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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, April 27, 2012

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नाम नंदीग्राम डायरी के लेखक का खुला पत्र

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नाम नंदीग्राम डायरी के लेखक का खुला पत्र
सुश्री ममता बनर्जी जी,
माननीया मुख्यमंत्री,

प . बंगाल .

सादर अभिवादन

मै पुष्पराज नंदीग्राम में घटित कृषक संग्राम पर केन्द्रित पुस्तक "नंदीग्राम
डायरी "का लेखक हूँ. यह पुस्तक पेगुइन इण्डिया से 2009 में प्रकाशित हुई .मै
आपको नंदीग्राम की घटनाओं का एक अधिकृत साक्षी होने के आत्म -अधिकार के साथ
पत्र लिख रहा हूँ. जब मेरी पुस्तक प्रकाशित हुई तो एक तरह का विवाद प्रचारित
किया गया कि यह पुस्तक मार्क्सवादी - कम्युनिस्ट पार्टी की विरोधी शक्तिओं का
परिणाम है. पुस्तक के लेखक के विरुद्ध कई तरह के आरोप चर्चे में आये. आरोप और
अफवाहों के दौर से गुजरते हुए इस लेखक को बेहद तनाव से गुजरना पड़ा. लेकिन सचाई है कि ये आरोप सी.पी.एम की ओ़र से नहीं लगाये गए थे. हमारे
खिलाफ दुष्प्रचार करनेवाले वे लेखक -पत्रकार थे, जिन्हें यह संदेह था कि इस
पुस्तक के लेखन के लिए तृणमूल -कांग्रेस से लेखक को काफी धन प्राप्त हुआ है. पुस्तक प्रकाशन के बाद सी .पी .एम के घटक संगठन जनवादी लेखक संघ के एक
प्रमुख राष्ट्रीय कर्ताधर्ता (नामचीन लेखक )ने मेरे साथ मेरी रचना प्रक्रिया पर संवाद किया, उनसे मेरे अच्छे लेखकीय संबंध कायम हुए. संभव है कि मेरी पुस्तक
से नंदीग्राम का सत्य उजागर होने से सी.पी.एम की छवि प्रभावित हुई हो पर सी.पी.एम ने इसे व्यक्तिगत शत्रुता का विषय नहीं बनाया. सी.पी.एम के एक
राष्ट्रीय स्तर के नेता ने कोलकाता स्थित अपने आवास पर बुलाकर मेरे साथ मेरी
पुस्तक के सन्दर्भ में सम्मानजनक संवाद किया. ऐसा क्यों हुआ कि सी.पी.एम के
किसी बड़े नेता या कामरेड कैडरों ने मेरे साथ बदले के भाव में अपमानजनक
व्यवहार नहीं किया ? मेरी समझ में ऐसा इसलिए हुआ कि सी.पी.एम विचारधारा से लैस एक राजनीतिक संगठन है और इनके भीतर अपने गुण-दोष को समझने-परखने की
राजनीतिक -वैज्ञानिक दृष्टि है. सी.पी.एम ने हमारे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
पर हमला नहीं किया और संभव है, हमारे लिखे से संगठन के भीतर नंदीग्राम में हुई
गलतिओं पर विमर्श किया गया हो.

इस समय आपके बंगाल में आप मुख्यमंत्री का कार्टून
बनानेवाले प्रध्यापक अंबिकेश महापात्र पर टी.एम.सी समर्थकों का हमला और
महापात्र को जेल भेजने की कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान
प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उलंघन है. महापात्र के साथ हुई घटना के बाद
वैज्ञानिक पार्थ सारथी रॉय की गिरफ्तारी भी सभ्य लोकतान्त्रिक समाज के लिए
शर्मनाक घटना है .इन गिरफ्तारियो से आपकी छवि पूरी दुनिया में प्रभावित हुई
है. आपकी सरकार के खाद्य -आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का बयान बेहद
आपत्तिजनक है. जिसमे उन्होंने सी.पी.एम कार्यकर्ताओं के साथ तृणमूल
कार्यकर्ताओं को शादी -ब्याह ना करने और सामाजिक बहिष्कार करने का उपदेश पढाया
है .आपके दल से जुड़े मंत्री के बयान को पूरे देश में तृणमूल -कांग्रेस के बयान
की तरह प्रसारित किया गया है. अब तक आपके दल की ओ़र से इस बयान का खंडन नहीं
किया गया है. ममता जी, यह सब क्या हो रहा है? प्रो. महापात्र का कार्टून
कलात्मक अभिव्यक्ति है. आपके दल के समर्थकों और कोलकाता पुलिस की कार्रवाई
कानून का उलंघन है. उजड़ते झुग्गिओं को बचाने के पक्ष में वैज्ञानिक पार्थ
सारथी रॉय का खड़ा होना, भद्रलोक बांग्ला समाज की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है. आपके मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का बयान उन्हें शत्रु घोषित करता है, जो आपके
विरोधी हें. किसी लोकतान्त्रिक राष्ट्र में यह संभव नहीं है कि एक सत्ताधारी
राजनीतिक दल अपने राजनीतिक विरोधिओं को अपना शत्रु घोषित कर दे. मुझे आशंका है
कि आपने अगर सतर्कता नहीं बरती तो आपके मंत्री के बयान से पूरे बंगाल में
हिंसा -प्रतिहिंसा को बल मिलेगा और राज्य शासन इस संभावित अराजकता से निपटने
में नाकामयाब होगी.

मै इस पत्र के द्वारा आपको नंदीग्राम के पीड़ितों को न्याय दिलाने के
आश्वाlन का स्मरण दिलाना चाहता हूँ. शहीद सूबेदार मेजर आदित्य बेरा 10 नवम्बर
२००७ के इलाका दखल के बाद लापता हें. आपकी सरकार ने जो पुलिस सी.आई.डी जाँच
कराई, इस जाँच के बाद आदित्य बेरा अब तक सरकार के रिकॉर्ड में लापता हें. भारतीय सेना में अपनी बहादुरी के लिए सम्मानित सूबेदार मेजर का परिवार आपके
शासन काल में भुखमरी का शिकार है. आदित्य बेरा के परिवार को भुखमरी से बचाने
का जिम्मा किसका है...? आदित्य बेरा की विधवा पत्नी को भारतीय सेना से पेंशन
दिलवाने का जिम्मा किसका है ...? आदित्य बेरा के परिवार जनो ने अपनी तंगहाली से परेशान होकर मीडिया को अपने घर आने से मना कर दिया है. गोकुलनगर की तापसी दास
को 14 मार्च 2007 को गुप्तांग और जंघा में गोली लगी थी. तापसी दास विकलांगता
से अभिशप्त होकर भिक्षाटन के सहारे जिन्दा है. मातंगनी हाजरा के साथ आज़ादी का
संग्राम लड़नेवाली गोकुलनगर की 96 वर्षीया स्वतंत्रतासेनानी रशोमई दास अधिकारी का घर नंदीग्राम संग्राम के दौरान दो बार जला दिया गया. स्वतंत्रता सेनानी का
पेंशन ठुकरानेवाली रशोमई दास अधिकारी से मिलकर तब रैमसे क्लार्क का दिल दहल
उठा था. नंदीग्राम संग्राम "माँ-माटी-मानुष" की रक्षा के बुनियादी सूत्रवाक्य
से शुरू हुआ था. कालांतर में यह "माँ -माटी - मानुष" आपकी पार्टी का राजनीतिक अस्त्र हो गया और इसी अस्त्र -मंत्र से आपने बंगाल की सत्ता हासिल की. शहीद आदित्य बेरा, तापसी दास, माँ रशोमई दास अधिकारी के प्रति राज्य का सम्मानजनक रवैया स्पष्ट होना चाहिए. नंदीग्राम के पीड़ितों के जख्म को भूलना, संघर्ष और शहादत की विरासत का अपमान होगा.

माननीया ममता बनर्जी जी, आप शांत चित्त से मेरे पत्र पर विचार करें. जो आपकी पार्टी के विरोधी हें, वे राज्य के शत्रु नहीं हें. उन्हें भी आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं -समर्थकों के समतुल्य नागरिकीय अधिकार प्राप्त हें. वे आपके राजनीतिक उदेश्यों और विचारधारा से सहमत हो जायें तो आपके समर्थक हो सकते हें. जो आपसे सहमत ना हों, उन्हें विरोधी और शत्रु मान लेना -अविवेकपूर्ण, अलोकतांत्रिक, अराजनीतिक और मानवाधिकार विरोधी फैसला है .आपने बंगाल में गरीब, मेहनतकशों और किसानों की समृधि का वादा किया है. मेहनतकशों के बच्चे मार्क्स को पढ़कर अपनी मेहनत का दाम जानने और अपनी हकों के प्रति सचेतन होने का ज्ञान प्राप्त करेंगे. आपने सी.पी.एम विरोध को मार्क्स विरोध के रूप में मार्क्स को पाठ्यक्रम से हटाकर गरीबों का अहित किया है. नंदीग्राम संग्राम के प्रमुख कर्ताधर्ता निशिकांत मंडल संग्राम पूर्व सी.पी एम् के समर्पित नेता थे. कालांतर में तृणमूल कांग्रेस के नेता हुए. लेकिन उनके लहू में मार्क्सवाद घुला था. मार्क्सवाद के बिना आप प्रतिरोध की संस्कृति की कल्पना नहीं कर सकती हें. मार्क्स सी.पी.एम नामक किसी राजनितिक दल की स्थाई संपत्ति नहीं हो सकते हें. मार्क्सवाद एक वैज्ञानिक दृष्टि है. मार्क्स को पाठ्यक्रम से अलग करने से आनेवाली पीढ़िया दृष्टिहीन हो जाएँगी. मार्क्स से घृणा का मतलब गरीबों से घृणा मान लिया जायेगा .आपके साथ सबसे कमज़ोर, मेहनतकश वर्ग की उम्मीदें जुडी हें. अमरीका भारतीय लोकतंत्र को निगलने के लिए तैयार है. मार्क्स के बिना हम अमरीका से बचने का रास्ता नहीं जान सकते. वैश्विक पूंजी के आखेट के विरुद्ध मार्क्स वैश्विक - मानवता का सबसे उम्दा प्रतीक है. आपको फिर से मार्क्स को समझने की कोशिश करनी चाहिए.

सुश्री ममता जी, नंदीग्राम में खड़े होकर बंगाल और भारत को देखने की कोशिश करिए तो आपको विराट बंगाल के भीतर विराट भारत दिखेगा. ग्रामेर मानुष, कृषक मानुष की समृद्धि के बिना बंगाल और भारत का उद्धार संभव नहीं है. नंदीग्राम में छूटी हुई आकाँक्षाओं को अंजाम दीजिये और अपनी चूकों के लिए भूल -सुधार व क्षमायाचना सार्वजनिक करिए. बंगाल के समाज में एक शहीद फौजी, एक स्वतंत्रता सेनानी माँ और एक वैज्ञानिक -प्रध्यापक की हैसियत मुख्यमंत्री से ऊपर रही है. आप इस वर्ग के प्रति राज्य सरकार की कृतज्ञता स्पष्ट करें. वरना पुलिस -प्रशासन की चूक और किसी मंत्री के बयान को संपूर्ण सरकार का दोष मान लिया जायेगा. और किसी सिंगुर-नंदीग्राम के रक्तपात के बिना भी आपकी सरकार अधोपतन की तरफ लुढ़कती जाएगी. मेरी राय पर मशविरा कर अपना पक्ष स्पष्ट करें तो नंदीग्राम के संघर्ष और शहादत की विरासत का सम्मान होगा, जिसकी ताप ने आपको सत्ता दिलाई है.

जय नंदीग्राम, जय सोनार बांग्ला, जय भारत...

सादर

-पुष्पराज
द्वारा - प्रगतिशील साहित्य सदन,

निकट-दूर शिक्षा निदेशालय,

अशोक राजपथ, पटना-6

मो. 9431862080




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