

नवभारत टाइम्स | Oct 9, 2013, 05.48AM IST

नई दिल्ली।। यूआईडीएआई (यूनीक आईडी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को वैधानिक दर्जा देने का रास्ता साफ करते हुए सरकार ने मंगलवार को इससे जुड़े बिल को कुछ फेरबदल के साथ हरी झंडी दे दी। यूआईडीएआई ही लोगों को आधार नंबर जारी करता है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश में संशोधन करने की केंद्र सरकार की अर्जी खारिज कर दी, जिसमें आधार कार्ड की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई थी।


सरकारी सूत्रों ने बताया कि यूआईडीएआई से जुड़े बिल को अब संसद के विंटर सेशन में चर्चा और पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश किया जाएगा, क्योंकि केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ फेरबदल के साथ बिल के मसौदे को मंजूरी दी है। भारत के यूनीक पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को वैधानिक दर्जा देने के अलावा विधेयक आधार को कानूनी समर्थन भी देने का प्रस्ताव करता है। आधार नंबर का इस्तेमाल मंत्रालय, विभाग और राज्य सब्सिडी डिस्ट्रिब्यूशन के लिए करते हैं।


एक अधिकारी के मुताबिक संशोधन विधेयक इस मुद्दे का भी समाधान करेगा कि क्या यूआईडीएआई सभी नागरिकों के नाम शामिल करेगा या केवल भारतीय नागरिकों के। अधिकारी ने कहा कि आधार नंबर का इस्तेमाल विदेशी नागरिक सहित कोई भी निवासी कर सकता है। विधेयक की धारा-6 के मुताबिक यह नागरिकता या मूल स्थान को लेकर या अन्य कोई अधिकार नहीं देता। आधार किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है न कि राष्ट्रीयता। यह निवास के सबूत के तौर पर भी काम करेगा। यह स्वैच्छिक है, अनिवार्य नहीं।


सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

केंद्र सरकार रियायती दाम पर एलपीजी सिलिंडर जैसे पब्लिक वेलफेयर प्रोग्राम्स का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत हासिल करने में नाकाम रही। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में संशोधन करने के केंद्र सरकार के दरख्वास्त को ठुकरा दिया। बता दें कि आदेश में कहा गया था कि आधार कार्ड के अभाव में किसी शख्स को किसी भी योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।


अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती और सॉलिसिटर जनरल मोहन पराशरन सहित सरकार की ओर से प्रमुख वकीलों ने अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश की। उनका कहना था कि इस आदेश से देश के 97 जिलों में गैस सब्सिडी और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होगा और सारा काम ठप हो जाएगा। जज बी एस चौहान और जज एस ए बोबडे की बेंच ने कहा कि केंद्र की अर्जी पर याचिकाकर्ताओं का पक्ष जानने के बाद ही कोई आदेश दिया जाएगा।





NSA hacked Google and Yahoo data links




The US National Security Agency (NSA) has been hacking data links connecting Yahoo and Google's data centres, according to leaks by Edward Snowden. Millions of records were gleaned daily from the internet giants' internal networks, according to documents published by the Washington Post.


http://www.bbc.co.uk/news/world-us-canada-24753586


এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: আধার কার্ড নিয়ে কেন্দ্রকে বিঁধলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। এখনও রাজ্যে ৮০-৯৫ শতাংশ মানুষের হাতে আধার কার্ড পৌঁছোয়নি বলে জানিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ তা সত্ত্বেও শুক্রবার থেকেই কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহারে রান্নার গ্যাসের ওপর চালু হচ্ছে আধার কার্ড ভিত্তিক ভর্তুকি৷ অর্থাত্‍‌ যাঁদের কাছে আধার কার্ড থাকবে, তাঁরা রান্নার গ্যাসে ভর্তুকি পাবেন। এদিন মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'হাজার রকম কার্ড দিয়ে মানুষকে সমস্যায় ফেলা হচ্ছে৷ সুবিধার্থে একটিই কার্ড থাকা উচিত৷' আধার কার্ড ইস্যুর দায়িত্ব কেন্দ্রের গাড়ে ঠেলে দিয়ে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'সকলে যাতে আধার কার্ড পান, সেই দায়িত্ব কেন্দ্রের৷ কিন্তু এখনও বহু মানুষ আধার কার্ড পাননি৷ তিন মাসের যে ছাড় দেওয়া হয়েছে, তা-ও যথেষ্ট নয়৷ বিষয়টি কেন্দ্রের ভেবে দেখা উচিত৷'


প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংহকে বিষয়টি খতিয়ে দেখার অনুরোধ করবেন বলে জানিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ এ ব্যাপারে মুখ্যসচিবও পেট্রোলিয়ামমন্ত্রকের সঙ্গে যোগাযোগ রাখছেন৷

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Palash Biswas

http://antahasthal.blogspot.in/2013/10/digital-biometric-business-it-boom-boom.html


  1. News for Aadhaar mamata

  2. Mamata opposes LPG through Aadhar, threatens IOC seige

  3. www.deccanherald.comNational

  4. 7 hours ago - West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee Friday urged the centre to.

  5. Mamata attacks Centre on Aadhaar cards - The Hindu

  6. www.thehindu.com/news/.../mamata...on-aadhaar.../article5304854.ece

  7. 2 hours ago - Slamming the Centre for its decision to make Aadhaar cards mandatory to avail of facilities, like cooking gas cylinders at subsidised rates, Chief ...

  8. Rethink insistence on Aadhaar for subsidy: Mamata to centre ...

  9. in.news.yahoo.com/rethink-insistence-aadhaar-subsidy-mamata-centre-1...

  10. 7 hours ago - 'Rethink insistence on Aadhaar for subsidy: Mamata to centre' on Yahoo News India. Kolkata, Nov 1 (IANS) West Bengal Chief Minister ...

  11. Mamata opposes linking of LPG subsidy with Aadhaar cards - India TV

  12. www.indiatvnews.com/.../mamata-opposes-linking-of-lpg-subsidy-with-a...

  13. 2 hours ago - Kolkata: West Bengal chief minister Mamata Banerjee has opposed linking of LPG subisdy disbursement with Aadhar cards saying that hardly ...

  14. Aadhaar card must not be made compulsory: Mamata - Timesofap

  15. timesofap.comPOLITICS

  16. 7 hours ago - West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee on Saturday said that theAadhaar card must not be made compulsory to receive LPG gas ...

  17. Aadhar card must not be made compulsory: Mamata - Rediff.com ...

  18. www.rediff.comBusiness

  19. 8 hours ago - Stating that many people have not yet got the card and were being harassed by government agencies, Mamata Banerjee said that the Centre ...

  20. AADHAAR (UID) Scam - Say no to Aadhaar !! - Mamata Banerjee ...

  21. www.firstpost.comTopics

  22. Mamata Banerjee's eight security men injured in accident. Aug 10, 2013. Media madness: What Modi, BJP should learn from Mamata Banerjee. Aug 01, 2013.

  23. Mamata attacks Centre on Aadhaar cards - iNooz

  24. www.inooz.in/article/view/2130901/mamata-attacks...aadhaar.../112013

  25. News Article. Mamata attacks Centre on Aadhaar cards. The Hindu • News • Fri, 01 Nov 2013 22:30. Mamata attacks Centre on Aadhaar cards · Slamming the ...

  26. Mamata attacks Centre on Aadhaar cards | Daily India News

  27. www.dailyindianews.com/news/mamata-attacks-centre-on-aadhaar-cards

  28. 2 hours ago - Slamming the Centre for its decision to make Aadhaar cards mandatory to avail of facilities, like cooking gas cylinders at subsidised rates, Chief ...


হাওড়া: এবার আধার কার্ড নিয়ে কেন্দ্রের তীব্র সমালোচনায় সরব মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ আধার নিয়ে এখনও আঁধারে অসংখ্য মানুষ৷ রাজ্যে এখনও আশি থেকে পঁচানব্বই শতাংশ মানুষের হাতে পৌঁছয়নি এই কার্ড৷ কিন্তু, তার মধ্যেই শুক্রবার থেকে কলকাতা, হাওড়া, কোচবিহারে রান্নার গ্যাসে চালু হয়ে গেল আধার কার্ড ভিত্তিক ভর্তুকি৷

কিন্তু কীভাবে মিলবে আধার কার্ড? কার্ড হাতে পেলে কীভাবে মিলবে ভর্তুকি?

কীভাবে সম্পন্ন হবে গোটা প্রক্রিয়া?  তা নিয়ে এখনও অন্ধকারে অধিকাংশ মানুষ৷ এই পরিস্থিতিতে বিষয়টি নিয়ে কেন্দ্রের সমালোচনায় সরব হলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ বলেলন, রান্নার গ্যাসের ক্ষেত্রে আধার কার্ড ভিত্তিক ভর্তুকির সিদ্ধান্ত মানব না৷ মুখ্যমন্ত্রী জানান, বিষয়টি খতিয়ে দেখতে প্রধানমন্ত্রীকেও তিনি অনুরোধ করেছেন৷ পেট্রোলিয়ামমন্ত্রকের সঙ্গে যোগাযোগ রাখছেন মুখ্যসচিব৷ প্রয়োজনে আইওসি-র দফতর ঘেরাওয়েরও হুঁশিয়ারি দিয়েছেন ক্ষুব্ধ মুখ্যমন্ত্রী৷

এই পরিস্থিতিতে প্রশ্ন উঠছে, মুখ্যমন্ত্রী কেন্দ্রের সিদ্ধান্ত না মানতে চাইলেও তাঁর এক্ষেত্রে কী-ই বা করার আছে? কারণ, আধার কার্ডের সঙ্গে গ্রাহকের কনজিউমার নম্বর ও ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট নম্বর সংযুক্ত হলে গ্যাস বুক করার পরই ভর্তুকির টাকা সরাসরি গ্রাহকের অ্যাকাউন্টে এসে জমা পড়ে যাবে৷ এই গোটা প্রক্রিয়ায় রাজ্যের কোনও ভূমিকা নেই৷ সংশ্লিষ্ট মহলের একাংশ বলছেন, মুখ্যমন্ত্রী কেন্দ্রের এই সিদ্ধান্ত একান্তই না মানতে চাইলে সেক্ষেত্রে রাজ্যকে ভর্তুকির টাকা দিতে হবে৷ তাতে কি মুখ্যমন্ত্রী সম্মত হবেন? না হলে তাঁর আর কীই বা করার আছে? আপাতত গোটা প্রক্রিয়ার জন্য তিন মাসের ছাড় দেওয়া হয়েছে৷ নাহলে ফেব্রুয়ারি থেকে গ্রাহকদের বাজারদরেই সিলিন্ডার কিনতে হবে৷ যদিও মুখ্যমন্ত্রীর দাবি, তিন মাসের ছাড় মোটেও যথেষ্ট নয়৷


Mamata Banerjee

October 30

30.10.2013 (5 photos)

I have inaugurated Kali Pujas today.


May Maa Kali bless all of you.


"Om Kaali Kaali Mahaakali Kaalike Paapahaarini

Dharmartha Mokshade Devi Naaraayani Namostute"


A few pictures of protima and mandap are uploaded for all of you to see.

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Mamata Banerjee

October 25

My Darjeeling people are happy. I am also happy.

Peace in the hills is my peace.

Let the hills always smile.


পাহাড়ে শান্তি, আমার শান্তি।

পাহাড়ের মানুষ খুশি, আমিও খুশি।

পাহাড়ে হাসি অটুট থাকুক।


Pahar ma shaanti, mero shanti.

Pahar ko mancheyharu khushi bhaye, mo pani khushi.

Pahar sadai bhari muskuraos.


ड्रोन रखेंगे माओवादियों पर नजर

जंगलमहल इलाके में  माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहली बार ड्रोन के इस्तेमाल की योजना बनाई है. बंगाल ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य होगा.

कोलकाता पुलिस ने दुर्गापूजा की भीड़ के दौरान कोलकाता में पंडालों व सड़कों पर उमड़ने वाली भारी भीड़ पर निगाह रखने के लिए पहली बार इसका सफल इस्तेमाल किया था. उसके बाद ही माओवादी इलाकों में इनके इस्तेमाल की योजना बनी. कोलकाता के पुलिस आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ कहते हैं, 'पूजा के दौरान भीड़ पर निगरानी और ट्रैफिक पर नियंत्रण करने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के नतीजे संतोषजनक रहे हैं.' वह कहते हैं कि आगे से महानगर में कानून व व्यवस्था से जुड़े दूसरे मामलों में भी इनका इस्तेमाल किया जाएगा. इससे पुलिस को मौके पर पहुंचने से पहले ही हालात की जानकारी मिल जाएगी.

माओवादी गतिविधियों वाले इलाकों में तैनात पुलिस व खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पहले भी कई बैठकों में ड्रोन की तैनाती का मुद्दा उठाते रहे हैं. एक बार पहले भी इस योजना पर विचार हुआ था. तब परीक्षण के दौरान इनमें लगे कैमरों से खींची गई तस्वीरों के साफ नहीं होने की वजह से इस योजना को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया, लेकिन अब कोलकाता पुलिस को मिली कामयाबी ने इस फैसले पर अंतिम मुहर लगा दी है.

जंगलमहल के हालात

जंगलमहल यानी पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया में माओवादियों के असर वाले इलाकों में काफी घने जंगलों की वजहों से सुरक्षा बलों के लिए प्रभावी तरीके से निगरानी संभव नहीं है. वाममोर्चा सरकार के शासन के आखिरी दिनों में तो जंगलमहल इलाका माओवादी आतंक का पर्याय बन गया था. इसी वजह से उसका नाम जंगलमहल पड़ गया, यानी जहां कानून का कोई राज नहीं हो.

ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हालात तेजी से बदले हैं. ममता ने इलाके में शांति बहाल करने को अपनी प्रथामिकता सूची में रखा है. मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभालने के बाद वे अब तक आधा दर्जन बार इलाके का दौरा कर दर्जनों विकास परियोजनाओं का एलान कर चुकी हैं. इलाके में आदिवासी लोगों की बहुलता है. सरकार ने उनके लिए नए स्कूल, कॉलेज व अस्पताल खोलने के अलावा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की स्कॉलरशिप देने का भी एलान किया है. युवतियों को मुफ्त साइकिलें बांटी गई है ताकि वह स्कूल जा सकें.

इन बस कदमों से माओवादी गतिविधियों पर कुछ अंकुश तो लगा है, लेकिन खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. खुफिया विभाग की रिपोर्टों में कहा गया है कि लंबी चुप्पी के बाद माओवादी एक बार फिर इलाके में अपने पैर जमाने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में ड्रोनों की तैनाती सुरक्षा बलों के लिए माओवादियों के खिलाफ एक बेहद असरदार हथियार साबित हो सकता है.

ड्रोन

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित ऐसे एक ड्रोन की कीमत लगभग 65 लाख रुपए है. पुलिस उपायुक्त (मध्य कोलकाता) डी.पी.सिंह बताते हैं, "ड्रोन एक बार में तीन घंटे तक उड़ान भर सकते हैं. इनको किसी खास जगह पर स्थिर भी रखा जा सकता है. इसलिए यह निगरानी के लिए काफी मुफीद है. इन्फ्रारेड तकनीक की सहायता से यह रात के अंधेरे में भी बेहतर तस्वीरें खींच सकता है." अतिरिक्त पुलिस आयुक्त देवाशीष राय कहते हैं, "उड़ान भरने और किसी भी कोण से तस्वीर खींचने की ड्रोन की क्षमता इसे एक असरदार हथियार बनाती है. सुरक्षा बल के जवान माओवादी हमलों का खतरा उठाए बिना उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं." पहले माओवादी हमलों में इलाके में दर्जनों पुलिस वालों और सुरक्षा बल के जवानों की मौत हो चुकी है.

राज्य पुलिस के आईजी(आधुनिकीकरण) बरुण मल्लिक बताते हैं कि जंगलमहल में तैनाती के लिए ड्रोन की खरीद पर अंतिम फैसला जल्दी ही किया जाएगा. उन्होंने बताया, "जंगलमहल में इनकी तैनाती के बाद इस परियोजना के लिए एक अलग तंत्र विकसित किया जाएगा ताकि ड्रोन से मिलने वाली तस्वीरों को पुलिस मुख्यालय के अलावा खुफिया विभाग को भी भेजा जा सके. उनके विश्लेषण के आधार पर ही भावी रणनीति तय की जाएगी."

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: निखिल रंजन

http://www.dw.de/%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8-%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A4%B0/a-17178685


ऑयल मार्केटिंग कंपनियां एलपीजी सब्सिडी के लिए चाहती हैं आधार कार्ड

समन्वय रौत्रे

नई दिल्ली

इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड जैसी सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने सुप्रीम कोर्ट से एलपीजी सब्सिडी को सीमित करने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल करने की इजाजत देने को कहा है। इन कंपनियों ने कोर्ट से भीषण अंडर रिकवरीज को अपने तर्क का आधार बनाया है। हालांकि, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर के ऑर्डर में बदलाव करने से इनकार कर दिया। जस्टिस बी एस चौहान और एस के बोब्डे ने कहा कि वह सरकार की एलपीजी सब्सिडी देने के लिए आधार कार्ड के इस्तेमाल की याचिका पर 16 अक्टूबर के बाद सुनवाई करेंगे।

इन कंपनियों ने दावा कि कोर्ट के ऑर्डर से देश के 97 जिलों में लागू किया गया डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम थम जाएगा। इस स्कीम के तहत सभी एलपीजी कंज्यूजर्स को मार्केट प्राइस पर सिलिंडर्स खरीदना है और सब्सिडी के हकदार लोगों को आधार लिंक्ड बैंक अकाउंट में अमाउंट क्रेडिट हो जाता।

इन कंपनियों को फिस्कल ईयर 2012-13 में 39,558 करोड़ रुपए, 2011-12 में 29,997 करोड़ रुपए और 2010-11 में 21,772 करोड़ रुपए की सब्सिडी झेलनी पड़ी थी। इन कंपनियों ने दावा कि इससे वे डोमेस्टिक एलपीजी के कमर्शियल इस्तेमाल और सब्सिडी में लीकेज पर लगाम लगा सकेंगी। इन कंपनियों ने मेहारिया एंड कंपनी के जरिए दायर की गई याचिका में कहा है, '23 सितंबर के ऑर्डर से डायरेक्ट बेनेफिट फॉर एलपीजी स्कीम (डीबीटीएल) को प्रभावी और सक्षम तरीके से लागू करने में गंभीर दिक्कत पैदा होगी।'

आधार कार्ड को लेकर जारी असमंजस से उन 54 जिलों में भी पुराने सिस्टम पर लौटना होगा, जहां स्कीम को पहले ही लागू किया जा चुका है। कंपनियों ने दावा किया कि एक साथ दोनों मॉडल अपनाने से बहुत बड़ा कंफ्यूजन पैदा होगा और कॉस्ट के सथ साथ रिसोर्सेज के नुकसान का भी खामियाजा भुगतना होगा। कंपनियों ने कोर्ट से अपने ऑर्डर को क्लेरिफाई करने कहा है।

23 सितंबर के अपने ऑर्डर में कोर्ट ने कहा था, 'कुछ अथॉरिटी ने सर्कुलर जारी कर इसे अनिवार्य बताया है, इसके बावजूद किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड नहीं होने का खामियाजा नहीं भुगतना पड़े। अगर कोई व्यक्ति वोलंटरी आधार कार्ड के लिए आवेदन देता है, तब यह जरूरी जांच की जानी चाहिए कि वह व्यक्ति कानून सम्मत है और किसी भी अवैध अप्रवासी को आधार कार्ड नहीं जारी किया जाना चाहिए।'

इन कंपनियों ने बताया कि एक एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों के बाद चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी खत्म करनेका फैसला किया गया था। कंपनियों ने दावा किया कि स्कीम लागू होने के बाद 20 जिलों में डोमेस्टिकएलपीजी की सेल्स जून से अगस्त के बीच सालाना आधार पर 7.37 लाख सिलिंडर्स तक घटी है। वहीं , इसदौरान कमर्शियल सिलिंडर की सेल्स करीब 97 हजार तक सालाना आधार पर बढ़ गई। कंपनियों ने कोर्ट कोबताया कि करीब 45,000 मल्टीपल कनेक्शंस की पहचान की गई और इन्हें ब्लॉक करने से 24 करोड़ रुपएकी बचत भी हुई।

আধার কার্ডের ভিত্তিতে রান্নার গ্যাসে ভর্তুকি কলকাতা সহ রাজ্যের ৩ জেলায়আধার কার্ডের ভিত্তিতে আজ থেকে রান্নার গ্যাসের সিলিন্ডারে ভর্তুকি মিলবে। প্রাথমিকভাবে রাজ্যের তিন জেলা কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহারে চালু করা হচ্ছে ব্যবস্থা। যদিও এই তিন জেলায় অধিকাংশ মানুষেরই আধার কার্ড তৈরি হয়নি। ফলে এই ব্যবস্থা কার্যকর করার ক্ষেত্রে সমস্যা তৈরি হতে পারে। তবে, আজ থেকেই এই ব্যবস্থা চালু করার নির্দেশ দিয়েছে কেন্দ্রীয় পেট্রোলিয়াম মন্ত্রক। যাদের এখনও আধার কার্ড হয়নি তাদের ক্ষেত্রে কী হবে, তা নিয়ে ধন্দ রয়েছে। তবে এই ব্যবস্থা পুরোপুরি কার্যকর করতে তিন মাসের সময়সীমা দিয়েছে মন্ত্রক।


যদিও সুপ্রিমকোর্ট এই ব্যবস্থার বিরুদ্ধে। ব্যবস্থার বিরুদ্ধে পর্যবেক্ষণ কোর্টের। কোর্টের রায়ের দিকে তাকিয়ে গ্রাহকরা। শীঘ্রই রায় দেবে সুপ্রিমকোর্ট। রায়ের দিকে তাকিয়ে পেট্রোলিয়াম মন্ত্রকও।


काफी आगे निकल गया था जासूसी कार्यक्रमः केरी

आपके Google और Yahoo डेटा को चेक कर रहा है अमेरिकाः रिपोर्ट

अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने लाखों ई-मेल तक पहुंचने के लिए याहू और गूगल जैसी मशहूर ई-मेल प्रदाताओं के संचार लिंकों में घुसपैठ की है. मीडिया में आई एक खबर में यह दावा किया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने अपने ब्रिटिश समकक्ष जीसीएचक्यू के साथ मिलकर लाखों उपयोगकर्ताओं के एकाउंटों का डेटा हासिल करने के लिए डेटा लिंक तक घुसपैठ की है. 'द वाशिंगटन पोस्ट' की स्पेशल रिपोर्ट में कहा कि इन लिंकों को टैप करके, एजेंसी ने लाखों उपयोगकर्ताओं जिनमें से ज्यादातर अमेरिकी शामिल हैं, के एकाउंटों से जानकारी एकत्र करने में सक्षम हुई





अमेरिका द्वारा अपने खुफिया निगरानी कार्यक्रम को लेकर की गई एक अभूतपूर्व स्वीकारोक्ति में विदेश मंत्री जॉन केरी ने स्वीकार किया कि अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम कुछ मामलों में बेहद आगे निकल गया।


हालांकि इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि इस खुफिया निगरानी कार्यक्रम के जरिए किसी भी निर्दोष व्यक्ति को प्रताड़ित नहीं किया गया है। केरी ने लंदन में आयोजित ओपन गवर्नमेंट पार्टनरशिप वार्षिक शिखर सम्मेलन में वीडियो लिंक के जरिए कहा कि मैं आपको आश्वासन देता हूं कि इस प्रक्रिया में किसी भी निर्दोष व्यक्ति को प्रताड़ित नहीं किया गया, बल्कि यह सिर्फ सूचना एकत्र करने का एक प्रयास था और हां, कुछ मामलों में यह अनुपयुक्त रूप से काफी आगे पहुंच गया।


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की निगरानी वाली खबर सच्ची नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कल की ही बात है, जब अखबार में खबर थी कि सात करोड़ लोगों की बातचीत सुनी गई। नहीं, यह सही नहीं है। ऐसा नहीं हुआ।


केरी ने कहा कि कुछ पत्रकार अपनी इस रिपोर्टिंग में तथ्यों को काफी बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं। हकीकत में हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां कोई ऐसा खतरा तो नहीं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की तरह मैं भी यह स्वीकार करता हूं कि कुछ कार्रवाइयां काफी आगे निकल गईं और हम यह सुनिश्चित करने जा रहे है कि भविष्य में ऐसा न हो।


केरी ने कहा कि अमेरिकी और कई अन्य देशों के निगरानी कार्यक्रम काफी सफल रहे हैं और इसने कई आतंकी हमलों को रोकने में मदद की है। उन्होंने कहा कि हकीकत में हमने विमानों को नीचे गिरने से, इमारतों में विस्फोट होने से और लोगों की हत्याओं को रोका है, क्योंकि हम घटना से पहले ही इसके बारे में जान पाए।


गौरतलब है कि अमेरिका सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल सहित दुनिया भर के 35 नेताओं की बातचीत सुने जाने और उनकी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी किए जाने से जुड़े खुलासे को लेकर अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ रही है।





US, Australia Face Backlash Over Spy Operations In Asia


By Peter Symonds


01 November, 2013

WSWS.org

Already mired in a diplomatic crisis in Europe over National Security Agency (NSA) surveillance operations, Washington—as well as Canberra—is facing a backlash in Asia over the latest revelations that the NSA, working in tandem with Australian agencies, intercepted phone calls and data from embassies throughout the region.

The Fairfax media yesterday reported on the involvement of the Australian Signals Directorate (ASD) in the NSA program, codenamed STATEROOM, which gathers electronic intelligence from covert facilities inside diplomatic missions. According to a former Australian intelligence officer, the ASD operates "from Australian embassies in Jakarta, Bangkok, Hanoi, Beijing and Dili, and High Commissions in Kuala Lumpur and Port Moresby, as well as other diplomatic posts."

Details of the STATEROOM program are contained in an NSA document leaked by Edward Snowden and originally published by Der Spiegel in Germany. US diplomatic missions and those of other members of the so-called Five Eyes intelligence alliance, including Canada and Britain, are involved. The document noted that the highly secretive "collection sites" are small in size and "their true mission is not known by the majority of the diplomatic staff" where they are located.

Angry reactions yesterday to the Fairfax and Der Spiegel articles give a glimpse of the diplomatic storm that is brewing throughout Asia. Chinese foreign ministry spokeswoman Hua Chunying stated: "China is severely concerned about the reports and demands a clarification and explanation." Malaysia, Thailand, Indonesia and Papua New Guinea expressed serious concerns.

Indonesia's Foreign Minister Marty Natalegawa declared that his government "strongly protests" over the spying operation, which, if confirmed, would be "not only a breach of security, but also a serious breach of diplomatic norms and ethics." Teuku Faizaisyah, a senior adviser to the Indonesian president, branded the "illegal ways of collecting information" as "highly unacceptable."

While Washington has exploited the "war on terror" as the pretext for its massive spying operations on rivals and allies alike, the NSA operations are clearly broad in scope. The former Australian intelligence officer explained that the "main focus" of surveillance at the Australian embassy in Jakarta was "political, diplomatic and economic intelligence." He explained: "The huge growth of mobile phone networks has been a great boon and Jakarta's political elite are a loquacious bunch."

The Fairfax press reported that a classified briefing of Australian MPs several years ago had incorporated details of "a series of intelligence scoops that included a recording of an intercepted video conference call between Malaysia's most senior military commanders."

A top secret NSA map published by Der Spiegel on Tuesday displayed 90 surveillance facilities in US diplomatic missions worldwide, run by a joint CIA-NSA group known as the "Special Collection Service."

* China is the major target in East Asia, with surveillance facilities in the US embassy in Beijing, as well as US consulates in Shanghai and Chengdu, and in the unofficial US diplomatic office in Taiwan.

* The US has eight listening posts in South Asia, including in US embassies in India and Pakistan.

* In South East Asia, there are listening posts in embassies in Thailand, Burma, Malaysia, Indonesia and Cambodia. The embassy in Bangkok also features a technical support team and monitors a remotely operated facility in the US consulate at Chang Mai in northern Thailand.

The latest revelations are a blow to the Obama administration's "pivot to Asia"—a diplomatic offensive and military build-up aimed at undermining China's influence and strategic position throughout the region. A standard element of American propaganda has been the accusation that Beijing is engaged in large-scale cyber espionage against the US and other countries. What has now been exposed is that the NSA is engaged in illegal spying operations of unprecedented size and scope, on governments and the broader population alike, throughout Asia and the world.

The Obama administration risks alienating key allies and strategic partners that form part of its plans for the strategic encirclement of China. According to the Diplomat, news last week that the NSA was spying on world leaders prompted "some Asian nations, notably South Korea, to demand information on whether their leaders were among the 35 being monitored." India has already announced a new policy for official emails, following revelations that it was the fifth most spied-on country by the NSA.

The latest exposures underline the central role of Australian spy agencies and bases to the NSA surveillance operations in Asia. Just as the present Coalition government, like the previous Labor government, is committed to opening Australian military bases to American forces in their build-up against China, so the ASD is completely integrated into the vast US electronic spy network.

Leaked NSA documents previously revealed that four Australian sites contribute data to an NSA program codenamed X-Keyscore, which separates data into streams of phone numbers, email addresses, log-ins and user activity for storage in massive data banks. These sites are the US-Australian Joint Defence Facility at Pine Gap near Alice Springs, and three ASD facilities—the Shoal Bay Receiving Station near Darwin, the Australian Defence Satellite Communications Station at Geraldton in Western Australia, and the naval communications station HMAS Harman outside Canberra.

The Sydney Morning Herald today exposed the existence of a fifth electronic surveillance facility, known locally as "the house with no windows," on the remote Cocos Islands in the Indian Ocean. According to former Australian defence officers, the ASD post is "devoted to maritime and military surveillance, especially Indonesian naval, air force and military communications." Australia's Cocos Islands outpost, which has been earmarked as a potential base for US drones and warplanes, is adjacent to key strategic shipping lanes to South East Asia.

Australia also hosts vital listening posts plugged into the major undersea cables that carry the vast amounts of Internet traffic between North America and Asia. Kyodo News reported a month ago that the Japanese government rejected NSA requests in 2011 to establish similar cable facilities in Japan, citing "a lack of legislative authority." Australian governments, however, had no such qualms about integrating the ASD and other spy agencies into the NSA's illegal activities.

In 1999, amid the Australian military intervention in East Timor, former Australian Prime Minister John Howard notoriously acknowledged to an interviewer that Australia functioned as the US "deputy sheriff" in Asia. His remark provoked outrage throughout the region. Commenting on yesterday's revelations, Chinese professor Zhu Feng declared: "Australia follows the US without principle and unconditionally. Australia doesn't even deserve to be called 'deputy sheriff'—they're more like a subordinate."

Despite Prime Minister Tony Abbott's bland denials, Australia's intimate involvement in the America's spying operation in Asia will only reinforce the widespread view that Canberra operates as the flunkey of US imperialism in its predatory operations, not only against rival governments, but the working class of Asia and the world.

http://www.countercurrents.org/symonds011113.htm


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