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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Thursday, April 4, 2013

गुजरात का कर्ज उतार दिया मोदी ने, हिंदुस्तान का कर्ज उतारेंगे! अब क्या हिंदुस्तान को गुजरात बनाकर?

गुजरात का कर्ज उतार दिया मोदी ने, हिंदुस्तान का कर्ज उतारेंगे! अब क्या हिंदुस्तान को गुजरात बनाकर?


भारत के कम से कम 612 उद्योगपतियों ने विदेशों में फर्जी कंपनी बना कर करोड़ों रुपये के टैक्स की चोरी की है।इस सनसनीखेज पर्दाफाश के परिप्रेक्ष्य में तनिक गौर करें कि क्या विडंबना है कि सार्वभौम गणराज्य में लोकतंत्र का भविष्य तय होगा वणिक सभा में!   


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


गुजरात का कर्ज उतार दिया मोदी ने, हिंदुस्तान का कर्ज उतारेंगे! अब क्या हिंदुस्तान को गुजरात बनाकर?बाबरी विध्वंस के अपराधी कौन है, देशव्यापी दंगा के जिम्मेवार कौन है, पूरी दुनिया जानती है। अमेरिका ने सिखों के जनसंहार के तथ्य को सिरे से नकार दिया है। पर मनुष्यता का इतिहास इसे झुठला नहीं सकता।मानवता के युद्धअपराधी सत्ता के संरक्षण से भले ही बच जाये, सत्ता पर काबिज हो जाये, पर वास्तव नहीं बदल जाता। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हिंदुत्व की  प्रयोगशाला में तब्दील गुजरात में क्या हुआ, उसे अदालत में साबित करना फिलहाल इस व्यवस्था में असंभव है। लेकिन गुजरात में क्या हुआ और उसके अनुकरण में असम में क्या हुआ, इस देश के नागरिकों को, मोदी समर्थकों और मोदी विरोधियों को, दोनों पक्षों को अच्छी तरह मालूम है।अब मोदी हिंदुस्तान का कर्ज उतारने के लिए पूरे देश में गुजरात माडल  लागू कर दें, तो उसे भी रोकने का कोई उपाय नहीं है। मोदी के विकल्प बगैर राहुल गांधी पेश हैं। कारपोरेट हिंदू साम्राज्यवाद के ये दोनों विकल्प हैं।​​ इनमें से किसी एक को चुनकर ही इस देश  में लोकतंत्र का कारोबार चलना है। हिंदू साम्राज्यवाद और कारपोरेट साम्राज्यवाद दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं। दोनों विकल्प की एक ही जायनवादी नीति है, नरसंहार की संस्कृति के तहत बहुसंख्य जनगण का सफाया और कारपोरेट हित​ ​ साधना। पर इस देश में बहिस्कृत व नरसंहार के लिए चुनी गयी बहुसंख्य जनता ही उनकी पैदल सेना है। प्रतिरोद की ताकतें खंड खंड ​​खंडित हैं, विचारधारा और सिद्धांतों के बहाने अपनी अलग दुकान से वे आद्यान्त सत्ता की राजनीति में निष्णात हैं। तो कोई माई का लाल है कि मोदी को हिंदुस्तान को गुजरात बनाने से रोक दें राहुल गांधी आयेंगे तो क्या वे मोदी से किसी भी मायने में बेहतर हैं राष्ट्रके समक्ष धर्मराष्ट्रवाद की दुधारी तलवार नंगी नाच रही है। गर्दन सबकी नपने वाली है, पर हर कोई दूसरे की ही गर्दन तराशने में लगा है। किसी को अंदाजा नहीं कि इस चुनौती के मुकाबले का, या इससे देश को बचाने का रास्ता क्या है। मालूम है भी तो उस रास्ते पर चलाना नहीं चाहते, दुकानदारी बंद हो जायेगी। डर इसीका है।

देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को भारी गिरावट का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 291.94 अंकों की गिरावट के साथ 18,509.70 पर और निफ्टी 98.15 अंकों की गिरावट के साथ 5,574.75 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 70.26 अंकों की गिरावट के साथ 18,731.38 पर खुला और 291.94 अंकों यानी 1.55 फीसदी की गिरावट के साथ 18,509.70 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,733.62 के ऊपरी और 18,473.85 के निचले स्तर को छुआ।इसी के मध्य पेट्रोल और डीज़ल के बाद अब चीनी भी और महंगी हो सकती है। सरकार ने चीनी को कुछ शर्तों के साथ डीकंट्रोल करने का फैसला किया है। यानी अब सरकार भी बाजार भाव पर ही चीनी खरीदेगी। कैबिनेट कमिटी ने गुरुवार को बड़ा फैसला करते हुए चीनी को बाजार के हवाले करने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि इस फैसले के साथ ही चीनी और महंगी हो सकती है। अब तक चीनी मिलों को अपने चीनी के कुल प्रॉडक्शन का 10 फीसदी हिस्सा सरकार को लेवी के तौर पर 20 रुपये प्रति किलोग्राम देना पड़ता है। इस चीनी को सरकार पीडीएस चैनल के तहत 13.50 प्रति किलोग्राम पर गीरबों को देती है।


भारत के कम से कम 612 उद्योगपतियों ने विदेशों में फर्जी कंपनी बना कर करोड़ों रुपये के टैक्स की चोरी की है।  वाशिंगटन के इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स यानी आईसीआईजे ने एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन करते हुये दुनिया भर के ऐसे लोगों और कंपनियों का नाम सामने लाया है, जिन्होंने टैक्स बचाने के लिये फर्जीवाड़ा किया है।  


इसके लिये संस्था ने लगभग 25 लाख फाइलों के दस्तावेज एकत्र किये।  इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने जो दस्तावेज सामने लाये हैं, वे विकिलीक्स के अमेरिकी विदेश विभाग के लीक किए गए दस्तावेजों से 160 गुना ज्यादा हैं।  इनमें 30 सालों के दस्तावेज हैं।


संस्था ने अलग-अलग देशों के 1 लाख 20 हजार से अधिक नाम सार्वजनिक किये, जिन्होंने फर्जी तरीके से टैक्स बचाने के लिये विदेशों में कंपनियां खोल लीं।  इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने 170 देशों के 1.2 लाख फर्म्स, ट्रस्ट और एजेंट्स के बारे में जो सनसनीखेज राज खोला है, उसमें भारत के 612 उद्योगपति शामिल हैं।


इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स यानी आईसीआईजे के दस्तावेजों के अनुसार किंगफिशर के मालिक विजय माल्या, सांसद विवेकानंद गद्दम, अभय कुमार ओसवाल, तेजा राजू, सौरभ मित्तल, रविकांत रुइया, समीर मोदी, चेतन बर्मन जैसे 612 उद्योगपतियों ने विदेशों में फर्जी कंपनियां खोलकर टैक्स चोरी की और अपने पैसों को खपाया है।  


इन उद्योगपतियों ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कुक आइलैंड और समोआ जैसे टैक्स हेवन समझे जाने वाले देशों में फर्जी कंपनियां और खाते खोले हैं।  आईसीआईजे ने दावा किया है कि भारत में इन औद्योगिक घरानों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और फेमा नियमों को तार-तार कर दिया. आईसीआईजे ने इन उद्योगपतियों के लेन-देन के विस्तृत दस्तावेज भी सार्वजनिक किये हैं।


इस सनसनीखेज पर्दाफाश के परिप्रेक्ष्य में तनिक गौर करें कि क्या विडंबना है कि सार्वभौम गणराज्य में लोकतंत्र का भविष्य तय होगा वणिक सभा में! गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है।कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय उद्योग परिसंघ की बैठक में दिए भाषण में अपनी शादी और प्रधानमंत्री बनने के सवाल को अप्रासंगिक बताया।उन्होंने कहा, 'मुझसे प्रेस के लोग अक्सर पूछते हैं मैं शादी कब करूंगा। कोई कहता है, बॉस, आप प्रधानमंत्री कब बनने जा रहे हैं। कोई कहता है, नहीं आप प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं, ऐसी संभावना है कि आप प्रधानमंत्री बन जाएं।'


राहुल ने कहा कि चार हजार विधायक और 600-700 सांसद देश को चला रहे हैं। देश को तरक्की के पथ पर ले जाना है तो सभी लोगों को सिस्टम से जुड़ना होगा। यह निराशाजनक बात है कि राजनीतिक दलें जमीन से जुड़ी नहीं हैं।एक प्रधान की गांव की विकास में अहम भूमिका होती है। एक सांसद के अधीन 500-600 ग्राम प्रधान होते हैं। अब समय आ गया है कि इन प्रधानों को ‌विकास से जुड़े फैसलों में अधिकार मिले।ऐसा देखा गया है कि ग्राम प्रधान किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा होता है। ऐसे में वह किस प्रकार राजनीतिक दल या नेता तक अपना विचार पहुंचा पाएगा।


नरेंद्र मोदी सोमवार 8 अप्रैल को फिक्की के महिला विंग को संबोधित करेंगे।फिक्की के महिला विंग में मोदी के भाषण ने एक बार फिर राहुल बनाम मोदी की चर्चा तेज कर दी है। एक तरफ जहां सभी की नजर फिक्की में राहुल के भाषण लगी हैं। वहीं मोदी के नए कार्यक्रम से दोनों के बीच नजरिए का फर्क को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म होने के पूरे आसार हैं। सीआईआई के मंच से राहुल गांधी के बोल विपक्ष को पसंद नहीं आए। बोल मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक दलों ने देश और राजनीति को लेकर राहुल गांधी के नजरिये पर वार किया है। भाषण समाप्त होते ही बीजेपी ने कहा कि उन्होंने सिर्फ समस्याएं गिनवाईं समाधान नहीं दिया। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज यानी सीआईसीआई के मंच से राहुल गांधी आज देश की समस्याओं पर खूब बोले। कुछ ने कहा राहुल दिल से बोले, कुछ ने कहा समस्याएं गिनाई लेकिन समाधान नहीं बताया। कुछ ये कहते नजर आएं कि समझ में ही नहीं आया कि राहुल कहना क्या चाहते हैं। राहुल के भाषण की सबसे ज्यादा खिंचाई बीजेपी करती नजर आई। जिसे राहुल की बातें हवाई लगी। मोदी फोबिया से ग्रस्त लगी।दरअसल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिक सद्भावना को दरकिनार कर देश का विकास नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने व्यक्ति पूजा की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा एक शख्स के इर्द-गिर्द देश के विकास का तानाबाना नहीं बुना जा सकता। लोगों ने इसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर वार माना। तो बीजेपी के पलटवार पर केंद्र सरकार ने जवाब देने में कोई देरी नहीं की।जेडीयू के मुताबिक खुद राहुल को नहीं पता वो क्या बोल रहे हैं। जेडीयू का कहना है कि राहुल समस्या की जगह समाधान देते तो बेहतर होता। विरोधियों ने राहुल गांधी के पीएम पद की दौड़ में शामिल नहीं होने के बयान पर भी चुटकी ली।


आगामी आम चुनाव में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाए जाने की पुरजोर मांग के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि वे देश का कर्ज उतारना चाहते हैं। गांधीनगर में एक पुस्तक विमोचन समारोह में मोदी ने कहा कि 'लोग कह रहे हैं नरेंद्र मोदी ने गुजरात का कर्ज चुका दिया है, अब हिंदुस्तान का कर्ज चुकाएंगे।'उन्होंने कहा कि यह केवल मोदी ही नहीं, बल्कि भारत से प्रेम करने वाला हर भारतीय करे। हमें जो भी अवसर मिले उसका सदुपयोग अपनी मातृभूमि का कर्ज चुकाने के लिए करना चाहिए।हालांकि मोदी ने अपनी इस बात के अर्थ का खुलासा तो नहीं किया, लेकिन उनके समर्थक अगले आम चुनाव में उन्हें भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाए जाने की मांग लगातार कर रहे हैं। मोदी का यह बयान संयोग से उसी दिन आया है जब कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम के दौरान यह साफ किया है कि वे प्रधानमंत्री बनने की होड़ में शामिल नहीं हैं।


राहुल  गांधी अगले आम चुनाव में कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार होंगे या नहीं- इस पर पार्टी ने अस्पष्टता बनाए रखी है।

दो सत्ता-केंद्रों के भविष्य के लिए भी उपयुक्त मॉडल होने की बात औपचारिक रूप से कहकर कांग्रेस ने अटकलों के लिए पर्याप्त गुंजाइश छोड़ दी है। इसके बावजूद इसमें शक नहीं कि कांग्रेस में राहुल गांधी अब सत्ता का प्रमुख केंद्र हैं और भविष्य में भी रहेंगे। इसलिए वे जब कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की सालाना आम बैठक को संबोधित करने आए, तो सारे देश की नजर उनके भाषण पर थी और कांग्रेस उपाध्यक्ष ने निराश नहीं किया।

उनके वक्तव्य में भारत, यहां के लोगों और विकास के बारे में उनकी समझ स्पष्ट झलकी। उनके नजरिये में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दोनों की चिंताएं बखूबी प्रतिबिंबित हुईं। राहुल का पूरा समर्थन तीव्र गति से आर्थिक विकास को है। अत: वे उद्योग जगत के अनुकूल नीतियों के पक्ष में खड़े हैं। लेकिन लाभ सब तक पहुंचे- यानी वंचित तबके भी विकास के फायदों में भागीदार बनें- इसके लिए माकूल ढांचा बनाने को भी वे जरूरी मानते हैं। लेकिन यूपीए ने बीते नौ सालों में विकास की अधिकार आधारित जिस अवधारणा को आगे बढ़ाया है, उसे और गति देना उनकी नीति होगी, क्योंकि सिर्फ इसके जरिये ही विकास को निरंतर और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

राहुल गांधी की राय में यही वह रास्ता है जिससे तमाम प्रतिकूल स्थितियों के बीच उम्मीदों से लबालब इस देश के जनगण की ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करते हुए भारत में निहित संभावनाओं को साकार किया जा सकता है। ये काम हो सके, इसके लिए जरूरी है कि विकल्प और समाधान व्यक्ति/व्यक्तियों में नहीं, बल्कि सवा अरब लोगों में ढूंढ़ा जाए। राहुल ने कहा कि जमीनी स्तर तक आमजन को सशक्त करना उनका मकसद है। जिस समय देश में बहस व्यक्तियों में सिमटी हो, यह बेशक ताजगी भरी सोच है। इसे सामने रखते हुए राहुल गांधी ने अगले आम चुनाव में कांग्रेस ही क्यों सही विकल्प है, इस पर अपने तर्क पेश किए हैं। लोग किस हद तक उन्हें स्वीकार करेंगे, ये भविष्य के गर्भ में है।


एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की वकालत

राहुल ने कहा कि देश में मानव संसाधनों की कमी नहीं है। हमें युवाओं को सही ट्रेनिंग देने की जरूरत है। यदि हम उन्हें सही शिक्षा और दिशा दे पाए तो बेरोजगारी खत्म हो जाएगी।


इसके लिए हमें वर्ल्ड एजुकेशन सिस्टम बनाने की जरूरत है। आखिर हम क्यों नहीं आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्‍थान बना रहे हैं?


यदि हम ऐसा करने में सफल रहें तो फिर निश्चय ही अपने युवाओं के सपने को पूरा करने में सक्षम होंगे। शिक्षा में उद्योगों को अपना योगदान देना होगा।


बुनियादी ढांचा बेहतर करने पर जोर

राहुल ने कहा कि भारतीय उद्योगपति बेहद साहसी हैं। हमें बस बुनियादी ढांचा को सुधारने की जरूरत है। इसके लिए हमें मजबूत और बड़ी सड़कें बनानी होंगी। बंदरगाह तैयार कर उन्हें कारोबार के लिए प्लेटफॉर्म देना होगा।


उद्योगपतियों से मिलती है ऊर्जा

राहुल ने कहा कि सीआईआई सम्मेलन में आना मेरे लिए बेहद सम्मान की बात है।


अब दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ गई है। इसका श्रेय बहुत हद तक यहां के उद्योगपतियों को जाता है। पहले भारत को ऊर्जा नदियों से मिलती थी, अब कारोबारियों से मिलती है।


राहुल ने कहा कि अकेले सरकार कुछ नहीं कर सकती है। इसके लिए सभी को साथ मिलकर चलना होगा। इसमें उद्योगपतियों की भूमिका बेहद अहम होगी। वैसे भी किसी इकोनॉमी को महज पैसे कमाने पर फोकस नहीं करना चाहिए।


युवाओं को मिले सही ट्रेनिंग

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की बैठक में राहुल ने कहा कि देश में समस्या नौकरी की नहीं, बल्कि ट्रेनिंग की है। भारतीय युवा संघर्ष को तैयार है, बस हमें सही दिशा देने की जरूरत है।


राहुल ने अपने भाषण में लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस में की गई गोरखपुर से मुंबई की यात्रा का जिक्र किया। इस ट्रेन यात्रा से उन्हें आम लोगों की सोच और सपनों की जानकारी मिली।


राहुल ने बताया कि एक युवा किस तरह अपने सपने को पूरा करने के लिए जद्दोजहद करता है, यात्रा से यह मुझे पता चला। इससे एक बात तो साबित हो गया कि भारतीय युवा संघर्ष करने का माद्दा रखते हैं।





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