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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, April 3, 2012

छंटनी की तलवार से हलाक होने से बच गये लोगों के लिए निवेश दूर की कौड़ी है, गृहस्थी की गाड़ी तक खिंच नहीं रही!दिल्ली और मुंबई में खुले दूध के दाम 6 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं!

छंटनी की तलवार से हलाक होने से बच गये लोगों के लिए निवेश दूर की कौड़ी है, गृहस्थी की गाड़ी तक खिंच नहीं रही!दिल्ली और मुंबई में खुले दूध के दाम 6 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


दूध की यह महंगाई रसोई का बजट बिगाडे़गी। खाने का तेल किचन का बजट बिगाड़ रहा है। तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। बीते एक महीने में खाद्य तेलों के दाम में 10 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई है। दिल्ली और मुंबई में खुले दूध के दाम 6 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं।निवेशकों को बाजार में कम से कम साल भर के नजरिए से निवेश करना चाहिए।ऐसा बाजार विशेषज्ञों की सलाह है।पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों पर अब एक और मार पड़ गई है। पेट्रोल के बाद अब दूध के मूल्य में भी बढ़ोतरी होने से लोग काफी परेशान हैं। दूध के रेट बढ़ने से दुग्ध उत्पादों में भी बढ़ोतरी होना तय है। मदर डेयरी के दूध के रेट बढ़ने के बाद अब बाकी कंपनियों के दूध के रेटों में भी जल्द ही वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में कुल मिलाकर आम आदमी का पूरा बजट एक बार फिर गड़बड़ा रहा है।पिछले हफ्ते पेट्रोल के मूल्यों में 2 रुपये की वृद्धि हुई। अब दूध भी 1 रुपया महंगा हो गया है। इसकी वजह से इस हेलदी सीजन में अब पनीर, मक्खन, चीज आदि के मूल्य भी बढे़गे।स्कूलों का नया सत्र शुरू होगा तो स्कूल की फीस भी बढ़ जाएगी। चूंकि अर्थ व्यवस्था दबाव में है और बाजार डांवाडोल है , इसलिए निवेश में जोखिम बढ़ गया है। नौरकीपेशा लोगों पर मंहगाई की मार सबसे ज्यादा पड़ने वाली है। छंटनी की तलवार से हलाक होने से बच गये लोगों के लिए निवेश दूर की कौड़ी है, गृहस्थी की गाड़ी तक खिंच नहीं रही।आर्थिक मोर्चे पर सुस्त रफ्तार का असर अब आपकी सैलरी पर दिखेगा। मा फोई रैंडस्टड के सर्वे के मुताबिक इस साल आपकी सैलरी औसतन करीब 11.2 फीसदी बढ़ेगी, जबकि पिछले साल  वेतन में औसत बढ़ोतरी 12.5 फीसदी थी।सर्वे के मुताबिक सीनियर मैनेजमेंट लेवल पर 20-25 फीसदी सैलरी में बढ़ोतरी देखी जा सकती है जबकि मीडियम लेवल पर  वेतन 13-16 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। जूनियर कर्मचारियों की सैलरी 8-10 फीसदी बढ़ने के आसार हैं।ये सर्वे जनवरी और फरवरी में करीब 400 कंपनियों के बीच किया गया है। सर्वे कराने वाली कंपनी के मुताबिक इस साल महंगाई ने पूरी दुनिया की अर्थ व्यवस्था को दबाव में रखा है और आगे भी आसार बहुत बेहतर नहीं हैं। इसलिए कंपनियां नई नियुक्तियों और विस्तार योजनाओं को लेकर एहतियात बरत रही हैं।

आम बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उत्पाद शुल्क व सेवा कर की दरें बढ़ाकर महंगाई की मार से परेशान जनता की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। खुले दूध की कीमत बढ़ने के बाद अमूल भी 2 रुपये प्रति लीटर कीमत बढ़ाने की तैयारी में हैं। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के एमडी आर. एस. सोढ़ी ने कहा कि इस बार कीमतों में बढ़ोतरी उतनी नहीं होगी, जितनी पिछली दो साल में हुई। फेडरेशन ने पिछले वित्त वर्ष में कीमतों में करीब 15 पर्सेंट बढ़ोतरी की थी। सोढ़ी ने कहा कि बढ़ती महंगाई के बीच किसानों को ज्यादा दाम देने की जरूरत है। तीन सालों में अमूल के दाम 20 रुपये से बढ़कर 38 रुपये हो गए हैं। संघ ने 2011 में स्किम्ड मिल्क पाउडर के निर्यात से प्रतिबंध को हटाने की मांग की है।मुंबई में बस का किराया बढ़ा, ऑटो का किराया बढ़ा। इससे करीब 4 महीने पहले स्कूलों ने अपनी गाडि़यों के किराये बढ़ा दिए थे। ऐसे में सैलरी का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ ट्रांसपोर्ट पर खर्च हो जाता है।तो दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए दूध लगातार महंगा हो रहा है। रविवार से मदर डेरी और वीटा का दूध 1 से 2 रुपये महंगा मिलेगा, जबकि पराग डेरी सोमवार से रेट बढ़ाएगी। अमूल 5 अगस्त से दाम बढ़ाने के बावजूद अगले महीने फिर कीमतें बढ़ा सकती है। गौरतलब है कि महंगाई की मार यहीं नहीं रुकती है दिल्ली में रहने वाले लोगों को अगले महीने से बिजली का करंट लगने वाला है। बिजली कंपनियों ने फ्यूल सरचार्ज बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमीशन से गुहार लगाने की तैयारी कर ली है।

सब्जियों और दूध के बाद खाने के तेल में आग लग गई है। पिछले एक महीने में खाद्य तेलों के दाम में 10 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई है। हरी सब्जियां दोगुने-तिगुने दामों पर इठलाकर मुंह चिढ़ा रही हैं तो चावल, दाल और मसाले भी रसोई का बजट बिगाड़ रहे हैं। महंगाई की इस मार से आम आदमी हक्का-बक्का है। लोग हरी सब्जियों की खरीद पर सोचने को मजबूर हैं।सब्जियों के दामों में मार्च में ही तीन गुना तक इजाफा हो चुका है। दाम और बढ़ने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। जानकारों का मानना है कि कीमतें बढ़ने के पीछे गर्मियां शुरू होते ही उत्पादन में कमी, कम आपूर्ति और माल भाड़े में बढ़ोतरी प्रमुख कारण हैं। कुछ खाद्य वस्तुओं के दाम तो बजट के बाद में बढ़े हैं। महंगाई की आग में लाल हो रहा टमाटर लोगों को अब डराने लगा है।लौकी हो या पत्ता गोभी, सब दोगुने दाम पर जा पहुंचे हैं। फूल गोभी ने तो तीन गुने दामों पर बिक रहा है। चावल और तेल के दाम तो थोक बाजार में ही पांच से सात रुपये किलो बढ़ गए हैं। अभी बढ़त का क्रम जारी है।

दूसरी तरफ, तेल कंपनियों ने सरकार को अल्टिमेटम दे दिया है कि उन्हें पेट्रोल के दाम बढ़ाने की इजाजत नहीं मिली, तो वे बिक्री ही बंद कर देंगी।  इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष आरएस बुटोला ने सोमवार को कहा, 'हालात काफी गंभीर हो चुके हैं। हम अब तेल खरीदने की भी स्थिति में नहीं है। तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 7.67 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। अगर इस पर बिक्री कर जोड़ दिया जाए तो दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 9.20 रुपये की वृद्धि करने की जरूरत होगी।'  सरकारी तेल कंपनियों ने ऑटो एलपीजी के दामों में छह रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। यह इस साल में अब तक तीसरी बढ़ोतरी है। देश की सबसे बड़ी फ्यूल रिटेलर कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के मुताबिक अब ऑटो एलपीजी के दाम 43.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 49.72 रुपये प्रति लीटर हो जाएंगे। इस बढ़ोतरी कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूल्य बढऩा बताया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी के बाद पाम ऑइल के दाम में 10 रुपये प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हुई है। रुपये का कमजोर होना इस महंगाई की एक बड़ी वजह है, क्योंकि भारत करीब 80 लाख टन पॉम ऑइल विदेश से आयात करता है। पाम ऑइल का इस्तेमाल खाने में किया जाता है और भारत में रिफाइंड तेल इस्तेमाल करने वालों में करीब 50 फीसदी पाम ऑइल ही इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा सरसों समेत तमाम दूसरे तेल में भी पिछले एक महीने के दौरान जबरदस्त तेजी देखी गई है। सोयाबीन के तेल में तो करीब 19 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसकी वजह रबी के मौसम में खराब उत्पादन को माना जा रहा है।

मुंबई में बेस्ट बसों के बढ़े हुए किराए लगभग इस महीने के अंत तक लागू हो जाएगा। प्रशासन का तर्क है कि, रेलवे के बाद सबसे सस्ती यात्रा प्रदान करने वाली बेस्ट का किराया बाजार के अन्य संसाधनों के बढ़े दामों की तुलना में नहीं बढ़ाया गया, जिसकी वजह से संस्थान लगातार नुकसान में जा रहा है। इस समय में बेस्ट का विद्युत और ट्रांसपोर्ट विभाग 3200 करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा है। 2011 में बेस्ट के बिजली विभाग को लगभग 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जबकि, परिवहन विभाग 324 करोड़ रुपये घाटे में था। नुकसान से उबारने के लिए बसों का किराया बढ़ाया जाना प्रशासन सही ठहरा रहा है।

बहरहाल देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल की लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार पर महंगाई के मुद्दे पर निशाना साधा है। अन्ना हजारे ने इस बार केंद्र की आर्थिक नीतियों को निशाने पर लिया है। अन्ना ने सोने समेत तमाम चीजों पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के सरकार के फैसले को गलत बताया है। साथ ही कहा है कि वो इस मामले में वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखेंगे।अन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से टैक्स बढ़ा रही है उससे महंगाई के साथ भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। अन्ना ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ बड़े ब्रांड के बारे में सोच रही है, जो गलत है। छोटे कारोबारियों की तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं है। सरकार को छोटे कारोबारियों पर ध्यान देना चाहिए। अन्ना ने ये भी कहा कि वो इस बाबत वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी लिखेंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर एवं प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डा. सी रंगराजन का कहना है कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। इसमें जल्द ही सुधार होगा। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में दिसंबर से कमी आनी शुरू हुई है। इसके बावजूद वर्ष 2013 तक आम आदमी को महंगाई से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। पेट्रोलियम पदार्थों आदि की कीमतें बढ़ने के कारण जो महंगाई दिख रही है उससे जनता को अगले साल तक भी राहत नहीं मिल पाएगी।उन्होंने कहा कि इस साल आर्थिक वृद्धि की दर अनुमान से काफी कम 6.9 प्रतिशत ही रही है। यह स्थिति अगले साल तक संभल पाएगी। मुद्रास्फीति कम होगी। विकास दर 7.5 प्रतिशत तक हो जाएगी। ढांचागत विकास तेजी से होंगे। सड़क, बिजली और दूरसंचार के क्षेत्र में अच्छे विकास की उम्मीद है। भूमि अधिग्रहण एवं पर्यावरण के कारण रुके मामले भी आगे बढ़ेंगे। इन सबसे आर्थिक विकास की गति तेज होगी। काला धन की समस्या बेहद गंभीर है। उसे बाहर निकालने के उपाय सरकार को सुझाए गए हैं। इसके लिए कर के ढांचे में बदलाव करना होगा। पारदर्शिता लानी होगी और कर प्रशासन को कारगर बनाना होगा।

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