1991 की तरह का संकट नहीं है।तब सोना ही गिरवी पर रखा था,अब तो हालत यह है कि हुक्मरान खुले बाजार और थैलीशाहों की हित में देश को ही गिरवी पर रखने लगे हैं!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
यूरो की तुलना में डॉलर में मजबूती आने से रुपये पर दबाव पड़ा और यह डॉलर के मुकाबले 4 पैसे नीचे 55.58 के स्तर पर खुला।शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 54 पैसे मजबूत होकर 55.54 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी देश को यकीन दिला रहे हैं कि विकास दर में तेज गिरावट, रुपये के मूल्य में रेकॉर्ड गिरावट और ऊंची महंगाई दर के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने 1991 की तरह का संकट नहीं है। उन्होंने सोमवार को कहा कि सरकार जल्द ही हालात सुधारने के काबिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। गौरतलब है कि 1991 में देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। सरकार को विदेशी कर्ज चुकाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था।लेकिन तब सोना ही गिरवी पर रखा था , अब तो हालत यह है कि हुक्मरान खुले बाजार और थैलीशाहों की हित में देश को ही गिरवी पर रखने लगे हैं।खुले आम कारपोरेट हित में आम आदमी को जल, जंगल, जीवन , आजीविका और नागरिकता से बेदखल किया जा रहा है। आम आदमी की बलि दी जा रही है ताकि बाजार कि सेहत चंगी रहे और कोलाधन को सफेद बनाने का खेल अबाध विदेशी पूंजी निवेश के बहाने जारी रहे। संसद और संविधान का उल्लंघन वैसे ही हो रहा है जैसे नागरिक और मानव अधिकारों का । वैमनस्य और वर्ण वर्चस्व के आधार पर बहिष्कृत बहुजनों के विरुद्ध नरसंहार की संस्कृति बेलगाम है।कारपोरेत नीतियां तय करता है। कारपोर्ट मीडिया पर हावी है। कारपोरेट ही सरकार और प्रशासन का नियंता है। खुले बाजार के हक में वित्तमंत्री विश्वपुत्र प्रणव मुखर्जी ही देश को ऐसी झूठी दिलासा दिला सकते हैं जबकि कोई वित्ती. नीति नहीं हं और मौद्रिक नीतियां सिरे से फेल है। बाकी बचा आंकड़ों का खेल है।वित्त मंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है जब रुपये के मूल्य में अप्रत्याशित गिरावट आई है और अर्थव्यवस्था की विकास दर विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण 9 सालों में सबसे कम रही है।
सोमवार को कांग्रेस पार्टी की कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक में बढ़ती महंगाई और देश के आर्थिक हालात पर चिंता जाहिर की गई है।यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भरपूर बचाव किया।लेकिन कार्यसमिति की बैठक में सोनिया से लेकर प्रणब और मनमोहन सिंह को तब खरी खोटी सुननी पड़ी जब कई नेताओं ने कहा कि जनता महँगाई की मार से परेशान है। कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को देश का अगला राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस संबंध में प्रस्ताव आश्चर्यजनक ढंग से वित्तमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी की ओर से पेश किया गया, जिन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।लोकसभा चुनाव समय से पहले होने की अटकलों को किनारे करते हुए सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2014 में होने वाले इन चुनावों और कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए अभी से एकजुट होकर कमर कसने का आह्वान किया।बेहद तल्ख शब्दों में सोनिया ने विपक्ष पर साजिश का आरोप लगाया। सोनिया का कहना है कि विपक्ष और कांग्रेस विरोधी एक साजिश के तहत प्रधानमंत्री, यूपीए सरकार, संगठन और सहयिगों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। सोनिया ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि सरकार और पार्टी के स्तर पर इसका डटकर मुकाबला करना होगा।बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने सोमवार को योग गुरु बाबा रामदेव के पांव छुए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बाबा के आंदोलन का पूरा समर्थन करती है। गडकरी ने कहा कि कांग्रेस द्वारा योग गुरु के खिलाफ लगाए जा रहे आरोप सरासर बेबुनियाद हैं और काले धन को स्वदेश वापस लाने की मांग करना राष्ट्र-विरोधी नहीं है। रविवार को अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक दिवसीय धरने के बाद रामदेव आज गडकरी से मिलने उनके निवास गए।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को चेतावनी दी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कठिन समय से गुजर रही है, क्योंकि यह हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।मजे की बात है कि प्रधानमंत्री अपने वित्तमंत्री से कुछ अलग ही राग अलाप रहे हैं। देश किस पर यकीन करें वित्तमंत्री पर या फिर प्रधानमंत्री पर? कौन सच कह रहे हैं और कौन झूठ?वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि सरकार के लिए इस समय वित्तीय प्रोत्साहन देने की गुंजाईश नहीं है पर उन्होंने उम्मीद जताई कि कच्चे तेल की कीमत घटने और मानसून सामान्य रहने से आर्थिक हालात सुधारने में मदद मिलेगी।उल्लेखनीय है कि देश का उद्योग जगत औद्योगिक गतिविधियों में अप्रत्यशित गिरावट के मद्देनजर सरकार और रिजर्व बैंक से कर रियायत व ब्याज दर में कमी की अपील कर रहा है। मुखर्जी ने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा वैश्विक अनिश्चितता और नरमी का दूसरा दौर तुरंत आ गया है इसके चलते इस समय सक्रिय राजकोषीय पहल की गुंजाईश ज्यादा नहीं बची है।वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जबकि घरेलू उद्योग जगत आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के मददेनजर वित्तीय और मोद्रिक प्रोत्साहन तथा आर्थिक सुधारों को गति देने की अपील कर रहा है। वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि के 6.5 फीसद रह गई जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 8.4 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में औद्योगिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रह गई जो पिछले नौ साल की न्यूनतम तिमाही औद्योगिक वृद्धि है।मुखर्जी ने कहा 2012-13 में दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की गई है और हाल के सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत में तेज गिरावट हुई है। इन बातों से घरेलू अर्थव्यवस्था की वद्धि दर में सुधार में मदद मिलनी चाहिए।
रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और कच्चे तेल के घटते दामों ने निवेशकों में उम्मीद बंधाई। इनकी लिवाली के चलते सोमवार को दलाल स्ट्रीट शुरुआती तेज गिरावट से उबर गई। इस दिन बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेंसेक्स 23.24 अंक सुधरकर 15988.40 पर बंद हुआ। शुरुआती कारोबार में यह 200 अंक से ज्यादा लुढ़ककर पांच माह के निचले स्तर 15748.98 तक चला गया था।
कई ग्लोबल बैंक इंडिया की इकनॉमिक ग्रोथ के अपने अनुमानों को घटाते जा रहे हैं। इन बैंकों को यह चिंता सता रही है कि मैक्रो इकनॉमी से मिल रहे कमजोर संकेत और पॉलिसी के माहौल से आगे आने वाले दिनों में इंडिया की इकनॉमी की रफ्तार पहले तय आंकड़ों से कहीं ज्यादा कमजोर होगी।
फिस्कल ईयर 2013 के लिए सरकार ने इकनॉमी की ग्रोथ रेट 7.35 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन इंडिपेंडेंट एनालिस्टों ने इसे घटाकर 7 फीसदी से भी कम कर दिया है। उनका कहना है कि जिद्दी महंगाई, सरकारी घाटे का बढ़ता बोझ, रुपए के कमजोर होने, इंडस्ट्रियल स्लोडाउन और सरकार की सुस्ती की वजह से ग्रोथ धीमी पड़ रही है।
गोल्डमैन सैक्स और मेरिल लिंच के अर्थशास्त्रियों ने भी ग्रोथ के अनुमान में हाल ही में कमी की है। दोनों बैंकों ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर क्रमश: 6.6 फीसदी और 6.5 फीसदी कर दिया है, जो पहले 7.2 फीसदी और 6.8 फीसदी थी। जीडीपी ग्रोथ का यह अनुमान 2008-2009 के 6.7 फीसदी से भी कम है, जब दुनिया मंदी की गिरफ्त में थी।इन दोनों बैंकों से पहले मॉर्गन स्टैनली ने भी अपने अनुमानों में बड़ी कटौती कर दी है। उसने इंडिया की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.5 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है।
सिटीग्रुप के एनालिस्ट ने हाल में जारी एक नोट में कहा है, 'इस पर लगभग सबकी सहमति है कि इंडिया की ग्रोथ स्टोरी डी-रेटेड हो चुकी है। इंडिया की ग्रोथ 6-7 फीसदी की रेंज में रह सकती है।' ग्लोबल इकनॉमिक हालात भी बहुत अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं। इस फिस्कल ईयर के लिए सिटी ने ग्रोथ के 7 फीसदी के अपने अनुमान को रिवाइज नहीं किया है। हालांकि, केयर रेटिंग ने अनुमान को 7.3 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। वहीं, नोमुरा ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह अनुमान में कमी कर सकती है। नोमुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने एक नोट में लिखा था, 'फाइनैंशल ईयर 2013 में हम 7.4 फीसदी के ग्रोथ अनुमान को डाउनग्रेड कर सकते हैं।' वर्मा ने अपने नोट में कैपिटल फ्लाइट की आशंका जताई है जिससे ग्रोथ की रफ्तार कम हो सकती है।
इस बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग अब सीधे टकराव की तरफ बढ़ रही है। अन्ना हजारे ने आज साफ तौर पर कह दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री पर भरोसा नहीं रहा। अब 25 जुलाई को दिल्ली में आमरण अनशन शुरू होगा। अन्ना ने कहा कि वो सोनिया गांधी को मंत्रियों की पूरी फाइल भेजेंगे। वहीं सोनिया गांधी ने भी पहली बार टीम अन्ना पर हमले का जवाब देने का आहवान कर दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलनों के आगे अब तक बैकफुट पर दिख रही सरकार अब आक्रामक अंदाज में सामने आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में टीम अन्ना और रामदेव पर पहली बार हमला बोला। सोनिया ने इन्हें कांग्रेस विरोधी और विपक्ष की साजिश में शामिल करार दिया है। उन्होने नेताओं से एकजुट होकर इनका मुकाबला करने की सलाह दी है। इस बीच सरकार ने बाबा रामदेव को 5 करोड़ के सर्विस टैक्स का नोटिस भी थमा दिया है।कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया ने साफ कहा कि ये सब साजिश के तहत किया जा रहा है। सोनिया ने कोल ब्लॉक आवंटन मामले में प्रधानमंत्री का पूरी तरह बचाव तो किया ही बिना नाम लिए विपक्ष के साथ साथ सिविल सोसाइटी पर भी जमकर बरसीं। सोनिया ने कहा कि आज हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। लोकतंत्र में विरोध करना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन जिस तरीके से आजकल एक साजिश के तहत विपक्षी दल और कुछ कांग्रेस विरोधी तत्व प्रधानमंत्री, यूपीए सरकार, संगठन और हमारे दूसरे साथियों पर मनमाने ढंग से बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं वो बहुत अफसोस की बात है। इसका हमें पार्टी और सरकार स्तर पर डटकर मुकाबला करना है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह बात मानने का कोई कारण नहीं है कि हम फिर 1991 जैसी स्थिति का सामना करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1991 के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 17 दिन के आयात के लिए पर्याप्त था, जबकि वर्तमान में विदेशी मुद्रा भंडार साढ़े सात महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है। मुखर्जी ने कहा कि अन्य क्षेत्रों के लिहाज से भी 1991 की तरह की स्थिति नहीं है।कांग्रेस कार्य समिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि उन्हें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर उछाले जा रहे कीचड़ और झूठ के बारे में जनता को समझाना चाहिए। सिंह ने कहा, 'यह हमारे देश के लिए कठिन समय है और अर्थव्यवस्था काफी हद तक स्थितियों के अधीन है, जिन पर हमारा न के बराबर या बिल्कुल नियंत्रण नहीं है।'
पिछले हफ्ते केंद्रीय सांख्यकीय कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को खत्म हुई तिमाही देश की विकास दर 5.3 फीसदी थी, जो पिछले 9 सालों में न्यूनतम है। इस तरह वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान विकास दर 6.5 फीसदी थी, जबकि ग्लोबल आर्थिक संकट के समय 2008-09 में यह 6.7 फीसदी थी।
मुखर्जी ने कहा कि उन्हें आशा है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि हम स्थितियों को सुधारने में सक्षम नहीं हैं। हम स्थितियों को सुधारने के लिए समक्ष होंगे।
पीएम ने कहा, 'कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे हमारे विरोधियों द्वारा उछाले जा रहे कीचड़ और झूठ के बारे में जनता को बताएं।'सोनिया का आशीर्वाद मिलने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बिना नाम लिए ही सही, लेकिन टीम अन्ना और रामदेव को निशाना बनाया। कल तक वो आरोप साबित होने के बाद संन्यास लेने की बात कर रहे थे, लेकिन कार्यसमिति की बैठक में सोनिया के बोलने के बाद उनके तेवर भी कड़े हो गए। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि ये सारा विरोध दरअसल अपनी महात्वाकांक्षा पूरा करने के लिए हो रहा है और इसका मुकाबला किया जाएगा।
खासतौर पर बाबा रामदेव की कालेधन की मुहिम पर मनमोहन ने दो टूक कहा कि विदेश में जमा कालाधन एक दिन में वापस नहीं लाया जा सकता। अलग अलग तत्व अफवाह और झूठे आरोप लगा रहे हैं। ये महात्वाकांक्षी लोग हैं। इनका मकसद सिर्फ हमारी सरकार का विरोध करना है और इनका डटकर मुकाबला करने की जरूरत है। हर रोज ये दावा किया जाता है कि लाखों करोड़ रुपए का कालाधन एक झटके में देश में वापस लाया जा सकता है। ये कहा जाता है कि अपने हर फैसले में सरकार पैसे का खेल कर रही है। ये आरोप सच से परे है।
कार्यसमिति से संदेश निकला कि सरकार डटकर मुकाबला करेगी। मुकाबला कैसे होगा ये 25 जुलाई को टीम अन्ना के अनशन और 9 अगस्त को रामदेव के आंदोलन से पहले साफ हो जाएगा। लेकिन इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि जिस वक्त कांग्रेस कार्यकारिणी में टीम अन्ना और रामदेव के खिलाफ कमर कसी जा रही थी उसी वक्त सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने रामदेव के ट्रस्ट को 4 करोड़ 94 लाख रुपए चुकाने का नोटिस थमा दिया। आरोप लगाया गया है कि देश भर में योगा कैंप लगाने वाला बाबा का ट्रस्ट टैक्स चुराता है। इससे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पतंजलि पीठ को 58 करोड़ चुकाने का नोटिस दे चुका है।
टीम अन्ना और बाबा रामदेव का नाम लिए बगैर मनमोहन ने उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा है कि सरकार भ्रष्ट है और भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के प्रति गम्भीर नहीं है। सिंह ने कहा, 'यह आरोप लगाया गया है कि सरकार ने प्रत्येक कार्य क्षेत्र में अकूत धनराशि का घोटाला किया है.. प्रत्येक दिन काले धन की काल्पनिक राशि के बारे में सुनने को मिलता है, जिसे एक झटके में स्वदेश वापस लाया जा सकता है.. इसमें से कुछ भी सच नहीं है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए बचनबद्ध है और उसने वैधानिक और प्रशासनिक कदम उठाए हैं। इसके साथ ही सिंह ने विपक्ष से लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। सिंह ने कहा, 'हताश लोगों द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचना, और हमारी सरकार का विरोध करने के लिए एकजुट हुए हताश तत्वों से प्रभावी तरीके से निटने की जरूरत है।'
वित्त मंत्रालय डीजल कारों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। ऐसा होता है तो सरकारी मदद से सस्ता बिकने वाले इस ईंधन से चालने वाली कारें महंगी होंगी। ऐसा होने पर लोग ऐसी कारें खरीदने से हतोत्साहित हो सकते हैं।केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क के अध्यक्ष एस के गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि यह प्रस्ताव हमारे समक्ष है। वित्त मंत्री इस पर विचार कर रहे हैं। इस पर परामर्श चल रहा है और आने वाले समय में सरकार उचित फैसला लेगी।
मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक 1,200 सीसी से कम की पेट्रोल कारों और 1,500 सीसी से कम की डीजल कारों पर 12 फीसदी उत्पाद शुल्क लगता है। चार मीटर से ज्याद लंबी कारों पर 24 फीसदी शुल्क लगता है।
पेट्रोल और डीजल से चलने वाली चार मीटर से ज्यादा लंबी और 1,200 सीसी व 1,500 सीसी से ज्यादा की ईंजन क्षमता वाली कारों पर क्रमश: 27 फीसदी का मूल्यानुसार कर और 15,000 रुपए का तय शुल्क लगता है।
रुपये के अवमूल्यन, महंगाई और राजकोषीय घाटे के कारण कपड़ा मशीनरी, सीमेंट और उर्वरक जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में अप्रैल-जून की तिमाही में तीव्र गिरावट की सम्भावना है। यह बात एक अध्ययन में रविवार को कही गई।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई)-एस्कॉन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है, ''औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन पर क्षेत्रवार विेषण ने स्पष्टरूप से संकेत दिया है कि लगभग सभी क्षेत्रों में 2012-13 की प्रथम तिमाही के दौरान निम्न उत्पादन वृद्धि की सम्भावना है।''
सर्वेक्षण में कहा गया है, ''जहां सभी वर्गो के लिए विशिष्ट एवं उच्च श्रेणियों में चंद क्षेत्र ही हैं, वहीं अधिकांश क्षत्रों की उत्पादन वृद्धि दर निम्न श्रेणी की है।''
यह सर्वेक्षण 114 क्षेत्रों में की गई है, जिनमें 35,000 से अधिक कम्पनियां हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक मोटर्स, अर्थमूविंग एवं निर्माण उपकरण, रबर वस्तुएं, टायर तथा कच्चा तेल जैसे क्षेत्रों में शून्य से 10 प्रतिशत की निम्न वृद्धि दर की सम्भावना है।
]
कपड़ा मशीनरी, ट्रांस्फार्मर एवं पम्प के क्षेत्रों में वृद्धि दर के नकारात्मक स्तर पर जाने की आशंका है।
जबकि आटोमोबाइल, ऊर्जा मीटर, बाल एवं रोलर बियरिंग तथा स्कूटर के क्षेत्रों में 10 से 20 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर रहेगी।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ''एस्कॉन द्वारा किए गए सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश प्रतिभागियों ने कहा कि वृद्धि दर में मंदी, मुख्यरूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए अपनाए गए सख्त मौद्रिक उपायों और वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभावों के कारण है, जिसके कारण मांग में भारी कमी बनी हुई है।''l
बनर्जी ने कहा, ''स्थिति, सरकार और आरबीआई से ठोस प्रयास की मांग कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे पास एक समन्वित आर्थिक सुधार की योजना हो।''
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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
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