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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, June 17, 2012

समर्थन के बदले उपराष्ट्रपति पद मांग सकता है राजग

समर्थन के बदले उपराष्ट्रपति पद मांग सकता है राजग


Sunday, 17 June 2012 10:25

विवेक सक्सेना

नई दिल्ली, 17 जून। प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी के एलान के बाद राजग अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा करने पर विचार कर रहा है।

कांग्रेस नीत यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी के एलान के बाद राजग अब उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। हालांकि इसके बदले में उपराष्ट्रपति पद के लिए वह डा. नजमा हेपतुल्ला के लिए यूपीए से समर्थन मांग सकता है। पर इस बारे में अंतिम फैसला रविवार को होने वाली राजग की बैठक में किया जाएगा।
प्रणब के नाम के एलान के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज समेत कई बड़े भाजपा नेताओं से फोन पर बातचीत कर उनसे समर्थन मांगा था। मनमोहन के इस कदम के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। शनिवार को हुई भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में प्रणब मुखर्जी के पक्ष में माहौल बनता नजर आया। लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम पार्टी नेताओं का यह मानना था कि जब नंबरों का गणित यूपीए के पक्ष में हो तो महज विरोध के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने का कोई मतलब नहीं है। देश में इस समय प्रणब मुखर्जी के पक्ष में माहौल है और ममता बनर्जी की फजीहत हो रही है। वैसे भी डा. अब्दुल कलाम तब तक चुनाव लड़ने को लिए तैयार नहीं होंगे जब तक कि वे खुद अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त न हों। अपनी छवि को ध्यान में रखते हुए वे खुद भी धरतीपकड़ नहीं बनना चाहेंगे। रविवार को होने वाली राजग की बैठक में इस राय को रखा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में इस बात पर भी विचार हुआ कि यूपीए को सब कुछ आसानी से परोस कर दे देने से भी कोई फायदा नहीं है। इसलिए राजग को उपराष्ट्रपति पद अपने उम्मीदवार को देने की मांग करनी चाहिए। वैसे भी मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को दूसरी बार यह पद मिलने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि वे वामपंथियों के उम्मीदवार थे। यूपीए-एक की सरकार में अपनी राजनीतिक हैसियत के कारण वामपंथियों ने उन्हें यह पद दिलवा दिया था। डा. राधाकृष्णन ही एकमात्र ऐसे अपवाद हैं जो कि दो बार उपराष्ट्रपति रहे थे। 
संकेत हैं कि राजग का प्रमुख घटक दल जद (एकी) भी यही चाहता है कि मुखर्जी के कद को देखते हुए विपक्षी गठबंधन को उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारने के बजाय उनका समर्थन कर देना चाहिए। उसका कहना है कि इसके अलावा विपक्ष के पास अपने उम्मीदवार को जिताने लायक संख्या बल भी नहीं है। इससे पहले राजग की शुक्रवार को भी बैठक हुई थी लेकिन उसमें किसी फैसले पर नहीं पहुंचा जा सका था।

राष्ट्रपति पद की दौड़ में प्रणब मुखर्जी को राजग में व्यापक समर्थन मिलने के संकेत उस वक्त मिले जब जद (एकी) के नेता शिवानंद तिवारी ने 'सम्मानित नेता को सम्मानजनक विदाई' देने की जोरदार वकालत की। हालांकि तिवारी ने कहा कि यह उनका निजी विचार है कि संन्यास (सक्रिय राजनीति से) लेने जा प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ और सम्मानित नेता को सम्मानजनक विदाई मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मुखर्जी ही अगले राष्ट्रपति बनेंगे क्योंकि मुलायम और मायावती भी उनका समर्थन कर रहे हैं। बहरहाल उन्होंने कहा कि इस पर फैसला राजग की बैठक में होगा और हम इसमें अपना विचार रखेंगे। जद (एकी) राजग में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और बिहार में वह भाजपा के साथ सत्ता में है।
जद (एकी) ने शुक्रवार को वस्तुत: एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति के रूप में पेश करने के मुद्दे पर अपने पांव पीछे खींच लिए थे। राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर राजग में समर्थन बढ़ रहा है क्योंकि विपक्षी गठजोड़ के एक वर्ग का कहना है कि इस समय मुकाबला करने से विपक्ष को केवल शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा। ये पार्टियां मुखर्जी के नाम पर आम सहमति की पक्षधर रहेंगी। उनकी दलील है कि ना तो पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने चुनाव लड़ने की सहमति दी है और ना ही राजग के पास संख्या बल है।
नरेश गुजराल सहित शिरोमणि अकाली दल के नेताओं से शनिवार को मुलाकात करने वाले जद (एकी) प्रमुख शरद यादव ने कहा कि राजग की रविवार की बैठक के बाद इस पर सामूहिक फैसला किया जाएगा। गुजराल ने कलाम का नाम राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल करने के प्रयासों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि आप कलाम का नाम बार-बार क्यों ले रहे हैं जबकि उन्होंने कभी नहीं कहा कि वे चुनाव लड़ेंगे। राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कलाम को खींचने के प्रयास की आलोचना करते हुए गुजराल ने कहा कि इससे कलाम का 'अपमान' होगा क्योंकि इसके लिए उन्होंने अपनी सहमति नहीं दी है ।
अकाली दल के कलाम की उम्मीदवारी के समर्थन के सवाल पर गुजराल ने कहा कि उनकी पार्टी इस तरह के सवाल का जवाब तभी देगी जब कलाम पहले कहें कि वे चुनाव लड़ रहे हैं। अकाली दल चाहता है कि राजग राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब का समर्थन करे और बदले में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाए।

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