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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, April 3, 2012

'ये शरीर मुझे अपना नहीं लगता, घृणा होती है'

http://www.janjwar.com/janjwar-special/27-janjwar-special/2491-soni-sori-letter-himanshu-kumar-from-jail-chattishgarh

सलाखों के अंदर रहकर हर नियमों का पालन कर रही हूँ. अबतक ऐसा कोई भी नियम का उल्लंघन नहीं किया, जिससे आप कह सकें कि तुम गलती कर रही हो.फिर आप लोग मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो. पेशी ना ले जाना, स्वास्थ्य पर ध्यान ना देना...

सोनी सोरी का पत्र हिमांशु कुमार के नाम 

आप लोग कैसे हैं. गुरूजी मैं भी एक इंसान हूँ. इस शरीर को दर्द होता है. कबतक ऐसे अन्यायों को सहूँ, सहने की भी सीमा होती है. मुझे पेशी में पेश नहीं किया जा रहा है. ना ही कोई मिलने आ रहे हैं. ऐसी स्थिति में मैं क्या करूँ.

sonisori

हमें तो ऐसा लगने लगा यदि मुझे कुछ हो भी जाये तो आपको मेरे पक्ष की खबर नहीं मिलेगी बल्कि विपक्ष की खबर मिलेगी. दिनांक १२.३.२०१२ को मेरी हालत गंम्भीर हो चुकी थी जिससे मुझे अस्पताल में भरती किया गया. भर्ती करने के बाद हमपर अनेक तरह का आरोप लगाया गया, ये महिला झूठ बोलती है, जानबूझकर नाटक करती है. इसलिये मैंने कहा था कि इलाज मैं यहाँ नहीं कराउंगी.

अगर मैं नाटक करती हूँ तो मुझे अंदरूनी में दर्द क्यों होता है? मैं तो छत्तीसगढ़ सरकार के लिये एक मजाक बनकर रह गई हूँ. जब मेरा सोनोग्राफी कराया गया, उससे पहले मुझे रोटी सब्जी खिलायी गयी और फिर सोनोग्राफी करायी गयी.सब तो कागजों पर लीपापोती करना था दूसरी बात न्यायालय का भी आदेश पालन नहीं किया गया.  

यदि मेरा चेकअप दिनांक 12 मार्च  से पहले होता तो शायद जो स्थिति पैदा हुई वो नहीं होती . गुरूजी आपके द्वारा दी गई शिक्षा की ताकत से बहुत सा मानसिक शारीरिक प्रताड़ना को सह रही हूँ. अब आपके शिष्य और नहीं सह सकती. दिनांक 6 मार्च  को मेरी पेशी थी. 

जेलर मैडम जेलर अधीक्षक  से मेरी बहस हुई है. मैंने कहा कि इन सलाखों के अंदर रहकर हर नियमों का पालन कर रही हूँ. अबतक ऐसा कोई भी नियम का उल्लंघन नहीं किया जिससे आप कह सकें कि तुम गलती कर रही हो. मैं भी एक शासकीय कर्मचारी रही हूँ, इसलिए इतना तो समझती हूँ कि जो अनुशासन बना है उसे पालन करना हमारा अनिवार्य कर्तव्य है. फिर आप लोग मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो. पेशी ना ले जाना, स्वास्थ्य पर ध्यान ना देना, तब कहने लगा जेलर अधीक्षक कि ये सब मेरी जिम्मेदारी नहीं है. 

तब मैंने कहा आप मुझे बंदी आवेदन दो ताकि सरकार को लेटर भेजकर पूछना चाहूंगी कि ये सब किसके जिम्मेदारी है. गैर जिम्मेदार व्यक्तियों और प्रशासन की देखरेख में हमें क्यों रखा गया. यदि आगामी दिनों में मुझे कुछ हो जाता है इसके जिम्मेदार कौन है. तब कहने लगा बिल्कुल लिखो जो करना है करो. 

लेकिन बंदी आवेदन मांगती हूँ तो दे नहीं रहे हैं. कहते हैं ऐसी कोरा कागज पर लिखो.गुरूजी मैं क्या करूँ छत्तीसगढ़ में तो कानून व्यवस्था बनाये रखने वाले राहुल शर्मा जैसे ऑफिसर  अपमान, प्रताड़ना को सह नहीं पा रहे हैं और वे आत्महत्या कर ले रहे हैं. 

आप सोचियेगा, इस वक्त मैं किन-किन हालातों से जूझ रही हूँ. ये शरीर मुझे अपना नहीं लगता, घृणा होती है. गुरूजी आपने हमें छोटे से बड़े होते देखा है. हम क्या थे और क्या हो गए.मिलने के लिये किसी को भेजियेगा, गलती पर क्षमा. छत्तीसगढ़ सरकार की अन्यायों से जूझती आपकी शिष्या की ओर से सभी को चरण स्पर्श, नमस्ते. 

आपकी शिष्या

श्रीमती सोनी सोरी

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