बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी? जरा याद करो वित्त मंत्री का बजट भाषण और आंखों में भर लो पानी!
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
मुंबई में कल से विमान ईंधन का दाम 66,989.74 रुपये से बढ़कर 68,806.82 रुपये प्रति किलोलीटर हो जाएगा। एयरलाइन की परिचालन लागत में जेट फ्यूल की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत बैठती है। विमान ईंधन के दामों में बढ़ोतरी पर तत्काल किसी एयरलाइन से प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी।
बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी?जरा याद करो वित्त मंत्री का बजट भाषण और आंखों में भर लो पानी! दयावान होने के लिए क्रूर तो बनना ही होगा, शेक्सपीयर के इन शब्दों का उपयोग वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कठोर वित्तीय फैसलों को नरम तरीके से समझाने के लिए किया। उन्होंने कहा कि कुछ कष्टप्रद नीतिगत फैसले लंबे समय के लिहाज से फायदेमंद रहते हैं।आर्थिक समीक्षा में संकेत दिया गया है कि बचत खातों पर ब्याज दरों को बाजार शक्तियों के हवाले कर दिए जाने से वित्तीय बचत में वृद्धि होगी और मौद्रिक नीति के असर के नीचे तक पहुंचने में मदद मिलेगी। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू वित्तीय बाजारो की गहराई, विशेषकर कॉरपोरेट बांड बाजार को मजबूत बनाना जरूरी है। नये साल में आपकी आमदनी कितनी बढ़ेगी ये तो पता नहीं, लेकिन महंगाई की मार जरूर बढ़ने वाली है। फोन बिल से लेकर कार तक सब कुछ महंगा हो जाएगा। आज से आपको सर्विस टैक्स यानी सेवा कर 10.3 फीसदी के बजाय 12.36 फीसदी देना होगा।मतलब अगर आप रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं या हवाई सफर करते है या फिर सैलून में हेयर कटिंग कराते हैं तो भी आपको पहले के मुकाबले दो फीसदी ज्यादा सर्विस टैक्स देना पड़ेगा।जिस देश की करीब पचास प्रतिशत जनता उसके द्वारा तय किये गये मानकों पर गरीबी रेखा पर या उसके नीचे हो उस देश की आर्थिक नीतियों के बारे में आप क्या कहेंगे?भारत ने वर्ष 2011-12 में भी अपनी राजकोषीय गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं लाया। वर्ष 2009-10 के बाद से कर और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात बिगड़कर 7 फीसदी के इर्दगिर्द आ गया। कुल राजस्व प्राप्तियों को भी इसी नतीजे से गुजरना पड़ा। कुल खर्च और जीडीपी का अनुपात 15.5 से 16 फीसदी के बीच बना रहा। हालांकि वर्ष 2011-12 के दौरान इसे घटाकर 15 फीसदी के नीचे लाया गया।
नए कारोबारी साल की शुरुआत तकरीबन सभी चीजों के दाम बढ़ने से हो रही है। बजट में बढ़े एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स बढ़ने से खाना-पीना, घूमना-फिरना सब कुछ महंगा होने जा रहा है।पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी का फैसला शनिवार को एक दिन के लिए टाल दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां की बैठक में कोई फैसला नहीं होने की वजह से ऐसा किया गया है। इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि शनिवार रात से पेट्रोल के दाम में कम से कम 3 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन तेल कंपनियों की पेट्रोल कीमत की समीक्षा बैठक में बढ़ोतरी की घोषणा नहीं की गई। पेट्रोल की बिक्री पर करीब साढ़े सात रुपये प्रति लीटर का घाटा झेल रही तेल कंपनियां दाम बढ़ाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। कड़े आर्थिक निर्णय लेने में सरकार को आ रही दिक्कतों को देखते हुए तेल कंपनियों को पेट्रोल के दाम बढ़ाने पर बार-बार सोचना पड़ रहा है। पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी होती है तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयर में तेजी देखी जा सकती है।राजकोषीय घाटा घटाने के लिए टैक्स का बोझ दस्तूर मुताबिक आम झनता पर लाद दिया गया है। जैसे बकरे को घास पानी देकर बलि के लिए तैयार किया जाता है, तरह तरह के करतब दिखाकर प्रणव दादा वह भी कर चुके हैं। हम पहले से कहते रहे हैं कि बजट घाटे में संवेदनशील बताते हुए रक्षा पर होने वाले व्यय की चरचा तक नहीं की जाती। घोटाले दबा दिये जाते हैं। पर इस बार आर्मी चीफ के बेबाक खुलासे से भानुमती का पिटारा ही खुल गया है।सवाल है कि लगातार रक्षा बजट में भारी वृद्धि के बावजूद सुरक्षा तैयारियों में खामियां क्यों रह जाती हैय़ समूता राजनीतिक वर्ग इस सवाल को दबाने और घोटालों को रफा दफा करने में एकजुट है।यानी माहौल ऐसा रहे जिससे देश में आर्थिक सुधार की हवा बहे। इसके लिए राष्ट्रवाद के मायने बदल चुके हैं। ... और सामरिक नीति के साथ-साथ विदेश नीति भी हथियारों के सौदों पर आ टिकी है। घोटालों में क्तम राजस्व और कालाधन की वापसी की जादुगरी अगर प्रणव बाबू दिखा पाते तो शायद वर्षों उन्हें बिना टैक्स लगाये चैन की नींद नसीब होती। बहरहाल पचानब्वे फीसद बहिष्कृत जनता को इसकी सूचना तक नहीं है कि आखिर उनका गला रेंतने के क्या क्या इंतजाम किये गये हैं। भाजार में ईमानदार लोगों की ऐसी की तैसी हो रही है। फर्जीवाड़ा करने वालों की चांदी कट रही है। सरकारी रियायतें और प्रोत्साहन भी उन्ही के लिए है। छोटे निवेशकों का कोई माई बाप नहीं है। मौजूदा आर्थिक नीतियों के चलते मध्यम व निम्न वर्गीय परिवारों के समक्ष जटिल समस्याएं पैदा कर दी है। रोटी-दाल, चिकित्सा व बच्चों की शिक्षा का ही इंतजाम करने में लोग कर्ज से दबे जा रहे हैं। परिवार के हर सदस्य के खर्चो में कटौती के बाद भी मासिक अर्थ व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट रही। ऐसे में आने वाले समय में घर चलाना काफी मुश्किल होगा। यही सोचकर लोगों का सुकून अब छिनने लगा है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी (नालको) में अपनी दस फीसदी और इक्विटी बेचने पर गंभीरता से विचार कर रही है। वित्त राज्यमंत्री एस एस पलानी माणिक्कम ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। बता दें कि नालको एशिया की सबसे बड़ी एल्यूमीनियम कंपनी है और वेदांता समेत कई निजी कॉरपोरेट समूहों ने इस पर निगाहें गड़ा रखी हैं।कंपनी की 1288.61 करोड़ रुपए की इक्विटी का 87.15 फीसदी हिस्सा अभी भारत सरकार के पास है। उसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर विनिवेश की खबर आने के बाद बीएसई में 3.92 फीसदी बढ़कर 55.70 रुपए पर पहुंच गया। दस फीसदी विनिवेश के बाद कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 77.15 फीसदी रह जाएगी।
इस बीच लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने विमान ईंधन एटीएफ के दाम 3 प्रतिशत बढ़ा दिए हैं। इस महीने एटीएफ कीमतों में यह तीसरी वृद्धि है। इससे संकट में फंसी एअऱ इंडिया और दूसरी विमानन कंपनियों कोफिर छूना लगना तय है।इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने कहा कि शनिवार आधी रात से दिल्ली में जेट फ्यूल का दाम 1,850.96 रुपये प्रति किलोलीटर या 2.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 67,800.30 रुपये प्रति किलोलीटर हो जाएगा। इससे पहले 1 मार्च को एटीएफ का दाम 3.2 प्रतिशत बढ़ाया गया था। वहीं 16 मार्च को कीमतों में 1,298.88 रुपये प्रति किलोलीटर की वृद्धि की गई थी। सोमवार से लोगों को ऑटो और घरेलू ईंधन की कीमतों में एक बार फिर वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सरकारी तेल विपणन कम्पनियों (ओएमसी) के दबाव के चलते सरकार ईंधन के दामों की समीक्षा शनिवार को की है। शनिवार को कीमत पर फैसला नहीं लिया गया है लेकिन सोमवार को पेट्रोल के दाम बढ़ सकते हैं।कंपनियां इस बारे में बात कर रही हैं कि अगर सरकार उनको होने वाले नुकसान की भरपाई कर दे तो वो पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाएंगी।सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को पेट्रोल की प्रति लीटर बिक्री पर होने वाला नुकसान 7.65 रुपये पर पहुंच गया है। बहरहाल, सरकार की तरफ से शुल्क में कमी और सब्सिडी मुआवजा के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से कंपनियां असमंजस में हैं।
एक प्रमुख पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारी ने कहा कि हमें पेट्रोल पर प्रति लीटर 7.65 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसमें 20 प्रतिशत का बिक्रीकर जोड़ने के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 9.18 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की जरूरत होगी।
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने सरकार से कहा है कि यदि वह खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी नहीं चाहती है, तो उसे नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। साथ ही कंपनियों ने पेट्रोल पर 14.35 रुपये प्रति लीटर के उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है।
अधिकारी ने कहा कि हमने सरकार को साफ कर दिया है कि यदि इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो हमारे पास पेट्रोल के दाम बढ़ाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचेगा। इंडियन आयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम प्रत्येक पखवाड़े खुदरा कीमतों की समीक्षा करती हैं। तेल कंपनियां संभवत: रविवार को कीमतों की समीक्षा करेंगी। पेट्रोल कीमतों में दिसंबर में आखिरी संशोधन के समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 109 डॉलर प्रति बैरल थे, जो इस समय 134 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुके हैं। पेट्रोलियम कंपनियों ने एक दिसंबर को पेट्रोल कीमतों में 0.78 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। दिल्ली में आईओसी के पेट्रोल पंप पर फिलहाल पेट्रोल का दाम 65.64 रुपये प्रति लीटर है। बीपीसीएल और एचपीसीएल के पंपों पर कीमतों में कुछ पैसे का अंतर है।
चालू वित्त वर्ष के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने करों की दर और दायरा बढ़ाकर आम लोगों पर करीब 45,000 करोड़ रुपये के टैक्स का बोझ लादा है। उत्पाद शुल्क की दर को 10 से 12 प्रतिशत करने का असर बाजार में उपलब्ध तमाम उत्पादों पर होगा। सीमेंट, ब्रांडेड रेडिमेड गारमेंट से लेकर सोना और रत्नाभूषण सभी चीजों की कीमतों में वृद्धि होगी।
आज से आपका फोन पर बातचीत करना भी महंगा हो जाएगा, क्योंकि फोन बिल पर लगने वाला सर्विस टैक्स भी अब 12.36 फीसदी हो गया है. मतलब साफ है कि आपकी जेब पर अब और तेजी से चलेगी महंगाई की कैंची।
ट्रेन में जनरल, स्लीपर और एसी थर्ड क्लास से सफर करने वाले यात्री भले ही किराया बढ़ोतरी के बोझ से बचकर राहत महसूस रहे हैं, लेकिन एसी सेकेंड क्लास और एससी फर्स्ट क्लास के मुसाफिरों पर पड़ने लगी है दोहरी मार।
एक तरफ एसी फर्स्ट में 30 पैसे प्रति किलोमीटर और एसी सेकेंड में 15 पैसे प्रति किलोमीटर किराया बढ़ाय़ा गया है तो दूसरी तरफ बढ़े हुए किराए पर 3.6 फीसदी का सर्विस टैक्स देना होगा।
ट्रेन ही नहीं, हवाई यात्रियों पर भी दोहरी मार पडेगी. हवाई सफर पर बढ़ा हुआ सर्विस टैक्स तो लागू हो ही चुका है अब आने वाले दिनों में किराया भी बढ़ना तय है क्योंकि हवाईजहाज का ईंधन शनिवार से तीन फीसदी महंगा हो गया है।
ज़ाहिर है कि ईंधन के इस बढ़े दाम का बोझ भी तमाम एयरलाइन्स हमेशा की तरह मुसाफिरों पर ही थोपेंगी. पिछले एक महीने में एटीएफ के दाम बढ़ाए जाने का ये तीसरा मौका है।
अगर आप गर्मी से बचने के लिए आज एसी, फ्रिज, या कपड़े धोने के लिए वॉशिंग मशीन और आरामदायक सफर के लिए कार खरीदने की सोच रहे हैं तब भी आप को बजट के चाबुक की मार महसूस होगी क्योंकि वित्त मंत्री ने इस बार एक्साइज ड्यूटी में दो फीसदी बढ़ोतरी कर दी है।
बढ़ा हुआ सर्विस टैक्स भी उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है। अब इसके दायरे में उन क्षेत्रों की सरकारी सेवाएं भी जुड़ रही हैं, जहां वे निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। इसके तहत रेल में एसी फर्स्ट क्लास और एसी सेकेंड क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों को रविवार से ज्यादा किराया देना होगा। साथ ही प्लेटफॉर्म टिकटों के लिए भी 3 रुपये की बजाए 5 रुपये देने होंगे। संशोधित किराये के अनुसार एसी टू टियर के किराए में 15 पैसे प्रति किलोमीटर और एसी फर्स्ट क्लास के किराए में 30 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि हो गई है।
हालांकि, सरकारी तेल कंपनियों ने शनिवार को पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का फैसला टाल दिया है, लेकिन कंपनियों ने इसके लिए सरकार पर दबाव बना रखा है। तेल कंपनियों को पेट्रोल की प्रति लीटर बिक्री पर होने वाला नुकसान 7.65 रुपये पर पहुंच गया है। बहरहाल, सरकार की तरफ से शुल्क में कमी और सब्सिडी मुआवजा के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से कंपनियां असमंजस में हैं। एक प्रमुख पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारी ने कहा कि हमें पेट्रोल पर प्रति लीटर 7.65 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसमें 20 प्रतिशत का बिक्रीकर जोड़ने के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 9.18 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की जरूरत होगी। सरकारी तेल कंपनियों ने सरकार से कहा है कि अगर वह खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी नहीं चाहती है, तो उसे नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। साथ ही कंपनियों ने पेट्रोल पर 14.35 रुपये प्रति लीटर के उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है।
चेक और ड्राफ्ट अब सिर्फ तीन माह के लिए वैध होंगे. पहले यह समय सीमा छह माह थी।अब जारी करने की तिथि के तीन माह से अधिक के चेक और ड्राफ्ट बैंकों द्वारा स्वीकार नहीं किए जाएंगे।भारतीय रिजर्व बैंक ने चेक, बैंक ड्राफ्ट और इसी तरह की अन्य बैंक सुविधाओं की वैधता अवधि घटाकर तीन माह करने की घोषणा की थी. यह आदेश आज से प्रभावी हो गया है।रिजर्व बैंक ने अपने आदेश में कहा था कि 1 अप्रैल, 2012 से बैंक ऐसे चेक, ड्राफ्ट, पेआर्डर या बैंकर्स चेक का भुगतान नहीं करेंगे, जो जारी करने की तिथि के तीन माह बाद पेश किए जाएंगे।
रविवार से क्या हुआ महंगा
-यात्रा, घूमना-फिरना, खाना-पीना होगा महंगा -
एसी-1, एसी-2 के यात्रियों को चुकाना होगा ज्यादा किराया
-प्लेटफॉर्म टिकटों के लिए 3 रुपये की बजाय 5 रुपये देने होंगे -
बिजली, जमीन, फ्लैट और बाइक व कार के लिए चुकाने होंगे ज्यादा पैसे -
सोना, प्लेटिनम खरीदना होगा महंगा -ब्रांडेड कपड़े और शराब होगी महंगी -
लाइफ इंश्योरेंस के साथ मोटर इंश्योरेस होगा महंगा
और क्या आया बदलाव
चेक, ड्राफ्ट और पे-ऑर्डर की वैधता 6 महीने से घटकर 3 महीने रह जाएगी
-पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसी बचत स्कीमों में निवेश पर ज्यादा मिलेगा ब्याज
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मुद्रास्फीति छह से सात प्रतिशत के दायरे में रह सकती है इससे कम नहीं।उन्होंने कहा कि यदि मुद्रास्फीतिक धारणा इससे कम रहती है तो अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ सकती है और आर्थिक वृद्धि पर इसका असर होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति में हाल के दिनों में नरमी आई है और रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति तैयार करते समय इसपर गौर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीतिगत दरों पर निर्णय लेते समय इसे ध्यान में रखेगा।
फरवरी 2012 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत रही थी जबकि इससे पिछले महीने जनवरी में यह 6.55 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2012-13 का बजट राजकोषीय मजबूती, मुद्रास्फीति में नरमी और देश को फिर च्े उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। मुखर्जी ने माना कि वह बजट में कोई ठोस घोषणा नहीं कर पाए। इसके लिए उन्होंने सत्ता पक्ष के समीकरणों की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहा कि आपके पास शासन करने का अधिकार तो है, लेकिन आपको दूसरों को भी अपने साथ रखना होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही मुझे बजट प्रस्ताव रखने पड़े।
सब्सिडी पर उन्होंने कहा कि हमें इसमें चयन करना होगा। खाद्य सब्सिडी हमें देनी होगी लेकिन अन्य क्षेत्रों में हमें अपनी भुगतान क्षमता के अनुसार कदम उठाना होगा। अगले वर्ष के दौरान सब्सिडी को जीडीपी के दो प्रतिशत पर रखने का फैसला किया गया है।
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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
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