Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Friday, July 20, 2012

Fwd: फ्रांत्स फैनन को याद करते हुए उनका एक भाषण



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/20
Subject: फ्रांत्स फैनन को याद करते हुए उनका एक भाषण
To: reyazul haque <tahreeq@gmail.com>


फ्रांत्स फैनन ने अश्वेतों समेत पूरी दुनिया के वंचित मेहनतकशों, आदिवासियों, उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं की अनेक पीढ़ियों को लड़ना सिखाया, उनको लड़ने की ऊर्जा, जरूरत, औचित्य और विचारधारा दी. वे पीड़ा और व्यथा के बुद्धिजीवी नहीं थे. उन्होंने धरती के अभागों की व्यथाओं को क्रांतिकारी व्यवहार की रोशनी में समझा, उनकी गलतियों को भी और उनकी कमजोरियों को भी. और फिर लड़ने की एक क्रुद्ध, गंभीर और सचेत की विचारधारा दी जिसे और हिंसक संघर्ष से कोई परहेज नहीं है और जिसके दूरगामी और मजबूत संबंध मार्क्स, लेनिन, स्टालिन, माओ, एमी सीजर और अमिल्कर काबराल से बनते हैं. यह भी दिलचस्प है कि वे माओ की तरह ही जटिल और अबूझ शब्दावलियों से बचते हैं और सीधे अपनी जनता को संबोधित करते हैं. उनकी किताबें द रेचेड ऑफ द अर्थ, ब्लैक स्किन व्हाइट मास्क्स, टुवर्ड्स द अफ्रीकन रिवॉल्यूशन और अ डाइंग कोलोनियलिज्म हर तरह के उपनिवेशवाद के खिलाफ जनता के हाथ में मौजूद सबसे धारदार हथियारों में से हैं और उनको भारत की दलित और आदिवासी जनता की स्थिति और उनकी मुक्ति के संघर्षों की रोशनी में जरूर ही पढ़ा जाना चाहिए.

पेशे से मनोचिकित्सक रहे फैनन ने अपना अधिकतर लेखन अल्जीरियाई मुक्ति आंदोलन की हिमायत में लिखा. और अल्जीरिया की क्रांतिकारी पार्टी एफएलएन (नेशनल लिबरेशन फ्रंट) के साथ मिल कर काम भी किया. पार्टियों की सदस्यता को अपनी व्यक्तिगत ख्याति की राह में बाधा समझने वाले बुद्धिजीवियों के बरअक्स फैनन एक शानदार मिसाल थे, जिन्होंने अपना जीवन अल्जीरियाई जनता की मुक्ति के कठिन संघर्ष को सौंप दिया और फ्रंट के साथ मिलकर उसकी क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेते रहे. वे पार्टी और संगठन से नफरत करने वाले बुद्धिजीवी नहीं थे. उन्होंने फ्रंट पर होनेवाले हमलों के जवाब दिए, अल्जीरियाई मुसलिम जनता पर लगाए जानेवाले 'पिछड़ेपन' और 'मजहबपरस्ती' के आरोपों को बेमानी बताते हुए औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष में इस 'पिछड़ेपन' और 'मजहबपरस्ती' की हिमायत की, फ्रंट को एक मजबूत वैचारिक आधार दिया. वे 1954 में फ्रंट से जुड़े और 1956 में इसके अखबार अल मुजाहिद के संपादक बने. चार साल बाद जब अल्जीरिया में एक बागी क्रांतिकारियों ने प्रोविजनल सरकार बनाई तो फैनन को उन्होंने घाना में अपना राजदूत बना कर भेजा.

फ्रांत्स फैनन को याद करते हुए



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV