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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, April 4, 2012

शीर्ष अदालत ने 2जी मामले में चिदंबरम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुरू की

शीर्ष अदालत ने 2जी मामले में चिदंबरम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुरू की

Wednesday, 04 April 2012 19:08

नयी दिल्ली, चार अप्रैल (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने आज गृहमंत्री पी. चिदंबरम की 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कथित भूमिका की जांच की अर्जी पर सुनवाई शुरू कर दी।


एक एनजीओ ने दावा किया है कि चिदंबरम को आवंटन के मूल्य तय करने से जुड़े सभी घटनाक्रमों की जानकारी थी।
न्यायमूर्ति एके गांगुली के सेवानिवृत्त होने के बाद पुनर्गठित न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस राधाकृष्णन की पीठ ने संगठन की याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसने चिदंबरम को निचली अदालत की ओर से क्लीन..चिट मिलने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में उनकी जांच से संबंधित स्थिति रिपोर्ट तीन सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
गैर सरकारी संगठन 'सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन' :सीपीआईएल: द्वारा दाखिल अर्जी में कहा गया है कि चिदंबरम की भूमिका की पड़ताल के लिए व्यापक जांच जरूरी है। 2008 में पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन के समय चिदंबरम वित्त मंत्री थे।
इसी तरह की एक याचिका जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने दाखिल की है जिस पर भी अदालत विचार करेगी।
एनजीओ ने दलील दी कि इस बात के सबूत हैं कि चिदंबरम स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े हर घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे थे।
याचिकाकर्ता ने घोटाले में चिदंबरम की कथित लिप्तता के बारे में अपने दावे के समर्थन में अनेक दस्तावेजों और खबरों को मिला दिया है।

सीपीआईएल की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चिदंबरम को राजा द्वारा लिये गये फैसलों की पूरी तरह जानकारी थी और 2जी स्पेक्ट्रम के मूल्य तय करने के मुद्दे में वह भी शामिल रहे।

उन्होंने कहा कि चिदंबरम की कथित भूमिका की पूरी तरह तफ्तीश की जरूरत है।
एनजीओ ने कहा कि चिदंबरम को मीडिया में स्पेक्ट्रम के मूल्य को लेकर आई खबरों के बारे में भी पता था और उन्होंने अधिकारियों से इन सभी खबरों पर नजर रखने को कहा था।
भूषण ने तीन जनवरी, 2008 और आठ जनवरी, 2008 को कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए आशयपत्र जारी होने से लेकर 22 अप्रैल, 2008 तक के घटनाक्रम को बयां किया जब इस बात पर विचार हो रहा था कि वर्ष 2001 की दरों पर स्पेक्ट्रम की बिक्री कैसे की जा सकती है।
सुनवाई के आखिर में सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि एनजीओ की दलील कुछ दस्तावेजों पर आधारित है जिन पर शीर्ष अदालत ने पहले भी इस मुद्दे पर फैसला किया था।
उन्होंने कहा, ''उन्हीं तथ्यों को दोहराया गया है और आवेदन विचारणीय नहीं है।''
हालांकि स्वामी ने उनकी इस दलील का विरोध किया कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि चिदंबरम के खिलाफ आगे जांच का कोई मामला नहीं है।
जनता पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सामान्य तौर पर कहा था कि निचली अदालत मामले में आगे विचार कर सकती है।
भूषण की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 11 अप्रैल तक के लिए टाल दी।

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