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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, July 1, 2012

यशवंत सिंह के साथ क्या हुआ?

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यशवंत सिंह के साथ क्या हुआ?

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पुलिस हिरासत में सूरजपुर कोर्ट परिसर से बाहर जाते यशवंत सिंहपुलिस हिरासत में सूरजपुर कोर्ट परिसर से बाहर जाते यशवंत सिंह
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आज सुबह नौ बजे के करीब हुई. रात में सोने से पहले मोबाइल बंद कर दिया था इसलिए उठने के थोड़ी देर बाद मोबाइल आन किया तो पहला फोन इस सूचना के साथ आया कि सुना है आपका ''मित्र'' यशवंत सिंह गिरफ्तार हो गया है? क्या के बाद सूचना देनेवाले से दूसरा सवाल यही था क्यों? तो उसने कहा अखबार पढ़ लीजिए. हिन्दुस्तान में छपा है.

हिन्दुस्तान के दिल्ली संस्करण के नेशनल पेज पर एक चार कॉलम की खबर है. भड़ास4मीडिया के साइट का संचालक गिरफ्तार. खबर की भाषा ऐसी है मानों सड़क से किसी उठाईगीर को पुलिस ने धर दबोचा है. तबसे लेकर अब तक सिर्फ फोन आ रहे हैं और लगभग हर कोई यही जानना चाहता है कि यशवंत सिंह के साथ क्या हुआ? अगर आप मीडिया से जुड़े हैं या नहीं भी जुड़े हैं और नये नये मीडिया के कुछ पोर्टलों में भड़ास को भी जानते हैं तो आप भी शायद यही जानना चाहेंगे कि यशवंत के साथ क्या हुआ?

ढाई बजे के करीब ग्रेटर नोएडा के कचहरी परिसर में मैं भी जब यशवंत से मिला तो यही जानने की कोशिश की कि आखिर हुआ क्या? हिन्दुस्तान और जागरण जो कहानी बता रहे हैं उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता था. और बातों के अलावा एक बड़ा झूठ हिन्दुस्तान लिख रहा है कि यशवंत अपने एक दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर एक बड़े टीवी चैनल के प्रबंध संपादक से छिनैती करने पहुंच गये थे. वे प्रबंध संपादक बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागे. दैनिक जागरण तो और आगे निकल जाता है. वह लिख रहा है कि ''संपादक से रंगदारी मांगने का आरोपी गिरफ्तार.'' बकौल दैनिक जागरण इस यशवंत सिंह ने उस प्रबंध संपादक की पत्नी को अश्लील एसएमएस भी किया था. लब्बोलुवाब में कहानी यह कि इन "धमकियों" से परेशान होकर उक्त संपादक ने नोएडा कोतवाली फेज टू में शिकायत दर्ज करा दी और पुलिस ने उसके खिलाफ रंगदारी मांगने, जान से मारने की धमकी देने और जबरन रास्ता रोकने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमें भी एक नहीं, दो हैं. धाराएं न जाने कितनी.

तो क्या सचमुच भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने किसी टीवी चैनल के प्रबंध संपादक को जान से मारने की धमकी दी? उनसे रंगदारी वसूलने की कोशिश की. रिकार्ड तो पुलिस के पास होना ही चाहिए, लेकिन खुद यशवंत सिंह जो कहानी बता रहे हैं वह यह है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने उस संपादक को फोन किया था जिसका नाम विनोद कापड़ी है. विनोद कापड़ी इंडिया टीवी के प्रबंध संपादक हैं और शुक्रवार की देर रात यशवंत सिंह ने पहले विनोद कापड़ी के मोबाइल पर फोन किया. फोन नहीं उठा तो उन्होंने विनोद कापड़ी की पत्नी साक्षी के नंबर पर डायल कर दिया. खुद यशवंत सिंह कहते हैं कि साक्षी ने इसका विरोध किया कि इतनी रात में किसी के मोबाइल पर फोन करने का यह कौन सा तरीका है? खैर इसके बाद दो चार एसएमएस दोनों तरफ से आये गये और दोनों अपनी अपनी जगह शांत हो गये.

सुबह एक बार फिर शुरूआत यशवंत सिंह ने की. उन्होंने साक्षी जोशी को एक एसएमएस भेजा कि असल में रात में उन्होंने एक जरूरी काम से फोन किया था. उन्होने नोएडा में एक घर बुक किया है और उसकी किश्त अदा करने के लिए पैसे इकट्ठा कर रहे हैं इसलिए मित्रों से मदद मांग रहे हैं. उन्होंने बीस हजार रूपये के मदद की बात एसएमएस में कही. यशवंत सिंह ने बड़ी सादगी से स्वीकार किया कि वे तो रात की घटना का पैच अप करने के लिए सुबह पैसे वाली बात कर रहे थे लेकिन यही बात उन्हें भारी पड़ गई. इसके बाद आनन फानन में क्या हुआ मालूम नहीं लेकिन शनिवार को यशवंत सिंह को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वे समाचार प्लस के नोएडा स्थित दफ्तर से बाहर आ रहे थे. यशवंत सिंह खुद कहते हैं कि लगता है पुलिस उनके फोन को सर्वेलेन्स पर लिए हुए थी और उनके नंबर पर एक फाल्स काल आई जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

यशवंत की अचानक हुई गिरफ्तारी की भनक लगी अखबार की खबर से. अगर आज अखबार में खबर न छपती तो शायद किसी को पता भी नहीं चलता कि कल ही यशवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. खबर सार्वजनिक होने के बाद उधर रात यशवंत सिंह ने नोएडा सेक्टर 49 के थाने में गुजारी तो इधर मीडिया के गलियारों में भांति भांति की चर्चाएं दिनभर तैरती रहीं. सुबह उठते ही जो फोन आ रहे थे और जो लोग यशवंत सिंह के बारे में जानना चाह रहे थे. लेकिन इन कुशलक्षेम पूछनेवालों में एक भी आदमी ऐसा नहीं था जो यह कहता कि यशवंत सिंह के साथ जो हुआ वह गलत हुआ. सब सिर्फ यही जानना चाहते थे कि आखिरकार हुआ क्या है? अब मामला यह है कि जो हुआ वह तो पता चल गया लेकिन क्या जो हुआ वह अच्छा हुआ?

हालांकि अब मामला अदालत के विवेकाधीन है और अदालत ही यशवंत सिंह पर लगाये गये आरोपों को सही या गलत साबित करेगी लेकिन रविवार को जो लोग यशवंत से मिलने सूरजपुर के जिला न्यायालय परिसर में पहुंचे थे उसमें से कुछ लोगों ने जानकारी दी कि यशवंत को गिरफ्तार करने के लिए "ऊपर" से दबाव आया था. बौद्धिक और सैद्धांतिक बहस बाद में. यशवंत सिंह के साथ क्या हुआ यह कमोबेश आपको भी पता चल गया है. लेकिन सब बातों के साथ इतना और जान लीजिए कि जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ. कम से कम नये मीडिया और परंपरागत मीडिया के बीच रिश्तों का यह नया दौर किसी के भी हित में नहीं होगा. लंका में आग लगेगी तो उनका भी घर जलेगा जिनके शिखरों पर सोने के कलश चढ़े हुए हैं. अभी तो बस इतना ही.

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