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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, April 2, 2012

दिल के बुजुर्ग मरीजों के लिए ‘वरदान’ है टीएवीआई तकनीक

दिल के बुजुर्ग मरीजों के लिए 'वरदान' है टीएवीआई तकनीक

Monday, 02 April 2012 11:41

नयी दिल्ली, दो अप्रैल (एजेंसी) दिल की बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को सर्जरी के लिए भारी जोखिम मोल लेना पड़ता है, लेकिन अब भारत में भी 'ट्रांसकैथेटर आॅरटिक वाल्व इंप्लांटेशन' :टीएवीआई: तकनीक का इस्तेमाल शुरू होने से ऐसे लोगों के लिए बेहद आसानी होगी, हालांकि अभी इसकी कीमत चिंता का विषय बनी हुयी है।
टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल करके हृदय में वाल्व लगा दिया जाता है और इसमें किसी तरह की सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। निडल के माध्य से चिकित्सक जांघ की नस से वाल्व स्थापित कर देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में महज 45 मिनट का वक्त लगता है और तीन से चार दिनों के भीतर मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
यह देखा गया है कि 70 साल की उम्र के बाद बुजुर्गों में सर्जरी के सफल होने की संभावना कम होती है। गुर्दे एवं फेफड़े की बीमारियों, मधुमेह एवं दमा से पीड़ित लोगों में ओपन हार्ट सर्जरी जोखिम भरी हो जाती है।
इस तकनीक के जनक फ्रांस के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एलन जी क्राइबर के साथ टीएवीआई पर काम कर चुके डॉक्टर विवेक गुप्ता ने 'भाषा' से कहा, ''यह तकनीक निश्चित तौर पर बुजुर्गों एवं कई बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक बड़ा वरदान है। इसके लिए किसी तरह की चीर-फाड़ करने की जरूरत नहीं होती, बल्कि बेहद आसानी से जांघ की नस से वाल्व स्थापित कर दिया जाता है।''
दिल्ली स्थित इं्रदप्रस्थ-अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदय 

रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुप्ता ने कहा, ''हम लोगों ने इस तकनीक को लेकर परीक्षण किए है, जो सफल रहे हैं। मैंने हाल ही में डॉक्टर क्राइबर के साथ टीएवीआई तकनीक के जरिए वाल्व लगाया था। इस तकनीक में जोखिम ना के बराबर होता है।''
टीएवीआई की प्रक्रिया अभी भारत में महंगी हैं और इसकी औपचारिक तौर पर शुरुआत भी नहीं हुई है। हालांकि हृदय रोग के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सरकार की ओर से इसके रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर किया जाएगा, जिससे इसकी कीमत मौजूद वक्त से कम होगी।
पश्चिमी देशों में टीएवीआई तकनीक के जरिए वाल्व लगाने का सिलसिला बीते एक दशक से चल रहा है। डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि यूरोपीय देशों में 50 हजार से अधिक लोगों पर इसका इस्तेमाल किया गया और ये सफल रहे हैं।
मौजूदा समय में टीएवीआई के जरिए वाल्व लगाने पर पूरा खर्च करीब 15 लाख रुपये बैठता है और इसमें वाल्व की कीमत ही करीब 10 लाख रुपये पड़ जाती है। भारत में इस तकनीक के तेजी नहीं पकड़ने की एक वजह इसकी कीमत भी है। आम तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की कीमत तीन से चार लाख रुपये होती है।
इस संबंध में गुड़गांव स्थित मेदांता मेडीसिटी के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज गुप्ता ने कहा, ''यह बात सच है कि अभी टीएवीआई की पूरी प्रक्रिया महंगी है। मेदांता को भी इसकी इजाजत मिल गई है और उम्मीद है कि कम कीमत पर हम लोग टीएवीआई के माध्यम से वाल्व लगा सकेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें।''

 

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